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1. शुरुआत में योग करते समय हमेशा योग विशेषज्ञ के देखरेख में ही योग करे और पूर्णतः प्रशिक्षित होने के बाद ही अकेले योग करे। 2. योग से जुड़ा कोई भी प्रश्न मन में हो तो विशेषज्ञ से जरूर पूछे। 3. योग करना का सबसे बेहतर समय सुबह का होता हैं। सुबह सूर्योदय होने के आधा घंटे पहले से लेकर सूर्योदय होने के 1 घंटे बाद तक का समय विशेष लाभदायक होता हैं। 4. सुबह योग करने से पहले आपका पेट साफ होना आवश्यक हैं। 5. नहाने के 20 मिनिट पहले या बाद में योग नहीं करटे बाद ही करे।

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क्यों है सावन की विशेषता?

हिन्दू धर्म की पौराणिक मान्यता के अनुसार सावन महीने को देवों के देव महादेव भगवान शंकर का महीना माना जाता है। इस संबंध में पौराणिक कथा है कि जब सनत कुमारों ने महादेव से उन्हें सावन महीना प्रिय होने का कारण पूछा तो महादेव भगवान शिव ने बताया कि जब देवी सती ने अपने पिता दक्ष के घर में योगशक्ति से शरीर त्याग किया था, उससे पहले देवी सती ने महादेव को हर जन्म में पति के रूप में पाने का प्रण किया था। अपने दूसरे जन्म में देवी सती ने पार्वती के नाम से हिमाचल और रानी मैना के घर में पुत्री के रूप में जन्म लिया। पार्वती ने युवावस्था के सावन महीने में निराहार रह कर कठोर व्रत किया और उन्हें प्रसन्न कर विवाह किया, जिसके बाद ही महादेव के लिए यह विशेष हो गया।

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10.13.2020

CIBIL KYA HAI ? CIBIL KAHA CHECK HOGA ? CIBIL CHECK KARNE KA KYA CHARGE HAI ? CIBIL KE FAYDE

 CIBIL क्या है? यह क्या करता है? | सिबिल स्कोर के बेहतर होने के हैं कई फायदे, कर्ज और क्रेडिट कार्ड लेने में रहती है आसानी

CIBIL क्या है?


सिबिल स्कोर से पिछले कर्ज की जानकारी मिलती है। इसलिए बैंक से कर्ज और क्रेडिट कार्ड लेने के लिए अच्छा सिबिल स्कोर होना जरूरी होता है। नियमित कर्ज चुकाने से क्रेडिट स्कोर अच्छा रहता है।

 सिबिल स्कोर 300 से 900 अंकों के बीच होता है। अगर स्कोर 750 अंक या उसके का होता है तो ज्यादा पर कर्ज मिलना आसान होता है। जितना अच्छा सिबिल स्कोर होता है, उतनी ही आसानी से कर्ज मिलता है। 

सिबिल स्कोर 24 महीने की क्रेडिट हिस्ट्री के हिसाब से बनता है।

1) सिबिल स्कोर से जुड़ी खास बातें...

आजकल कई तरह की वेबसाइट हैं जो सिबिल स्कोर के बारे में जानकारी देती हैं। फिर भी सिबिल की वेबसाइट पर जाना बेहतर रहता है। इसके लिए cibil.com वेबसाइट पर जाकर ऑनलाइन फॉर्म भरना होगा। यहां से फॉर्म डाउनलोड भी कर सकते हैं। 

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इसके लिए आपको 200/300 रुपये का भुगतान 12 महीनेके लिए करना होगा। इसमे 12 रिपोर्ट देख सकते हैं हर महीने मे एक बार  इसमें एक बार ऑथेंटिकेशन प्रोसेस होगी और उस प्रोसेस के बाद आप सिबिल स्कोर और रिपोर्ट डाउनलोड कर सकते हैं। यह सिबिल स्कोर आपके ईमेल पर भी आएगा।

सिबिल रिपोर्ट सुधारने के लिए आपको समय पर अपने बिलों का भुगतान करते रहना चाहिए। अगर आप लगातार 6 महीने तक वक्त में कर्ज चुकाते हैं, तो सिबिल रिपोर्ट में सुधार देखने को मिल सकता है। आपको अपने क्रेडिट कार्ड की क्रेडिट लिमिट और बकाया रकम को कम रखना चाहिए।

 क्रेडिट कार्ड से ज्यादा लोन नहीं लेना चाहिए और ना ही बहुत सारे लोन के लिए आवेदन करना चाहिए। होम लोन, ऑटो लोन जैसे सिक्योर्ड लोन को ज्यादा अहमियत देनी चाहिए और अनसिक्योर्ड लोन लेने से बचना चाहिए। 

आपको अपना क्रेडिट कार्ड अकाउंट बंद करने से बचना चाहिए और लगातार अपने ज्वाइंट अकाउंट खातों की, सिबिल स्कोर की समीक्षा करते रहना चाहिए।


30% सिबिल स्कोर इस बात पर निर्भर करता है कि आप वक्त पर कर्ज चुका रहे हैं या नहीं। 25% सिक्योर्ड या अनसिक्योर्ड लोन पर, 25%क्रेडिट एक्सपोजर पर और 20% कर्ज के इस्तेमाल पर निर्भर करता है।

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CIBIL क्या है? यह क्या करता है?

CIBIL Limited, भारत की पहली क्रेडिट इन्फ़ॉर्मेशन कंपनी है, जिसे आमतौर पर क्रेडिट ब्यूरो के तौर पर भी संदर्भित किया जाता है. हम ऋणों और क्रेडिट कार्ड के संबंध में व्यक्तियों और वाणिज्यिक निकायों के भुगतान का रिकॉर्ड एकत्रित करते हैं और उसे बनाए रखते हैं. 

यह रिकॉर्ड हमें बैंक और दूसरे ऋणदाताओं द्वारा मासिक आधार पर सबमिट किए जाते हैं; इस जानकारी का उपयोग करके व्यक्ति का CIBIL स्कोर और रिपोर्ट विकसित की जाती है, जिससे ऋणदाता, ऋण के आवेदनों का मूल्यांकन करते हैं और उन्हें स्वीकृति देते हैं.

 क्रेडिट ब्यूरो को RBI द्वारा लाइसेंस दिया जाता है और उसका नियंत्रण क्रेडिट इन्फ़ॉर्मेशन कंपनीज़ (विनियम) अधिनियम 2005 द्वारा किया जाता है.

हमारे बारे में अधिक जानने के लिए यहाँ क्लिक करें

मेरे लोन की मंजूरी पाने के लिए मेरा क्रेडिट स्कोर क्यों महत्वपूर्ण हैं?

CIBIL स्कोर, ऋण आवेदन की प्रक्रिया में महत्वपूर्ण भूमिका अदा करता है. आवेदक द्वारा आवेदन फ़ॉर्म भरने और उसे ऋणदाता को सौंपने के बाद, ऋणदाता सबसे पहले आवेदक के CIBIL स्कोर और रिपोर्ट की जांच करता है. अगर CIBIL स्कोर कम है, तो हो सकता है कि ऋणदाता आगे आवेदन पर विचार ही न करे और उसे उसी समय अस्वीकार कर सकता है. अगर CIBIL स्कोर अधिक है, तो ऋणदाता आवेदन को देखेगा और यह तय करने के लिए कि क्या आवेदक क्रेडिट देने योग्य है, उसके अन्य विवरणों पर विचार करेगा. CIBIL स्कोर, ऋणदाता के लिए शुरुआती इम्प्रेशन के तौर पर काम करता है, स्कोर जितना अधिक होगा, आपके ऋण की समीक्षा होने और स्वीकृत होने की संभावनाएं उतनी ही बेहतर होंगीं. ऋण दिए जाने का फैसला पूरी तरह ऋणदाता पर निर्भर है और CIBIL किसी भी मामले में यह फैसला नहीं करता है कि ऋण/क्रेडिट कार्ड की स्वीकृति दी जानी चाहिए या नहीं.

अपने क्रेडिट स्कोर को मैं कैसे सुधार सकता हूँ?

आप अच्छा क्रेडिट इतिहास बरकरार रखते हुए अपने क्रेडिट स्कोर को सुधार सकते हैं. इसे कर्जदाताओं द्वारा सकारात्मक रूप से देखा जा सकता है और इसे 6 सरल नियमों के साथ किया जा सकता है :

हमेशा अपनी देय राशि समय पर अदा करें.

विलंबित भुगतानों को देनदारों द्वारा नकारात्मक रूप से देखा जाता है.

अपने बैलेंस हमेशा कम रखें.

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अत्यधिक क्रेडिट का उपयोग करना हमेशा उचित नहीं होता, अपने इस उपयोग को नियंत्रित रखें.

क्रेडिट का स्वस्थ मेल बरकरार रखें.

संरक्षित (जैसे होम लोन, ऑटो लोन) और असंरक्षित लोन्स (जैसे पसर्नल लोन, क्रेडिट कार्डस) का स्वस्थ मेल रखना बेहतर है. बहुत अधिक असंरक्षित लोन्स को नकारात्मक रूप से देखा जा सकता है.

नए क्रेडिट का आवेदन मध्यम तरीके से करें.

आप क्रेडिट को अत्यधिक आवश्यकता के रूप में नहीं दिखाएं, नई क्रेडिट के लिए सावधानी से आवेदन करें.

अपने सह हस्ताक्षरकर्ता, गारंटीशुदा और संयुक्त अकाउंट्स की निगरानी मासिक रूप से करें.

सह- हस्ताक्षरकर्ता, गारंटीशुदा या संयुक्त रूप से धारित खातों में हुए गलत भुगतानों के लिए आपको बराबर का जिम्मेदार माना जाता है. आपके सह धारक (या गारंटीड व्यक्ति) की लापरवाही आपके ज़रूरत के समय में क्रेडिट पाने के लिए आपकी क्षमता को प्रभावित कर सकती है.

पूरे वर्ष अपने क्रेडिट इतिहास की बार-बार समीक्षा करते रहें.

लोन आवेदन की अस्वीकृति जैसे दुर्भाग्यपूर्ण प्रसंगों को टालने के लिए समय-समय पर अपनी सीआईआर खरीदते रहें.

मेरे क्रेडिट स्कोर को कौन से प्रमुख कारक प्रभावित करते हैं?

CIBIL स्कोर, आपके क्रेडिट इतिहास की 3 अंकों का सांख्यिक सारांश है, जिसे आपकी CIBIL रिपोर्ट पर मौजूद 'खाते' और 'पूछताछ' अनुभागों में मिलने वाले विवरण का उपयोग करके प्राप्त किया जाता है और यह 300 से 900 के बीच होता है. 

आपका स्कोर 900 के जितना करीब होता है, आपके ऋण आवेदन के स्वीकृत होने की उतनी ही ज़्यादा संभावनाएं होती हैं.

4 maor factors

. क्या CIBIL मेरे रिकॉर्ड को हटा सकता है या उसमें बदलाव कर सकता है?

CIBIL आपकी CIR में प्रदर्शित रिकॉर्ड को हटा नहीं सकता या उसमें बदलाव नहीं कर सकता है; हम सिर्फ़ अपने सदस्यों (बैंकों और वित्तीय संस्थानों) द्वारा हमें दिए गए व्यक्तियों के रिकॉर्ड को एकत्रित करते हैं. इसमें कोई ‘अच्छा’ और ‘खराब’ क्रेडिट या डिफ़ॉल्टर की सूची भी नहीं होती है.

जब मेरा स्कोर "NA" या "NH” होता है, तो इसका क्या मतलब होता है?

“NA” या “NH” का स्कोर होना किसी भी तरह से खराब बिल्कुल नहीं है. इसका मतलब नीचे दिए गए आशय में से कोई एक हो सकता है:

आपके पास कोई क्रेडिट इतिहास नहीं है या आपके पास स्कोर बताने के लिए कोई क्रेडिट इतिहास नहीं है यानी आप क्रेडिट सिस्टम में नए हैं.

पिछले कुछ वर्षों में आपकी कोई क्रेडिट गतिविधि नहीं है

आपके पास सभी एड-ऑन क्रेडिट कार्ड हैं और आपका कोई भी क्रेडिट एक्सपोज़र नहीं है

यह नोट करना महत्वपूर्ण है कि जबकि इन स्कोर को ऋणदाता द्वारा नकारात्मक रूप से नहीं देखा जा सकता है, फिर भी कुछ ऋणदाताओं की क्रेडिट नीति उन्हें “NA” या “NH” (ऐसे आवेदक जिनका कोई भी क्रेडिट ट्रैक रिकॉर्ड नहीं है) 

स्कोर वाले आवेदकों को ऋण प्रदान करने से रोकती है. इसलिए, हो सकता है कि किसी अन्य स्थान पर ऋण के लिए आवेदन करने पर आपके लिए बेहतर संभावनाएं मौजूद हों.

सिबिल ट्रांसयूनियन स्कोर 2.0 क्या है?

CIBIL स्कोर 2.0, CIBIL स्कोर का नया, अपडेट किया गया संस्करण है, जिसे उपभोक्ता की प्रोफ़ाइल और क्रेडिट डेटा के मौजूदा रुझानों और बदलावों को ध्यान में रखकर डिज़ाइन किया गया है. 

बैंक तेज़ी से नए संस्करण पर स्विच कर रहे हैं और हो सकता है कि पुराने संस्करण से तुलना करने पर आपको नए संस्करण में अंतर दिखाई दे (यानी, हो सकता है कि स्कोर 2.0, पुराने संस्करण के मुकाबले कम हो). 

कृपया ध्यान दें, डैशबोर्ड पर प्रदर्शित स्कोर, पुराना संस्करण है. हालांकि, क्रेडिट स्कोर में इस अंतर से ऋण स्वीकृति की प्रक्रिया के दौरान क्रेडिट से जुड़े फैसलों पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता है

 क्योंकि ऋण के आवेदन को प्रोसेस करते समय स्कोर के दोनों संस्करणों की पात्रता सीमा अलग अलग हो सकती है. ऋणदाता, जिस संस्करण का उपयोग कर रहे हैं, उस पर निर्भर करते हुए उनका ऋण योग्यता का मापदंड अलग-अलग हो सकता है. 

CIBIL स्कोर 2.0 में उन व्यक्तियों के लिए जोखिम इंडेक्स स्कोर सीमा भी प्रस्तुत की गई है, जिनका क्रेडिट इतिहास 6 माह से कम समय का है. इन व्यक्तियों को पुराने संस्करण में

 “कोई इतिहास नहीं– NH” की श्रेणी के तहत श्रेणीबद्ध किया गया था. इस स्कोर की सीमा 1 – 5 है, जिसमें 1 “उच्च जोखिम” को और 5 “कम जोखिम” दर्शाता है.

स्कोर और इंडेक्स

  व्याख्या (यानी यह स्कोर किन लोगों के लिए प्रदर्शित होता है)

NA या NH

·     व्यक्ति का कोई क्रेडिट इतिहास नहीं है; इसलिए हमें कोई भी जानकारी रिपोर्ट नहीं की गई है

·     व्यक्ति की क्रेडिट रिपोर्ट में सिर्फ़ पूछताछ हो सकती है यानी बैंकों ने क्रेडिट रिपोर्ट को एक्सेस किया है लेकिन उसे कोई भी ऋण नहीं दिया हो

·     उस व्यक्ति के लिए हमें पिछले 24 महीनों में क्रेडिट की कोई जानकारी रिपोर्ट नहीं की गई हो

1-5

·     व्यक्ति का क्रेडिट इतिहास 6 माह से कम अवधि पहले का हो

·     यह इंडेक्स जितना उच्च होगा, जोखिम उतना ही कम होगा

300-900

·    व्यक्ति का क्रेडिट इतिहास 6 माह से ज़्यादा अवधि का है और उसके क्रेडिट इतिहास की जानकारी हमें पिछले 24 माह में की गई हो

·     यह स्कोर जितना उच्च होगा, जोखिम उतना ही कम होगा

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9.16.2020

Delhi Polytechnic Admission 2020 (Started)

 Delhi Polytechnic Admission 2020 (Started)

आवेदक ककसी भी इंटरनेट सु ववधा केन्द्र से ऑनलाइन प्रवेश फार्म वेबसाईट द्वारा भर सकता है।

आवेदक पंजीकरण हेतु Home Page पर उपलब्ध पंजीकरण

बटन पर Click करे। पंजीकरण फार्म को सफलता...

~ Guidelines in Hindi-1👇

~ Guidelines in Hindi - 2👇


~ Guidelines in Hindi - 3👇


~ Guidelines in Hindi - 4👇


~ Guidelines in Hindi - 5👇

Delhi Polytechnic Admission 2020 (Started)

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गिलोय एक इसके काम अनेक, हर मर्ज कि एक दवा !!

गिलोय एक इसके काम अनेक, हर मर्ज कि एक दवा !!

 गिलोय एक ही ऐसी बेल है, जिसे आप सौ मर्ज की एक दवा कह सकते हैं। इसलिए इसे संस्कृत में अमृता नाम दिया गया है। कहते हैं कि देवताओं और दानवों के बीच समुद्र मंथन के दौरान जब अमृत निकला और इस अमृत की बूंदें जहां-जहां छलकीं, वहां-वहां गिलोय की उत्पत्ति हुई।

Giloy को मिथिला में गुरगुज भी कहते हैं


इसका वानस्पिक नाम( Botanical name) टीनोस्पोरा कॉर्डीफोलिया (tinospora cordifolia है। इसके पत्ते पान के पत्ते जैसे दिखाई देते हैं और जिस पौधे पर यह चढ़ जाती है, उसे मरने नहीं देती। इसके बहुत सारे लाभ आयुर्वेद में बताए गए हैं, जो न केवल आपको सेहतमंद रखते हैं, बल्कि आपकी सुंदरता को भी निखारते हैं। आइए जानते हैं गिलोय के फायदे…


गिलोय बढ़ाती है रोग प्रतिरोधक क्षमता


गिलोय एक ऐसी बेल है, जो व्यक्ति की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ा कर उसे बीमारियों से दूर रखती है। इसमें भरपूर मात्रा में एंटीऑक्सीडेंट्स होते हैं, जो शरीर में से विषैले पदार्थों को बाहर निकालने का काम करते हैं। यह खून को साफ करती है, बैक्टीरिया से लड़ती है। लिवर और किडनी की अच्छी देखभाल भी गिलोय के बहुत सारे कामों में से एक है। ये दोनों ही अंग खून को साफ करने का काम करते हैं।


ठीक करती है बुखार


अगर किसी को बार-बार बुखार आता है तो उसे गिलोय का सेवन करना चाहिए। गिलोय हर तरह के बुखार से लडऩे में मदद करती है। इसलिए डेंगू के मरीजों को भी गिलोय के सेवन की सलाह दी जाती है। डेंगू के अलावा मलेरिया, स्वाइन फ्लू में आने वाले बुखार से भी गिलोय छुटकारा दिलाती है।


गिलोय के फायदे – मधुमेह के रोगियों के लिए


गिलोय एक हाइपोग्लाइसेमिक एजेंट है यानी यह खून में शर्करा की मात्रा को कम करती है। इसलिए इसके सेवन से खून में शर्करा की मात्रा कम हो जाती है, जिसका फायदा टाइप टू डायबिटीज के मरीजों को होता है।


पाचन शक्ति बढ़ाती है


यह बेल पाचन तंत्र के सारे कामों को भली-भांति संचालित करती है और भोजन के पचने की प्रक्रिया में मदद कती है। इससे व्यक्ति कब्ज और पेट की दूसरी गड़बडिय़ों से बचा रहता है।


कम करती है स्ट्रेस


गलाकाट प्रतिस्पर्धा के इस दौर में तनाव या स्ट्रेस एक बड़ी समस्या बन चुका है। गिलोय एडप्टोजन की तरह काम करती है और मानसिक तनाव और चिंता (एंजायटी) के स्तर को कम करती है। इसकी मदद से न केवल याददाश्त बेहतर होती है बल्कि मस्तिष्क की कार्यप्रणाली भी दुरूस्त रहती है और एकाग्रता बढ़ती है।


बढ़ाती है आंखों की रोशनी


गिलोय को पलकों के ऊपर लगाने पर आंखों की रोशनी बढ़ती है। इसके लिए आपको गिलोय पाउडर को पानी में गर्म करना होगा। जब पानी अच्छी तरह से ठंडा हो जाए तो इसे पलकों के ऊपर लगाएं।


अस्थमा में भी फायदेमंद


मौसम के परिवर्तन पर खासकर सर्दियों में अस्थमा को मरीजों को काफी परेशानी होती है। ऐसे में अस्थमा के मरीजों को नियमित रूप से गिलोय की मोटी डंडी चबानी चाहिए या उसका जूस पीना चाहिए। इससे उन्हें काफी आराम मिलेगा।


गठिया में मिलेगा आराम


गठिया यानी आर्थराइटिस में न केवल जोड़ों में दर्द होता है, बल्कि चलने-फिरने में भी परेशानी होती है। गिलोय में एंटी आर्थराइटिक गुण होते हैं, जिसकी वजह से यह जोड़ों के दर्द सहित इसके कई लक्षणों में फायदा पहुंचाती है।


अगर हो गया हो एनीमिया, तो करिए गिलोय का सेवन


भारतीय महिलाएं अक्सर एनीमिया यानी खून की कमी से पीडि़त रहती हैं। इससे उन्हें हर वक्त थकान और कमजोरी महसूस होती है। गिलोय के सेवन से शरीर में लाल रक्त कणिकाओं की संख्या बढ़ जाती है और एनीमिया से छुटकारा मिलता है।


बाहर निकलेगा कान का मैल


कान का जिद्दी मैल बाहर नहीं आ रहा है तो थोड़ी सी गिलोय को पानी में पीस कर उबाल लें। ठंडा करके छान के कुछ बूंदें कान में डालें। एक-दो दिन में सारा मैल अपने आप बाहर जाएगा।


कम होगी पेट की चर्बी


गिलोय शरीर के उपापचय (मेटाबॉलिजम) को ठीक करती है, सूजन कम करती है और पाचन शक्ति बढ़ाती है। ऐसा होने से पेट के आस-पास चर्बी जमा नहीं हो पाती और आपका वजन कम होता है।


यौनेच्छा बढ़ाती है गिलोय


आप बगैर किसी दवा के यौनेच्छा बढ़ाना चाहते हैं तो गिलोय का सेवन कर सकते हैं। गिलोय में यौनेच्छा बढ़ाने वाले गुण पाए जाते हैं, जिससे यौन संबंध बेहतर होते हैं।


खूबसूरती बढ़ाती है गिलोय


गिलोय न केवल सेहत के लिए बहुत फायदेमंद है, बल्कि यह त्वचा और बालों पर भी चमत्कारी रूप से असर करती है….


जवां रखती है गिलोय


गिलोय में एंटी एजिंग गुण होते हैं, जिसकी मदद से चेहरे से काले धब्बे, मुंहासे, बारीक लकीरें और झुर्रियां दूर की जा सकती हैं। इसके सेवन से आप ऐसी निखरी और दमकती त्वचा पा सकते हैं, जिसकी कामना हर किसी को होती है। अगर आप इसे त्वचा पर लगाते हैं तो घाव बहुत जल्दी भरते हैं। त्वचा पर लगाने के लिए गिलोय की पत्तियों को पीस कर पेस्ट बनाएं। अब एक बरतन में थोड़ा सा नीम या अरंडी का तेल उबालें। गर्म तेल में पत्तियों का पेस्ट मिलाएं। ठंडा करके घाव पर लगाएं। इस पेस्ट को लगाने से त्वचा में कसावट भी आती है।


बालों की समस्या भी होगी दूर


अगर आप बालों में ड्रेंडफ, बाल झडऩे या सिर की त्वचा की अन्य समस्याओं से जूझ रहे हैं तो गिलोय के सेवन से आपकी ये समस्याएं भी दूर हो जाएंगी।


गिलोय का प्रयोग ऐसे करें:-


अब आपने गिलोय के फायदे जान लिए हैं, तो यह भी जानिए कि गिलोय को इस्तेमाल कैसे करना है…


गिलोय जूस


गिलोय की डंडियों को छील लें और इसमें पानी मिलाकर मिक्सी में अच्छी तरह पीस लें। छान कर सुबह-सुबह खाली पेट पीएं। अलग-अलग ब्रांड का गिलोय जूस भी बाजार में उपलब्ध है।


काढ़ा


चार इंच लंबी गिलोय की डंडी को छोटा-छोटा काट लें। इन्हें कूट कर एक कप पानी में उबाल लें। पानी आधा होने पर इसे छान कर पीएं। अधिक फायदे के लिए आप इसमें लौंग, अदरक, तुलसी भी डाल सकते हैं।


पाउडर


यूं तो गिलोय पाउडर बाजार में उपलब्ध है। आप इसे घर पर भी बना सकते हैं। इसके लिए गिलोय की डंडियों को धूप में अच्छी तरह से सुखा लें। सूख जाने पर मिक्सी में पीस कर पाउडर बनाकर रख लें।


गिलोय वटी


बाजार में गिलोय की गोलियां यानी टेबलेट्स भी आती हैं। अगर आपके घर पर या आस-पास ताजा गिलोय उपलब्ध नहीं है तो आप इनका सेवन करें।


साथ में अलग-अलग बीमारियों में आएगी काम


अरंडी यानी कैस्टर के तेल के साथ गिलोय मिलाकर लगाने से गाउट(जोड़ों का गठिया) की समस्या में आराम मिलता है।इसे अदरक के साथ मिला कर लेने से रूमेटाइड आर्थराइटिस की समस्या से लड़ा जा सकता है।चीनी के साथ इसे लेने से त्वचा और लिवर संबंधी बीमारियां दूर होती हैं।आर्थराइटिस से आराम के लिए इसे घी के साथ इस्तेमाल करें।कब्ज होने पर गिलोय में गुड़ मिलाकर खाएं।


साइड इफेक्ट्स का रखें ध्यान


वैसे तो गिलोय को नियमित रूप से इस्तेमाल करने के कोई गंभीर दुष्परिणाम अभी तक सामने नहीं आए हैं लेकिन चूंकि यह खून में शर्करा की मात्रा कम करती है। इसलिए इस बात पर नजर रखें कि ब्लड शुगर जरूरत से ज्यादा कम न हो जाए। *गर्भवती और स्तनपान कराने वाली महिलाओं को गिलोय के सेवन से बचना चाहिए।पांच साल से छोटे बच्चों को गिलोय का प्रयोग ना करने दें आप .

_एक निवेदन :---अभी वर्षाऋतु का काल है अपने घर में, बड़े गमले या आंगन में जंहा भी उचित स्थान हो गिलोय की बेल अवश्य लगायें एवं स्वजनों को भी देवें. यह बहु उपयोगी वनस्पति ही नही बल्कि आयुर्वेद का अमृत और ईश्वरीय अवदान है ।

9.05.2020

अब इन लोगो का नहीं बनेगा ड्राइविंग लाईसेंस

 अब इन लोगो का नहीं बनेगा ड्राइविंग लाईसेंस

Driving


ड्राइविंग करना तो सबका शौक होता है आपको जैसे ही गाडी चलाना आ जाती है आप वैसे ही अपना ड्राइविंग लाईसेंस अप्लाई कर देते है लेकिन वाही कुछ लोग ओसेसे भी होते है जो अपना ड्राइविंग लाईसेंस पाने के लिए बेचोलिये की मदद लेते है और ये बिचोलिये बिना किसिस टेस्ट के इन्हें इनका ड्राइविंग लाईसेंस प्रोवाइड करवा देते है !

यातायात परिवहन विभाग ने बड़ा फेरबदल किया


लेकिन अब यातायात परिवहन विभाग ने बड़ा फेरबदल किया है अब आपको अपना ड्राइविंग लाइसेंस बनवाना है तो इसके लिए आपको गाड़ी चलाना भी आना चाहिए। जी हां, क्षेत्रीय परिवहन कार्यालय में जल्द ही इंदौर की तर्ज पर ऑटोमेटेड ड्राइविंग टेस्ट सेंटर बनेगा। जिससे उन लोगों के ही ड्राइविंग लाइसेंस बन सकेंगे जिन्हें गाड़ी चलाना आता होगा। अभी तक जो भी दलाल के माध्यम से लाइसेंस बनवाने पहुंचता था उसे गाड़ी चलाकर दिखाने की जरूरत नहीं होती थी, लेकिन अब ऐसा नहीं होगा।

जिले में अब ड्राइविंग लाइसेंस बनवाने के लिए ऑटोमेटेड ड्राइविंग टेस्ट सेंटर में जाना होगा। यहां पर लाइसेंस बनवाने वाले व्यक्ति को इसी आधुनिक ट्रेक पर ही वाहन चलाना होगा। अगर आपका वाहन जरा भी ट्रेक को छुआ या बाहर आया, तो अकुशल मानकर लाइसेंस प्रक्रिया से बाहर कर दिया जाएगा। इस प्रक्रिया से एक ओर अपात्र व्यक्ति का लाइसेंस नहीं बन सकेगा, वहीं दलालों के चंगुल से भी लोगों को मुक्ति मिलेगी।

वहीं लोग ड्राइविंग टेस्ट के लिए ऑनलाइन ही अपाइंटमेंट लिया जा सकेगा और स्टेटस की जानकारी भी कभी भी प्राप्त की जा सकेगी। साथ ही साथ अब लोगों के लर्निंग लाइसेंस लेने के लिए दफ्तर के चक्कर नहीं काटने पड़ेंगा। सीधे घर पर ही आपका लाइसेंस पहुंच जाएगा।

मध्यप्रदेश सरकार ने वाहन के रिन्यूवल की अंतिम तारीख 31 दिसंबर 2020 तक के लिए बढ़ा दी है। जिसमें ड्राइविंग लाइसेंस, फिटनेस परमिट, पंजीयन प्रमाण पत्र सहित अन्य वाहनों के दस्तावेज शामिल हैं। इस बारे में परिवहन आयुक्त मुकेश जैन ने आदेश जारी किए हैं। अब दिसंबर महीने तक वे लोग चालान से बच सकेंगे जिनके दस्तावेज रिन्यूवल नहीं हो पाए हैं। हालांकि 31 दिसंबर तक हर हाल में ड्राइविंग लाइसेंस, फिटनेस परमिट, पंजीयन प्रमाण पत्र बनवाना होगा।

Happy Teacher Day | शिक्षक दिवस की शुभकामनाएं | 5 Most Important Knowledge Of Teachers Day

 10 Most Important Knowledge Of Teachers Day




1. भारत में शिक्षक दिवस 5 सितंबर को मनाया जाता है जबकि अंतर्राष्ट्रीय शिक्षक दिवस का आयोजन 5 अक्टूबर को होता है। रोचक तथ्य यह है कि शिक्षक दिवस दुनिया भर में मनाया जाता है लेकिन सबने इसके लिए एक अलग दिन निर्धारित किया है। कुछ देशों में इस दिन अवकाश रहता है तो कहीं-कहीं यह कामकाजी दिन ही रहता है।
 
2  यूनेस्को ने 5 अक्टूबर को अंतर्राष्ट्रीय शिक्षक दिवस घोषित किया था। साल 1994 से ही इसे मनाया जा रहा है। शिक्षकों के प्रति सहयोग को बढ़ावा देने और भविष्य की पीढ़ियों की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए शिक्षकों के महत्व के प्रति जागरूकता लाने के मकसद से इसकी शुरुआत की गई थी।

3.  भारत में डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन के सम्मान में 5 सितम्बर को शिक्षक दिवस मनाया जाता है। इस दिन देश के द्वितीय राष्ट्रपति रहे राधाकृष्णन का जन्मदिवस होता है।

 चीन में शिक्षक दिवस की शुरूआत


4  चीन में 1931 में नेशनल सेंट्रल यूनिवर्सिटी में शिक्षक दिवस की शुरूआत की गई थी। चीन सरकार ने 1932 में इसे स्वीकृति दी। बाद में 1939 में कन्फ्यूशियस के जन्मदिवस, 27 अगस्त को शिक्षक दिवस घोषित किया गया लेकिन 1951 में इस घोषणा को वापस ले लिया गया। 
 

5  साल 1985 में 10 सितंबर को शिक्षक दिवस घोषित किया गया। अब चीन के ज्यादातर लोग फिर से चाहते हैं कि कन्फ्यूशियस का जन्मदिवस ही शिक्षक दिवस हो।

6.  रूस में 1965 से 1994 तक अक्टूबर महीने के पहले रविवार के दिन शिक्षक दिवस मनाया जाता रहा। साल 1994 से विश्व शिक्षक दिवस 5 अक्टूबर को ही मनाया जाने लगा।
 
7 अमेरिका में मई के पहले पूर्ण सप्ताह के मंगलवार को शिक्षक दिवस घोषित किया गया है और वहां सप्ताहभर इसके आयोजन होते हैं।

 थाइलैंड में शिक्षक दिवस

Happy Teacher's Day


8  थाइलैंड में हर साल 16 जनवरी को राष्ट्रीय शिक्षक दिवस मनाया जाता है। यहां 21 नवंबर, 1956 को एक प्रस्ताव लाकर शिक्षक दिवस को स्वीकृति दी गई थी। पहला शिक्षक दिवस 1957 में मनाया गया था। इस दिन यहां स्कूलों में अवकाश रहता है। 

9.  ईरान में वहां के प्रोफेसर अयातुल्लाह मोर्तेजा मोतेहारी की हत्या के बाद उनकी याद में दो मई को शिक्षक दिवस मनाया जाता है। मोतेहारी की दो मई, 1980 को हत्या कर दी गई थी।
 
10  तुर्की में 24 नवंबर को शिक्षक दिवस मनाया जाता है। वहां के पहले राष्ट्रपति कमाल अतातुर्क ने यह घोषणा की थी। मलेशिया में इसे 16 मई को मनाया जाता है, वहां इस खास दिन को 'हरि गुरु' कहते हैं।

 

9.01.2020

Vishnu Astambh | विश्णु स्तम्भ को अकबर ने नहीं बनाया देखिये सबूत

 कुतुबुद्दीन ऐबक, और विष्णु स्तंभ (क़ुतुबमीनार) का सच जो हम लोगों से छुपाया गया

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किसी भी देश पर शासन करना है तो उस देश के लोगों का ऐसा ब्रेनवाश कर दो कि वो अपने देश, अपनी संसकृति और अपने पूर्वजों पर गर्व करना छोड़ दें । इस्लामी हमलावरों और उनके बाद अंग्रेजों ने भी भारत में यही किया. हम अपने पूर्वजों पर गर्व करना भूलकर उन अत्याचारियों को महान समझने लगे जिन्होंने भारत पर बे हिसाब जुल्म किये थे ।


 

अगर आप दिल्ली घुमने गए है तो आपने कभी विष्णू स्तम्भ (क़ुतुबमीनार) को भी अवश्य देखा होगा. जिसके बारे में बताया जाता है कि उसे कुतुबुद्दीन ऐबक ने बनबाया था. हम कभी जानने की कोशिश भी नहीं करते हैं कि कुतुबुद्दीन कौन था, उसने कितने बर्ष दिल्ली पर शासन किया, उसने कब विष्णू स्तम्भ (क़ुतुबमीनार) को बनवाया या विष्णू स्तम्भ (कुतूबमीनार) से पहले वो और क्या क्या बनवा चुका था ?


दो खरीदे हुए गुलाम

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कुतुबुद्दीन ऐबक, मोहम्मद गौरी का खरीदा हुआ गुलाम था. मोहम्मद गौरी भारत पर कई हमले कर चुका था मगर हर बार उसे हारकर वापस जाना पडा था. ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती की जासूसी और कुतुबुद्दीन की रणनीति के कारण मोहम्मद गौरी, तराइन की लड़ाई में पृथ्वीराज चौहान को हराने में कामयाबी रहा और अजमेर / दिल्ली पर उसका कब्जा हो गया ।


ढाई दिन का झोपड़ा

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अजमेर पर कब्जा होने के बाद मोहम्मद गौरी ने चिश्ती से इनाम मांगने को कहा. तब चिश्ती ने अपनी जासूसी का इनाम मांगते हुए, एक भव्य मंदिर की तरफ इशारा करके गौरी से कहा कि तीन दिन में इस मंदिर को तोड़कर मस्जिद बना कर दो. तब कुतुबुद्दीन ने कहा आप तीन दिन कह रहे हैं मैं यह काम ढाई दिन में कर के आपको दूंगा  ।


कुतुबुद्दीन ने ढाई दिन में उस मंदिर को तोड़कर मस्जिद में बदल दिया. आज भी यह जगह "अढाई दिन का झोपड़ा" के नाम से जानी जाती है. जीत के बाद मोहम्मद गौरी, पश्चिमी भारत की जिम्मेदारी "कुतुबुद्दीन" को और पूर्वी भारत की जिम्मेदारी अपने दुसरे सेनापति "बख्तियार खिलजी" (जिसने नालंदा को जलाया था) को सौंप कर वापस चला गय था ।


दोनों गुलाम को शासन

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कुतुबुद्दीन कुल चार साल ( 1206 से 1210 तक) दिल्ली का शासक रहा. इन चार साल में वो अपने राज्य का विस्तार, इस्लाम के प्रचार और बुतपरस्ती का खात्मा करने में लगा रहा. हांसी, कन्नौज, बदायूं, मेरठ, अलीगढ़, कालिंजर, महोबा, आदि को उसने जीता. अजमेर के विद्रोह को दबाने के साथ राजस्थान के भी कई इलाकों में उसने काफी आतंक मचाय ।


विष्णु स्तम्भ 

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जिसे क़ुतुबमीनार कहते हैं वो महाराजा वीर विक्रमादित्य की वेदशाला थी. जहा बैठकर खगोलशास्त्री वराहमिहर ने ग्रहों, नक्षत्रों, तारों का अध्ययन कर, भारतीय कैलेण्डर "विक्रम संवत" का आविष्कार किया था. यहाँ पर 27 छोटे छोटे भवन (मंदिर) थे जो 27 नक्षत्रों के प्रतीक थे और मध्य में विष्णू स्तम्भ था, जिसको ध्रुव स्तम्भ भी कहा जाता था ।


दिल्ली पर कब्जा करने के बाद उसने उन 27 मंदिरों को तोड दिया. विशाल विष्णु स्तम्भ को तोड़ने का तरीका समझ न आने पर उसने उसको तोड़ने के बजाय अपना नाम दे दिया. तब से उसे क़ुतुबमीनार कहा जाने लगा. कालान्तर में यह यह झूठ प्रचारित किया गया कि क़ुतुब मीनार को कुतुबुद्दीन ने बनबाया था. जबकि वो एक विध्वंशक था न कि कोई निर्माता.


कुतुबुद्दीन ऐबक की मौत का सच

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अब बात करते हैं कुतुबुद्दीन की मौत की. इतिहास की किताबो में लिखा है कि उसकी मौत पोलो खेलते समय घोड़े से गिरने पर से हुई. ये अफगान / तुर्क लोग "पोलो" नहीं खेलते थे, पोलो खेल अंग्रेजों ने शुरू किया. अफगान / तुर्क लोग बुजकशी खेलते हैं जिसमे एक बकरे को मारकर उसे लेकर घोड़े पर भागते है, जो उसे लेकर मंजिल तक पहुंचता है, वो जीतता है ।


कुतबुद्दीन ने अजमेर के विद्रोह को कुचलने के बाद राजस्थान के अनेकों इलाकों में कहर बरपाया था. उसका सबसे कडा विरोध उदयपुर के राजा ने किया, परन्तु कुतुबद्दीन उसको हराने में कामयाब रहा. उसने धोखे से राजकुंवर कर्णसिंह को बंदी बनाकर और उनको जान से मारने की धमकी देकर, राजकुंवर और उनके घोड़े शुभ्रक को पकड कर लाहौर ले आया.


एक दिन राजकुंवर ने कैद से भागने की कोशिश की, लेकिन पकड़ा गया. इस पर क्रोधित होकर कुतुबुद्दीन ने उसका सर काटने का हुकुम दिया. दरिंदगी दिखाने के लिए उसने कहा कि बुजकशी खेला जाएगा लेकिन इसमें बकरे की जगह राजकुंवर का कटा हुआ सर इस्तेमाल होगा. कुतुबुद्दीन ने इस काम के लिए, अपने लिए घोड़ा भी राजकुंवर का "शुभ्रक" चुना.


कुतुबुद्दीन "शुभ्रक" घोडे पर सवार होकर अपनी टोली के साथ जन्नत बाग में पहुंचा. राजकुंवर को भी जंजीरों में बांधकर वहां लाया गया. राजकुंवर का सर काटने के लिए जैसे ही उनकी जंजीरों को खोला गया, शुभ्रक घोडे ने उछलकर कुतुबुद्दीन को अपनी पीठ से नीचे गिरा दिया और अपने पैरों से उसकी छाती पर कई बार किये, जिससे कुतुबुद्दीन वहीं पर मर गया ।


शुभ्रत मरकर भी अमर हो गया

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इससे पहले कि सिपाही कुछ समझ पाते राजकुवर शुभ्रक घोडे पर सवार होकर वहां से निकल गए. कुतुबुदीन के सैनिको ने उनका पीछा किया मगर वो उनको पकड न सके. शुभ्रक कई दिन और कई रात दौड़ता रहा और अपने स्वामी को लेकर उदयपुर के महल के सामने आ कर रुका. वहां पहुंचकर जब राजकुंवर ने उतर कर पुचकारा तो वो मूर्ति की तरह शांत खडा रहा ।


वो मर चुका था, सर पर हाथ फेरते ही उसका निष्प्राण शरीर लुढ़क गया. कुतुबुद्दीन की मौत और शुभ्रक की स्वामिभक्ति की इस घटना के बारे में हमारे स्कूलों में नहीं पढ़ाया जाता है लेकिन इस घटना के बारे में फारसी के प्राचीन लेखकों ने काफी लिखा है. धन्य है भारत की भूमि जहाँ इंसान तो क्या जानवर भी अपनी स्वामी भक्ति के लिए प्राण दांव पर लगा देते हैं ।

       -साभार

8.31.2020

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