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क्यों है सावन की विशेषता?

हिन्दू धर्म की पौराणिक मान्यता के अनुसार सावन महीने को देवों के देव महादेव भगवान शंकर का महीना माना जाता है। इस संबंध में पौराणिक कथा है कि जब सनत कुमारों ने महादेव से उन्हें सावन महीना प्रिय होने का कारण पूछा तो महादेव भगवान शिव ने बताया कि जब देवी सती ने अपने पिता दक्ष के घर में योगशक्ति से शरीर त्याग किया था, उससे पहले देवी सती ने महादेव को हर जन्म में पति के रूप में पाने का प्रण किया था। अपने दूसरे जन्म में देवी सती ने पार्वती के नाम से हिमाचल और रानी मैना के घर में पुत्री के रूप में जन्म लिया। पार्वती ने युवावस्था के सावन महीने में निराहार रह कर कठोर व्रत किया और उन्हें प्रसन्न कर विवाह किया, जिसके बाद ही महादेव के लिए यह विशेष हो गया।

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9.07.2021

प्राचीन भारत की प्रमुख व्युह रचनाएं कितनी थी ? व्यूह रचनाओं को किस तरह निर्माण किया जाता था ?

 🚩🚩 प्राचीन महाभारत की प्रमुख व्युह रचनाएं 🚩🚩


“महाभारत” एक ऐसा महाग्रंथ है जिसमे निहित ज्ञान आज भी प्रासंगिक है| इसमें बताये गए युद्ध के १८ दिनों में तरह तरह की रणनीतिया और व्यूह रचे गए थे | जैसे अर्धचंद्र, वज्र, और सबसे अधिक प्रसिद्ध चक्रव्यूह |



आखिर कैसे दिखते थे, कैसे निर्माण होता था इन व्यूहों का??  कैसा था चक्र व्यूह? यह सब जानने के लिए निम्नलिखित लेख पढ़े.........


🔸 #वज्र_व्यूह 🚩



महाभारत युद्ध के प्रथम दिन अर्जुन ने अपनी सेना को इस व्यूह के आकार में सजाया था| इसका आकार देखने में इन्द्रदेव के वज्र जैसा होता था अतः इस प्रकार के व्यूह को "वज्र व्यूह" कहते हैं|


🔸 #क्रौंच_व्यूह 🚩



क्रौंच एक पक्षी होता है, जिसे आधुनिक अंग्रेजी भाषा में Demoiselle Crane कहते हैं| ये सारस की एक प्रजाति है| इस व्यूह का आकार इसी पक्षी की तरह होता है| युद्ध के दूसरे दिन युधिष्ठिर ने पांचाल पुत्र को इसी क्रौंच व्यूह से पांडव सेना सजाने का सुझाव दिया था| राजा द्रुपद इस पक्षी के सिर की तरफ थे, तथा कुन्तीभोज इसकी आँखों के स्थान पर थे| आर्य सात्यकि की सेना इसकी गर्दन के स्थान पर थी| भीम तथा पांचाल पुत्र इसके पंखो (Wings) के स्थान पर थे| द्रोपदी के पांचो पुत्र तथा आर्य सात्यकि इसके पंखो की सुरक्षा में तैनात थे| इस तरह से हम देख सकते है की, ये व्यूह बहुत ताकतवर एवं असरदार था| पितामह भीष्म ने स्वयं इस व्यूह से अपनी कौरव सेना सजाई थी| भूरिश्रवा तथा शल्य इसके पंखो की सुरक्षा कर रहे थे| सोमदत्त, अश्वत्थामा, कृपाचार्य और कृतवर्मा इस पक्षी के विभिन्न अंगों का दायित्व संभाल रहे थे|


🔸 #अर्धचन्द्र_व्यूह 🚩



इसकी रचना अर्जुन ने कौरवों के गरुड़ व्यूह के प्रत्युत्तर में की थी| पांचाल पुत्र ने इस व्यूह को बनाने में अर्जुन की सहायता की थी| इसके दाहिने तरफ भीम थे

 

🔸 #मंडल_व्यूह 🚩



भीष्म पितामह ने युद्ध के सांतवे दिन कौरव सेना को इसी मंडल व्यूह द्वारा सजाया था| इसका गठन परिपत्र रूप में होता था| ये बेहद कठिन व्यूहों में से एक था, पर फिर भी पांडवों ने इसे वज्र व्यूह द्वारा भेद दिया था| इसके प्रत्युत्तर में भीष्म ने "औरमी व्यूह" की रचना की थी; इसका तात्पर्य होता है समुद्र| ये समुद्र की लहरों के समान प्रतीत होता था| फिर इसके प्रत्युत्तर में अर्जुन ने "श्रीन्गातका व्यूह" की रचना की थी| ये व्यूह एक भवन के समान दिखता था|


🔸 #चक्रव्यूह 🚩



इसके बारे में सभी ने सुना है... इसकी रचना गुरु द्रोणाचार्य ने युद्ध के तेरहवें दिन की थी| दुर्योधन इस चक्रव्यूह के बिलकुल मध्य (Centre) में था| बाकि सात महारथी इस व्यूह की विभिन्न परतों (layers) में थे| इस व्यूह के द्वार पर जयद्रथ था| सिर्फ अभिमन्यु ही इस व्यूह को भेदने में सफल हो पाया| पर वो अंतिम द्वार को पार नहीं कर सका तथा बाद में ७ महारथियों द्वारा उसकी हत्या कर दी गयी|


🔸 #चक्रशकट_व्यूह 🚩


अभिमन्यु की हत्या के


पश्चात जब अर्जुन, जयद्रथ के प्राण लेने को उद्धत हुए, तब गुरु द्रोणाचार्य ने जयद्रथ की रक्षा के लिए युद्ध के चौदहवें दिन इस व्यूह की रचना की थी !!


साभार....

9.05.2020

Happy Teacher Day | शिक्षक दिवस की शुभकामनाएं | 5 Most Important Knowledge Of Teachers Day

 10 Most Important Knowledge Of Teachers Day




1. भारत में शिक्षक दिवस 5 सितंबर को मनाया जाता है जबकि अंतर्राष्ट्रीय शिक्षक दिवस का आयोजन 5 अक्टूबर को होता है। रोचक तथ्य यह है कि शिक्षक दिवस दुनिया भर में मनाया जाता है लेकिन सबने इसके लिए एक अलग दिन निर्धारित किया है। कुछ देशों में इस दिन अवकाश रहता है तो कहीं-कहीं यह कामकाजी दिन ही रहता है।
 
2  यूनेस्को ने 5 अक्टूबर को अंतर्राष्ट्रीय शिक्षक दिवस घोषित किया था। साल 1994 से ही इसे मनाया जा रहा है। शिक्षकों के प्रति सहयोग को बढ़ावा देने और भविष्य की पीढ़ियों की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए शिक्षकों के महत्व के प्रति जागरूकता लाने के मकसद से इसकी शुरुआत की गई थी।

3.  भारत में डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन के सम्मान में 5 सितम्बर को शिक्षक दिवस मनाया जाता है। इस दिन देश के द्वितीय राष्ट्रपति रहे राधाकृष्णन का जन्मदिवस होता है।

 चीन में शिक्षक दिवस की शुरूआत


4  चीन में 1931 में नेशनल सेंट्रल यूनिवर्सिटी में शिक्षक दिवस की शुरूआत की गई थी। चीन सरकार ने 1932 में इसे स्वीकृति दी। बाद में 1939 में कन्फ्यूशियस के जन्मदिवस, 27 अगस्त को शिक्षक दिवस घोषित किया गया लेकिन 1951 में इस घोषणा को वापस ले लिया गया। 
 

5  साल 1985 में 10 सितंबर को शिक्षक दिवस घोषित किया गया। अब चीन के ज्यादातर लोग फिर से चाहते हैं कि कन्फ्यूशियस का जन्मदिवस ही शिक्षक दिवस हो।

6.  रूस में 1965 से 1994 तक अक्टूबर महीने के पहले रविवार के दिन शिक्षक दिवस मनाया जाता रहा। साल 1994 से विश्व शिक्षक दिवस 5 अक्टूबर को ही मनाया जाने लगा।
 
7 अमेरिका में मई के पहले पूर्ण सप्ताह के मंगलवार को शिक्षक दिवस घोषित किया गया है और वहां सप्ताहभर इसके आयोजन होते हैं।

 थाइलैंड में शिक्षक दिवस

Happy Teacher's Day


8  थाइलैंड में हर साल 16 जनवरी को राष्ट्रीय शिक्षक दिवस मनाया जाता है। यहां 21 नवंबर, 1956 को एक प्रस्ताव लाकर शिक्षक दिवस को स्वीकृति दी गई थी। पहला शिक्षक दिवस 1957 में मनाया गया था। इस दिन यहां स्कूलों में अवकाश रहता है। 

9.  ईरान में वहां के प्रोफेसर अयातुल्लाह मोर्तेजा मोतेहारी की हत्या के बाद उनकी याद में दो मई को शिक्षक दिवस मनाया जाता है। मोतेहारी की दो मई, 1980 को हत्या कर दी गई थी।
 
10  तुर्की में 24 नवंबर को शिक्षक दिवस मनाया जाता है। वहां के पहले राष्ट्रपति कमाल अतातुर्क ने यह घोषणा की थी। मलेशिया में इसे 16 मई को मनाया जाता है, वहां इस खास दिन को 'हरि गुरु' कहते हैं।

 

9.01.2020

Vishnu Astambh | विश्णु स्तम्भ को अकबर ने नहीं बनाया देखिये सबूत

 कुतुबुद्दीन ऐबक, और विष्णु स्तंभ (क़ुतुबमीनार) का सच जो हम लोगों से छुपाया गया

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किसी भी देश पर शासन करना है तो उस देश के लोगों का ऐसा ब्रेनवाश कर दो कि वो अपने देश, अपनी संसकृति और अपने पूर्वजों पर गर्व करना छोड़ दें । इस्लामी हमलावरों और उनके बाद अंग्रेजों ने भी भारत में यही किया. हम अपने पूर्वजों पर गर्व करना भूलकर उन अत्याचारियों को महान समझने लगे जिन्होंने भारत पर बे हिसाब जुल्म किये थे ।


 

अगर आप दिल्ली घुमने गए है तो आपने कभी विष्णू स्तम्भ (क़ुतुबमीनार) को भी अवश्य देखा होगा. जिसके बारे में बताया जाता है कि उसे कुतुबुद्दीन ऐबक ने बनबाया था. हम कभी जानने की कोशिश भी नहीं करते हैं कि कुतुबुद्दीन कौन था, उसने कितने बर्ष दिल्ली पर शासन किया, उसने कब विष्णू स्तम्भ (क़ुतुबमीनार) को बनवाया या विष्णू स्तम्भ (कुतूबमीनार) से पहले वो और क्या क्या बनवा चुका था ?


दो खरीदे हुए गुलाम

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कुतुबुद्दीन ऐबक, मोहम्मद गौरी का खरीदा हुआ गुलाम था. मोहम्मद गौरी भारत पर कई हमले कर चुका था मगर हर बार उसे हारकर वापस जाना पडा था. ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती की जासूसी और कुतुबुद्दीन की रणनीति के कारण मोहम्मद गौरी, तराइन की लड़ाई में पृथ्वीराज चौहान को हराने में कामयाबी रहा और अजमेर / दिल्ली पर उसका कब्जा हो गया ।


ढाई दिन का झोपड़ा

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अजमेर पर कब्जा होने के बाद मोहम्मद गौरी ने चिश्ती से इनाम मांगने को कहा. तब चिश्ती ने अपनी जासूसी का इनाम मांगते हुए, एक भव्य मंदिर की तरफ इशारा करके गौरी से कहा कि तीन दिन में इस मंदिर को तोड़कर मस्जिद बना कर दो. तब कुतुबुद्दीन ने कहा आप तीन दिन कह रहे हैं मैं यह काम ढाई दिन में कर के आपको दूंगा  ।


कुतुबुद्दीन ने ढाई दिन में उस मंदिर को तोड़कर मस्जिद में बदल दिया. आज भी यह जगह "अढाई दिन का झोपड़ा" के नाम से जानी जाती है. जीत के बाद मोहम्मद गौरी, पश्चिमी भारत की जिम्मेदारी "कुतुबुद्दीन" को और पूर्वी भारत की जिम्मेदारी अपने दुसरे सेनापति "बख्तियार खिलजी" (जिसने नालंदा को जलाया था) को सौंप कर वापस चला गय था ।


दोनों गुलाम को शासन

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कुतुबुद्दीन कुल चार साल ( 1206 से 1210 तक) दिल्ली का शासक रहा. इन चार साल में वो अपने राज्य का विस्तार, इस्लाम के प्रचार और बुतपरस्ती का खात्मा करने में लगा रहा. हांसी, कन्नौज, बदायूं, मेरठ, अलीगढ़, कालिंजर, महोबा, आदि को उसने जीता. अजमेर के विद्रोह को दबाने के साथ राजस्थान के भी कई इलाकों में उसने काफी आतंक मचाय ।


विष्णु स्तम्भ 

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जिसे क़ुतुबमीनार कहते हैं वो महाराजा वीर विक्रमादित्य की वेदशाला थी. जहा बैठकर खगोलशास्त्री वराहमिहर ने ग्रहों, नक्षत्रों, तारों का अध्ययन कर, भारतीय कैलेण्डर "विक्रम संवत" का आविष्कार किया था. यहाँ पर 27 छोटे छोटे भवन (मंदिर) थे जो 27 नक्षत्रों के प्रतीक थे और मध्य में विष्णू स्तम्भ था, जिसको ध्रुव स्तम्भ भी कहा जाता था ।


दिल्ली पर कब्जा करने के बाद उसने उन 27 मंदिरों को तोड दिया. विशाल विष्णु स्तम्भ को तोड़ने का तरीका समझ न आने पर उसने उसको तोड़ने के बजाय अपना नाम दे दिया. तब से उसे क़ुतुबमीनार कहा जाने लगा. कालान्तर में यह यह झूठ प्रचारित किया गया कि क़ुतुब मीनार को कुतुबुद्दीन ने बनबाया था. जबकि वो एक विध्वंशक था न कि कोई निर्माता.


कुतुबुद्दीन ऐबक की मौत का सच

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अब बात करते हैं कुतुबुद्दीन की मौत की. इतिहास की किताबो में लिखा है कि उसकी मौत पोलो खेलते समय घोड़े से गिरने पर से हुई. ये अफगान / तुर्क लोग "पोलो" नहीं खेलते थे, पोलो खेल अंग्रेजों ने शुरू किया. अफगान / तुर्क लोग बुजकशी खेलते हैं जिसमे एक बकरे को मारकर उसे लेकर घोड़े पर भागते है, जो उसे लेकर मंजिल तक पहुंचता है, वो जीतता है ।


कुतबुद्दीन ने अजमेर के विद्रोह को कुचलने के बाद राजस्थान के अनेकों इलाकों में कहर बरपाया था. उसका सबसे कडा विरोध उदयपुर के राजा ने किया, परन्तु कुतुबद्दीन उसको हराने में कामयाब रहा. उसने धोखे से राजकुंवर कर्णसिंह को बंदी बनाकर और उनको जान से मारने की धमकी देकर, राजकुंवर और उनके घोड़े शुभ्रक को पकड कर लाहौर ले आया.


एक दिन राजकुंवर ने कैद से भागने की कोशिश की, लेकिन पकड़ा गया. इस पर क्रोधित होकर कुतुबुद्दीन ने उसका सर काटने का हुकुम दिया. दरिंदगी दिखाने के लिए उसने कहा कि बुजकशी खेला जाएगा लेकिन इसमें बकरे की जगह राजकुंवर का कटा हुआ सर इस्तेमाल होगा. कुतुबुद्दीन ने इस काम के लिए, अपने लिए घोड़ा भी राजकुंवर का "शुभ्रक" चुना.


कुतुबुद्दीन "शुभ्रक" घोडे पर सवार होकर अपनी टोली के साथ जन्नत बाग में पहुंचा. राजकुंवर को भी जंजीरों में बांधकर वहां लाया गया. राजकुंवर का सर काटने के लिए जैसे ही उनकी जंजीरों को खोला गया, शुभ्रक घोडे ने उछलकर कुतुबुद्दीन को अपनी पीठ से नीचे गिरा दिया और अपने पैरों से उसकी छाती पर कई बार किये, जिससे कुतुबुद्दीन वहीं पर मर गया ।


शुभ्रत मरकर भी अमर हो गया

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इससे पहले कि सिपाही कुछ समझ पाते राजकुवर शुभ्रक घोडे पर सवार होकर वहां से निकल गए. कुतुबुदीन के सैनिको ने उनका पीछा किया मगर वो उनको पकड न सके. शुभ्रक कई दिन और कई रात दौड़ता रहा और अपने स्वामी को लेकर उदयपुर के महल के सामने आ कर रुका. वहां पहुंचकर जब राजकुंवर ने उतर कर पुचकारा तो वो मूर्ति की तरह शांत खडा रहा ।


वो मर चुका था, सर पर हाथ फेरते ही उसका निष्प्राण शरीर लुढ़क गया. कुतुबुद्दीन की मौत और शुभ्रक की स्वामिभक्ति की इस घटना के बारे में हमारे स्कूलों में नहीं पढ़ाया जाता है लेकिन इस घटना के बारे में फारसी के प्राचीन लेखकों ने काफी लिखा है. धन्य है भारत की भूमि जहाँ इंसान तो क्या जानवर भी अपनी स्वामी भक्ति के लिए प्राण दांव पर लगा देते हैं ।

       -साभार

8.30.2020

Rochak Baten | रोचक बातें जो आपको जरूर जानकारी रखनी चाहिए

 1. लगातार दो बार से अधिक किसी को कॉल न करें। 


यदि वे आपकी कॉल नहीं उठाते हैं, तो मान लें कि इस वक्त उनके पास कुछ महत्वपूर्ण कार्य है।

Rochak Jankari

Ishq Ki Sajish | इश्क की साजिश | जिन्दगी बदल दे जो कहानियां

 #इश्क़_या_साजिश

 , ट्रैन के ए.सी. कम्पार्टमेंट में मेरे सामने की सीट पर बैठी लड़की ने मुझसे पूछा " हैलो, क्या आपके पास इस मोबाइल की सिम निकालने की पिन है??"

इश्क की साजिश


उसने अपने बैग से एक फोन निकाला था, और नया सिम कार्ड उसमें डालना चाहती थी। लेकिन सिम स्लॉट खोलने के लिए पिन की जरूरत पड़ती है जो उसके पास नहीं थी। मैंने हाँ में गर्दन हिलाई और अपने क्रॉस बेग से पिन निकालकर लड़की को दे दी। लड़की ने थैंक्स कहते हुए पिन ले ली और सिम डालकर पिन मुझे वापिस कर दी।

थोड़ी देर बाद वो फिर से इधर उधर ताकने लगी, मुझसे रहा नहीं गया.. मैंने पूछ लिया "कोई परेशानी??"

वो बोली सिम स्टार्ट नहीं हो रही है, मैंने मोबाइल मांगा, उसने दिया। मैंने उसे कहा कि सिम अभी एक्टिवेट नहीं हुई है, थोड़ी देर में हो जाएगी। और एक्टिव होने के बाद आईडी वेरिफिकेशन होगा उसके बाद आप इसे इस्तेमाल कर सकेंगी।

लड़की ने पूछा, आईडी वेरिफिकेशन क्यों??

मैंने कहा " आजकल सिम वेरिफिकेशन के बाद एक्टिव होती है, जिस नाम से ये सिम उठाई गई है उसका ब्यौरा पूछा जाएगा बता देना"

लड़की बुदबुदाई "ओह्ह "

मैंने दिलासा देते हुए कहा "इसमे कोई परेशानी की कोई बात नहीं"

वो अपने एक हाथ से दूसरा हाथ दबाती रही, मानो किसी परेशानी में हो। मैंने फिर विन्रमता से कहा "आपको कहीं कॉल करना हो तो मेरा मोबाइल इस्तेमाल कर लीजिए"

लड़की ने कहा "जी फिलहाल नहीं, थैंक्स, लेकिन ये सिम किस नाम से खरीदी गई है मुझे नहीं पता"

मैंने कहा "एक बार एक्टिव होने दीजिए, जिसने आपको सिम दी है उसी के नाम की होगी"

उसने कहा "ओके, कोशिश करते हैं"

मैंने पूछा "आपका स्टेशन कहाँ है??"

लड़की ने कहा "दिल्ली"

और आप?? लड़की ने मुझसे पूछा

मैंने कहा "दिल्ली ही जा रहा हूँ, एक दिन का काम है,

आप दिल्ली में रहती हैं या...?"

लड़की बोली "नहीं नहीं, दिल्ली में कोई काम नहीं , ना ही मेरा घर है वहाँ"

तो ???? मैंने उत्सुकता वश पूछा

वो बोली "दरअसल ये दूसरी ट्रेन है, जिसमे आज मैं हूँ, और दिल्ली से तीसरी गाड़ी पकड़नी है, फिर हमेशा के लिए आज़ाद"

आज़ाद?? 

लेकिन किस तरह की कैद से?? 

मुझे फिर जिज्ञासा हुई किस कैद में थी ये कमसिन अल्हड़ सी लड़की..

लड़की बोली, उसी कैद में थी जिसमें हर लड़की होती है। जहाँ घरवाले कहे शादी कर लो, जब जैसा कहे वैसा करो। मैं घर से भाग चुकी हुँ..

मुझे ताज्जुब हुआ मगर अपने ताज्जुब को छुपाते हुए मैंने हंसते हुए पूछा "अकेली भाग रही हैं आप? आपके साथ कोई नजर नहीं आ रहा? "

वो बोली "अकेली नहीं, साथ में है कोई"

कौन? मेरे प्रश्न खत्म नहीं हो रहे थे

दिल्ली से एक और ट्रेन पकड़ूँगी, फिर अगले स्टेशन पर वो जनाब मिलेंगे, और उसके बाद हम किसी को नहीं मिलेंगे..

ओह्ह, तो ये प्यार का मामला है।

उसने कहा "जी"

मैंने उसे बताया कि 'मैंने भी लव मैरिज की है।'

ये बात सुनकर वो खुश हुई, बोली "वाओ, कैसे कब?" लव मैरिज की बात सुनकर वो मुझसे बात करने में रुचि लेने लगी

मैंने कहा "कब कैसे कहाँ? वो मैं बाद में बताऊंगा पहले आप बताओ आपके घर में कौन कौन है?

उसने होशियारी बरतते हुए कहा " वो मैं आपको क्यों बताऊं? मेरे घर में कोई भी हो सकता है, मेरे पापा माँ भाई बहन, या हो सकता है भाई ना हो सिर्फ बहने हो, या ये भी हो सकता है कि बहने ना हो और 2-4 गुस्सा करने वाले बड़े भाई हो"

मतलब मैं आपका नाम भी नहीं पूछ सकता "मैंने काउंटर मारा"

वो बोली, 'कुछ भी नाम हो सकता है मेरा, टीना, मीना, रीना, कुछ भी'

बहुत बातूनी लड़की थी वो.. थोड़ी इधर उधर की बातें करने के बाद उसने मुझे टॉफी दी जैसे छोटे बच्चे देते हैं क्लास में, 

बोली आज मेरा बर्थडे है।

मैंने उसकी हथेली से टॉफी उठाते बधाई दी और पूछा "कितने साल की हुई हो?"

वो बोली "18"

"मतलब भागकर शादी करने की कानूनी उम्र हो गई आपकी"

वो "हंसी"

कुछ ही देर में काफी फ्रैंक हो चुके थे हम दोनों। जैसे बहुत पहले से जानते हो एक दूसरे को..

मैंने उसे बताया कि "मेरी उम्र 35 साल है, यानि 17 साल बड़ा हुँ"

उसने चुटकी लेते हुए कहा "लग तो नही रहे हो"

मैं मुस्कुरा दिया

मैंने उसे पूछा "तुम घर से भागकर आई हो, तुम्हारे चेहरे पर चिंता के निशान जरा भी नहीं है, इतनी बेफिक्री मैंने पहली बार देखी"

खुद की तारीफ सूनकर वो खुश हुई, बोली "मुझे उन जनाब ने मेरे लवर ने पहले से ही समझा दिया था कि जब घर से निकलो तो बिल्कुल बिंदास रहना, घरवालों के बारे में बिल्कुल मत सोचना, बिल्कुल अपना मूड खराब मत करना, सिर्फ मेरे और हम दोनों के बारे में सोचना और मैं वही कर रही हूँ"

मैंने फिर चुटकी ली, कहा "उसने तुम्हे मुझ जैसे अनजान मुसाफिरों से दूर रहने की सलाह नहीं दी?"

उसने हंसकर जवाब दिया "नहीं, शायद वो भूल गया होगा ये बताना"

मैंने उसके प्रेमी की तारीफ करते हुए कहा " वैसे तुम्हारा बॉय फ्रेंड काफी टेलेंटेड है, उसने किस तरह से तुम्हे अकेले घर से रवाना किया, नई सिम और मोबाइल दिया, तीन ट्रेन बदलवाई.. ताकि कोई ट्रेक ना कर सके, वेरी टेलेंटेड

इश्क की साजिश #StopLoveJihad

 पर्सन"

लड़की ने हामी भरी, " बोली बहुत टेलेंटेड है वो, उसके जैसा कोई नहीं"

मैंने उसे बताया कि "मेरी शादी को 10 साल हुए हैं, एक बेटी है 8 साल की और एक बेटा 1 साल का, ये देखो उनकी तस्वीर"

मेरे फोन पर बच्चों की तस्वीर देखकर उसके मुंह से निकल गया "सो क्यूट"

मैंने उसे बताया कि "ये जब पैदा हुई, तब मैं कुवैत में था, एक पेट्रो कम्पनी में बहुत अच्छी जॉब थी मेरी, बहुत अच्छी सेलेरी थी.. फिर कुछ महीनों बाद मैंने वो जॉब छोड़ दी, और अपने ही कस्बे में काम करने लगा।"

लड़की ने पूछा जॉब क्यों छोड़ी??

मैंने कहा "बच्ची को पहली बार गोद में उठाया तो ऐसा लगा जैसे मेरी दुनिया मेरे हाथों में है, 30 दिन की छुट्टी पर घर आया था, वापस जाना था लेकिन जा ना सका। इधर बच्ची का बचपन खर्च होता रहे उधर मैं पूरी दुनिया कमा लूं, तब भी घाटे का सौदा है। मेरी दो टके की नौकरी, बचपन उसका लाखों का.."

लड़की ने कहा "वेरी इम्प्रेसिव"

मैं मुस्कुराकर खिड़की की तरफ देखने लगा

लड़की ने पूछा "अच्छा आपने तो लव मैरिज की थी न,फिर आप भागकर कहाँ गए??

कैसे रहे और कैसे गुजरा वो वक्त??

उसके हर सवाल और हर बात में मुझे महसूस हो रहा था कि ये लड़की लकड़पन के शिखर पर है, बिल्कुल नासमझ और मासूम छोटी बहन सी।

मैंने उसे बताया कि हमने भागकर शादी नहीं की, और ये भी है कि उसके पापा ने मुझे पहली नजर में सख्ती से रिजेक्ट कर दिया था।"

उन्होंने आपको रिजेक्ट क्यों किया?? लड़की ने पूछा

मैंने कहा "रिजेक्ट करने का कुछ भी कारण हो सकता है, मेरी जाति, मेरा काम,,घर परिवार,

"बिल्कुल सही", लड़की ने सहमति दर्ज कराई और आगे पूछा "फिर आपने क्या किया?"

मैंने कहा "मैंने कुछ नहीं किया,उसके पिता ने रिजेक्ट कर दिया वहीं से मैंने अपने बारे में अलग से सोचना शुरू कर दिया था। खुशबू ने मुझे कहा कि भाग चलते हैं, मेरी वाइफ का नाम खुशबू है..मैंने दो टूक मना कर दिया। वो दो दिन तक लगातार जोर देती रही, कि भाग चलते हैं। मैं मना करता रहा.. मैंने उसे समझाया कि "भागने वाले जोड़े में लड़के की इज़्ज़त पर पर कोई ख़ास फर्क नहीं पड़ता, जबकि लड़की के पूरे कुल की इज्ज़त धुल जाती है। भगाने वाला लड़का उसके दोस्तों में हीरो माना जाता है लेकिन इसके विपरीत जो लड़की प्रेमी संग भाग रही है वो कुल्टा कहलाती है, मुहल्ले के लड़के उसे चालू कहते है । बुराइयों के तमाम शब्दकोष लड़की के लिए इस्तेमाल किये जाते हैं। भागने वाली लड़की आगे चलकर 60 साल की वृद्धा भी हो जाएगी तब भी जवानी में किये उस कांड का कलंक उसके माथे पर से नहीं मिटता। मैं मानता हूँ कि लड़का लड़की को तौलने का ये दोहरा मापदंड गलत है, लेकिन हमारे समाज में है तो यही , ये नजरिया गलत है मगर सामाजिक नजरिया यही है,

वो अपने नीचे का होंठ दांतो तले पीसने लगी, उसने पानी की बोतल का ढक्कन खोलकर एक घूंट पिया।

मैंने कहा अगर मैं उस दिन उसे भगा ले जाता तो उसकी माँ तो शायद कई दिनों तक पानी भी ना पीती। इसलिए मेरी हिम्मत ना हुई कि ऐसा काम करूँ.. मैं जिससे प्रेम करूँ उसके माँ बाप मेरे माँ बाप के समान ही है। चाहे शादी ना हो, तो ना हो।

कुछ पल के लिए वो सोच में पड़ गई , लेकिन मेरे बारे में और अधिक जानना चाहती थी, उसने पूछा "फिर आपकी शादी कैसे हुई???

मैंने बताया कि " खुशबू की सगाई कहीं और कर दी गई थी। धीरे धीरे सबकुछ नॉर्मल होने लगा था। खुशबू और उसके मंगेतर की बातें भी होने लगी थी फोन पर, लेकिन जैसे जैसे शादी नजदीक आने लगी, उन लोगों की डिमांड बढ़ने लगी"

डिमांड मतलब 'लड़की ने पूछा'

डिमांड का एक ही मतलब होता है, दहेज की डिमांड। परिवार में सबको सोने से बने तोहफे दो, दूल्हे को लग्जरी कार चाहिए, सास और ननद को नेकलेस दो वगैरह वगैरह, बोले हमारे यहाँ रीत है। लड़का भी इस रीत की अदायगी का पक्षधर था। वो सगाई मैंने तुड़वा डाली..इसलिए नही की सिर्फ मेरी शादी उससे हो जाये बल्कि ऐसे लालची लोगों में खुशबू कभी खुश नही रह सकती थी ना उसका परिवार, फिर किसी तरह घरवालों को समझा बुझा कर मैं फ्रंट पर आ गया और हमारी शादी हो गई। ये सब किस्मत की बात थी..

लड़की बोली "चलो अच्छा हुआ आप मिल गए, वरना वो गलत लोगों में फंस जाती"

मैंने कहा "जरूरी नहीं कि माता पिता का फैसला हमेशा सही हो, और ये भी जरूरी नहीं कि प्रेमी जोड़े की पसन्द सही हो.. दोनों में से कोई भी गलत या सही हो सकता है..काम की बात यहाँ ये है कि कौन ज्यादा वफादार है।"

लड़की ने फिर से पानी का घूंट लिया और मैंने भी.. लड़की ने तर्क दिया कि "हमारा फैसला गलत हो जाए तो कोई बात नहीं, उन्हें ग्लानि नहीं होनी चाहिए"

मैंने कहा "फैसला ऐसा हो जो दोनों का हो,बच्चो और माता पिता दोनों की सहमति, वो सबसे सही है। बुरा मत मानना मैं कहना चाहूंगा कि तुम्हारा फैसला तुम दोनों का है, जिसमे तुम्हारे पेरेंट्स शामिल नहीं है, ना ही तुम्हे इश्क का असली मतलब पता है अभी"

उसने पूछा "क्या है इश्क़ का सही अर्थ?"

मैंने कहा "तुम इश्क में हो, तुम अपना सबकुछ छोड़क

र चली आई ये सच्चा इश्क़ है, तुमने दिमाग पर जोर नहीं दिया ये इश्क है, फायदा नुकसान नहीं सोचा ये इश्क है...तुम्हारा दिमाग़ दुनियादारी के फितूर से बिल्कुल खाली था, उस खाली जगह में इश्क का फितूर भर दिया गया। जिन जनाब ने इश्क को भरा क्या वो इश्क में नहीं है.. यानि तुम जिसके साथ जा रही हो वो इश्क में नहीं, बल्कि होशियारी हीरोगिरी में है। जो इश्क में होता है वो इतनी प्लानिंग नहीं कर पाता है, तीन ट्रेनें नहीं बदलवा पाता है, उसका दिमाग इतना काम ही नहीं कर पाता.. कोई कहे मैं आशिक हुँ, और वो शातिर भी हो ये नामुमकिन है।

मजनू इश्क में पागल हो गया था, लोग पत्थर मारते थे उसे, इश्क में उसकी पहचान तक मिट गई। उसे दुनिया मजनू के नाम से जानती है जबकि उसका असली नाम कैस था जो नहीं इस्तेमाल किया जाता। वो शातिर होता तो कैस से मजनू ना बन पाता। फरहाद ने शीरीं के लिए पहाड़ों को खोदकर नहर निकाल डाली थी और उसी नहर में उसका लहू बहा था, वो इश्क़ था। इश्क़ में कोई फकीर हो गया, कोई जोगी हो गया, किसी मांझी ने पहाड़ तोड़कर रास्ता निकाल लिया..किसी ने अतिरिक्त दिमाग़ नहीं लगाया..चालाकी नही की

लालच ,हवस और हासिल करने का नाम इश्क़ नहीं है.. इश्क समर्पण करने को कहते हैं जिसमें इंसान सबसे पहले खुद का समर्पण करता है, जैसे तुमने किया, लेकिन तुम्हारा समर्पण हासिल करने के लिए था, यानि तुम्हारे इश्क में लालच की मिलावट हो गई ।

लकड़ी अचानक से खो सी गई.. उसकी खिलख़िलाहट और लपड़ापन एकदम से खमोशी में बदल गया.. मुझे लगा मैं कुछ ज्यादा बोल गया, फिर भी मैंने जारी रखा, मैंने कहा " प्यार तुम्हारे पापा तुमसे करते हैं, कुछ दिनों बाद उनका वजन आधा हो जाएगा, तुम्हारी माँ कई दिनों तक खाना नहीं खाएगी ना पानी पियेगी.. जबकि आपको अपने आशिक को आजमा कर देख लेना था, ना तो उसकी सेहत पर फर्क पड़ता, ना दिमाग़ पर, वो अक्लमंद है, अपने लिए अच्छा सोच लेता।

आजकल गली मोहल्ले के हर तीसरे लौंडे लपाटे को जो इश्क हो जाता है, वो इश्क नहीं है, वो सिनेमा जैसा कुछ है। एक तरह की स्टंटबाजी, डेरिंग, अलग कुछ करने का फितूर..और कुछ नहीं।

लड़की का चेहरे का रंग बदल गया, ऐसा लग रहा था वो अब यहाँ नहीं है, उसका दिमाग़ किसी अतीत में टहलने निकल गया है। मैं अपने फोन को स्क्रॉल करने लगा.. लेकिन मन की इंद्री उसकी तरफ थी।

थोड़ी ही देर में उसका और मेरा स्टेशन आ गया.. बात कहाँ से निकली थी और कहाँ पहुँच गई.. उसके मोबाइल पर मैसेज टोन बजी, देखा, सिम एक्टिवेट हो चुकी थी.. उसने चुपचाप बैग में से आगे का टिकट निकाला और फाड़ दिया.. मुझे कहा एक कॉल करना है, मैंने मोबाइल दिया.. उसने नम्बर डायल करके कहा "सोरी पापा, और सिसक सिसक कर रोने लगी, सामने से पिता भी फोन पर बेटी को संभालने की कोशिश करने लगे.. उसने कहा पिताजी आप बिल्कुल चिंता मत कीजिए मैं घर आ रही हूँ..दोनों तरफ से भावनाओ का सागर उमड़ पड़ा"

हम ट्रेन से उतरे, उसने फिर से पिन मांगी, मैंने पिन दी.. उसने मोबाइल से सिम निकालकर तोड़ दी और पिन मुझे वापस कर दिया

कहानी को अंत तक पढ़ने का धन्यवाद।

देश की सभी बेटियों को समर्पित- 

ये मेरा दावा है माता पिता से ज्यादा तुम्हे दुनिया मे कोई प्यार नहीं करता।


नोट:- # प्यार_अंधा_होता_है

8.24.2020

Kyon Kosta Hai Khud Ko | क्यों कोसता है खुद को

 😴 😴 👉  Night Story 👈 😴 😴


       🙏 क्यों कोसता है खुद को🙏


✍ संतों की एक सभा चल रही थी...


किसी ने एक दिन एक घड़े में गंगाजल भरकर वहां रखवा दिया ताकि संत जन जब प्यास लगे तो गंगाजल पी सकें...


संतों की उस सभा के बाहर एक व्यक्ति खड़ा था. उसने गंगाजल से भरे घड़े को देखा तो उसे तरह-तरह के विचार आने लगे...


वह सोचने लगा- अहा ! यह घड़ा कितना भाग्यशाली है...???


एक तो इसमें किसी तालाब पोखर का नहीं बल्कि गंगाजल भरा गया और दूसरे यह अब सन्तों के काम आयेगा... । संतों का स्पर्श मिलेगा, उनकी सेवा का अवसर मिलेगा. ऐसी किस्मत किसी किसी की ही होती है...


घड़े ने उसके मन के भाव पढ़ लिए और घड़ा बोल पड़ा- बंधु मैं तो मिट्टी के रूप में शून्य पड़ा सिर्फ मिट्टी का ढेर था...


किसी काम का नहीं था. कभी ऐसा नहीं लगता था कि भगवान् ने हमारे साथ न्याय किया है...


फिर एक दिन एक कुम्हार आया. उसने फावड़ा मार-मारकर हमको खोदा और मुझे बोरी में भर कर गधे पर लादकर अपने घर ले गया ।


वहां ले जाकर हमको उसने रौंदा, फिर पानी डालकर गूंथा, चाकपर चढ़ाकर तेजी से घुमाया, फिर गला काटा, फिर थापी मार-मारकर बराबर किया । बात यहीं नहीं रूकी, उसके बाद आंवे के आग में झोंक दिया जलने को...


इतने कष्ट सहकर बाहर निकला तो गधे पर लादकर उसने मुझे बाजार में भेजने के लिए लाया गया . वहां भी लोग मुझे ठोक-ठोककर देख रहे थे कि ठीक है कि नहीं ?


ठोकने-पीटने के बाद मेरी कीमत लगायी भी तो क्या- बस 20 से 30 रुपये...


मैं तो पल-पल यही सोचता रहा कि हे ईश्वर सारे अन्याय मेरे ही साथ करना था...


रोज एक नया कष्ट एक नई पीड़ा देते हो. मेरे साथ बस अन्याय ही अन्याय होना लिखा है...


लेकिन ईश्वर की योजना कुछ और ही थी,


किसी सज्जन ने मुझे खरीद लिया और जब मुझमें गंगाजल भरकर सन्तों की सभा में भेज दिया...


तब मुझे आभास हुआ कि कुम्हार का वह फावड़ा चलाना भी उसकी☝ की कृपा थी...


उसका मुझे वह गूंथना भी उसकी ☝ की कृपा थी...


मुझे आग में जलाना भी उसकी☝ की मौज थी...


और...


बाजार में लोगों के द्वारा ठोके जाना भी भी उसकी☝ ही मौज थी...


अब मालूम पड़ा कि मुझ पर सब उस परमात्मा की कृपा ही कृपा थी... 😇


👉 दरसल बुरी परिस्थितिया हमें इतनी विचलित कर देती हैं कि हम उस परमात्मा के अस्तित्व पर भी प्रश्न उठाने लगते हैं और खुद को कोसने लगते हैं , क्यों हम सबमें शक्ति नहीं होती उसकी लीला समझने की...


कई बार हमारे साथ भी ऐसा ही होता है हम खुद को कोसने के साथ परमात्मा पर ऊँगली उठा कर कहते हैं कि उसने☝ ने मेरे साथ ही ऐसा क्यों किया ,


क्या मैं इतना बुरा हूँ ? और मलिक ने सारे दुःख तकलीफ़ें मुझे ही क्यों दिए । 😭


🙏 लेकिन सच तो ये है मालिक  उन तमाम पत्थरों की भीड़ में से तराशने के लिए एक आप को चुना । अब तराशने में तो थोड़ी तकलीफ तो झेलनी ही पड़ती है।


आपकी जिंदगी बदल रहा है यह चैनल जुड़े रहे जोड़ते रहे और बेहतर समाज का निर्माण करते रहे। 💞


😴😴😴😴😴😴😴😴😴😴😴

8.23.2020

भारत के इस काव्य को ‘अनुलोम-विलोम काव्य’ भी कहा जाता है। सिधा पढ़े राम और उल्टा पढ़े तो कृष्ण कथा ?

 अति दुर्लभ एक ग्रंथ ऐसा भी है हमारे सनातन धर्म मे

इसे तो सात आश्चर्यों में से पहला आश्चर्य माना जाना चाहिए ---


*यह है दक्षिण भारत का एक ग्रन्थ*


क्या ऐसा संभव है कि जब आप किताब को सीधा पढ़े तो राम कथा के रूप में पढ़ी जाती है और जब उसी किताब में लिखे शब्दों को उल्टा करके पढ़े

तो कृष्ण कथा के रूप में होती है ।


जी हां, कांचीपुरम के 17वीं शदी के कवि वेंकटाध्वरि रचित ग्रन्थ "राघवयादवीयम्" ऐसा ही एक अद्भुत ग्रन्थ है।


इस ग्रन्थ को

‘अनुलोम-विलोम काव्य’ भी कहा जाता है। पूरे ग्रन्थ में केवल 30 श्लोक हैं। इन श्लोकों को सीधे-सीधे

पढ़ते जाएँ, तो रामकथा बनती है और

विपरीत (उल्टा) क्रम में पढ़ने पर कृष्णकथा। इस प्रकार हैं तो केवल 30 श्लोक, लेकिन कृष्णकथा (उल्टे यानी विलोम)के भी 30 श्लोक जोड़ लिए जाएँ तो बनते हैं 60 श्लोक।

Anulom-vilom


पुस्तक के नाम से भी यह प्रदर्शित होता है, राघव (राम) + यादव (कृष्ण) के चरित को बताने वाली गाथा है ~ "राघवयादवीयम।"


उदाहरण के तौर पर पुस्तक का पहला श्लोक हैः


वंदेऽहं देवं तं श्रीतं रन्तारं कालं भासा यः ।

रामो रामाधीराप्यागो लीलामारायोध्ये वासे ॥ १॥


अर्थातः

मैं उन भगवान श्रीराम के चरणों में प्रणाम करता हूं, जो

जिनके ह्रदय में सीताजी रहती है तथा जिन्होंने अपनी पत्नी सीता के लिए सहयाद्री की पहाड़ियों से होते हुए लंका जाकर रावण का वध किया तथा वनवास पूरा कर अयोध्या वापिस लौटे।


अब इस श्लोक का विलोमम्: इस प्रकार है


सेवाध्येयो रामालाली गोप्याराधी भारामोराः ।

यस्साभालंकारं तारं तं श्रीतं वन्देऽहं देवम् ॥ १॥


अर्थातः

मैं रूक्मिणी तथा गोपियों के पूज्य भगवान श्रीकृष्ण के

चरणों में प्रणाम करता हूं, जो सदा ही मां लक्ष्मी के साथ

विराजमान है तथा जिनकी शोभा समस्त जवाहरातों की शोभा हर लेती है।


" राघवयादवीयम" के ये 60 संस्कृत श्लोक इस प्रकार हैं:-


राघवयादवीयम् रामस्तोत्राणि

वंदेऽहं देवं तं श्रीतं रन्तारं कालं भासा यः ।

रामो रामाधीराप्यागो लीलामारायोध्ये वासे ॥ १॥


विलोमम्:

सेवाध्येयो रामालाली गोप्याराधी भारामोराः ।

यस्साभालंकारं तारं तं श्रीतं वन्देऽहं देवम् ॥ १॥


साकेताख्या ज्यायामासीद्याविप्रादीप्तार्याधारा ।

पूराजीतादेवाद्याविश्वासाग्र्यासावाशारावा ॥ २॥


विलोमम्:

वाराशावासाग्र्या साश्वाविद्यावादेताजीरापूः ।

राधार्यप्ता दीप्राविद्यासीमायाज्याख्याताकेसा ॥ २॥


कामभारस्स्थलसारश्रीसौधासौघनवापिका ।

सारसारवपीनासरागाकारसुभूरुभूः ॥ ३॥


विलोमम्:

भूरिभूसुरकागारासनापीवरसारसा ।

कापिवानघसौधासौ श्रीरसालस्थभामका ॥ ३॥


रामधामसमानेनमागोरोधनमासताम् ।

नामहामक्षररसं ताराभास्तु न वेद या ॥ ४॥


विलोमम्:

यादवेनस्तुभारातासंररक्षमहामनाः ।

तां समानधरोगोमाननेमासमधामराः ॥ ४॥


यन् गाधेयो योगी रागी वैताने सौम्ये सौख्येसौ ।

तं ख्यातं शीतं स्फीतं भीमानामाश्रीहाता त्रातम् ॥ ५॥


विलोमम्:

तं त्राताहाश्रीमानामाभीतं स्फीत्तं शीतं ख्यातं ।

सौख्ये सौम्येसौ नेता वै गीरागीयो योधेगायन् ॥ ५॥


मारमं सुकुमाराभं रसाजापनृताश्रितं ।

काविरामदलापागोसमावामतरानते ॥ ६॥


विलोमम्:

तेन रातमवामास गोपालादमराविका ।

तं श्रितानृपजासारंभ रामाकुसुमं रमा ॥ ६॥


रामनामा सदा खेदभावे दया-वानतापीनतेजारिपावनते ।

कादिमोदासहातास्वभासारसा-मेसुगोरेणुकागात्रजे भूरुमे ॥ ७॥


विलोमम्:

मेरुभूजेत्रगाकाणुरेगोसुमे-सारसा भास्वताहासदामोदिका ।

तेन वा पारिजातेन पीता नवायादवे भादखेदासमानामरा ॥ ७॥


सारसासमधाताक्षिभूम्नाधामसु सीतया ।

साध्वसाविहरेमेक्षेम्यरमासुरसारहा ॥ ८॥


विलोमम्:

हारसारसुमारम्यक्षेमेरेहविसाध्वसा ।

यातसीसुमधाम्नाभूक्षिताधामससारसा ॥ ८॥


सागसाभरतायेभमाभातामन्युमत्तया ।

सात्रमध्यमयातापेपोतायाधिगतारसा ॥ ९॥


विलोमम्:

सारतागधियातापोपेतायामध्यमत्रसा ।

यात्तमन्युमताभामा भयेतारभसागसा ॥ ९॥


तानवादपकोमाभारामेकाननदाससा ।

यालतावृद्धसेवाकाकैकेयीमहदाहह ॥ १०॥


विलोमम्:

हहदाहमयीकेकैकावासेद्ध्वृतालया ।

सासदाननकामेराभामाकोपदवानता ॥ १०॥


वरमानदसत्यासह्रीतपित्रादरादहो ।

भास्वरस्थिरधीरोपहारोरावनगाम्यसौ ॥ ११॥


विलोमम्:

सौम्यगानवरारोहापरोधीरस्स्थिरस्वभाः ।

होदरादत्रापितह्रीसत्यासदनमारवा ॥ ११॥


यानयानघधीतादा रसायास्तनयादवे ।

सागताहिवियाताह्रीसतापानकिलोनभा ॥ १२॥


विलोमम्:

भानलोकिनपातासह्रीतायाविहितागसा ।

वेदयानस्तयासारदाताधीघनयानया ॥ १२॥


रागिराधुतिगर्वादारदाहोमहसाहह ।

यानगातभरद्वाजमायासीदमगाहिनः ॥ १३॥


विलोमम्:

नोहिगामदसीयामाजद्वारभतगानया ।

हह साहमहोदारदार्वागतिधुरागिरा ॥ १३॥


यातुराजिदभाभारं द्यां वमारुतगन्धगम् ।

सोगमारपदं यक्षतुंगाभोनघयात्रया ॥ १४॥


विलोमम्:

यात्रयाघनभोगातुं क्षयदं परमागसः ।

गन्धगंतरुमावद्यं रंभाभादजिरा तु या ॥ १४॥


दण्डकां प्रदमोराजाल्याहतामयकारिहा ।

ससमानवतानेनोभोग्याभोनतदासन ॥ १५॥

Shree

               ~ विलोमम्: ~

नसदातनभोग्याभो नोनेतावनमास सः ।

हारिकायमताहल्याजारामोदप्रकाण्डदम् ॥ १५॥


सोरमारदनज्ञानोवेदेराकण्ठकुंभजम् ।

तंद्रुसारपटोनागानानादोषविराधहा ॥ १६॥


विलोमम्:

हाधराविषदोनानागानाटोपरसाद्रुतम् ।

जम्भकुण्ठकरादेवेनोज्ञानदरमारसः ॥ १६॥


सागमाकरपाताहाकंकेनावनतोहिसः ।

न समानर्दमारामालंकाराजस्वसा रतम् ॥ १७ विलोमम्:

तं रसास्वजराकालंमारामार्दनमासन ।

सहितोनवनाकेकं हातापारकमागसा ॥ १७॥


तां स गोरमदोश्रीदो विग्रामसदरोतत ।

वैरमासपलाहारा विनासा रविवंशके ॥ १८॥


विलोमम्:

केशवं विरसानाविराहालापसमारवैः ।

ततरोदसमग्राविदोश्रीदोमरगोसताम् ॥ १८॥


गोद्युगोमस्वमायोभूदश्रीगखरसेनया ।

सहसाहवधारोविकलोराजदरातिहा ॥ १९॥


विलोमम्:

हातिरादजरालोकविरोधावहसाहस ।

यानसेरखगश्रीद भूयोमास्वमगोद्युगः ॥ १९॥


हतपापचयेहेयो लंकेशोयमसारधीः ।

राजिराविरतेरापोहाहाहंग्रहमारघः ॥ २०॥


विलोमम्:

घोरमाहग्रहंहाहापोरातेरविराजिराः ।

धीरसामयशोकेलं यो हेये च पपात ह ॥ २०॥


ताटकेयलवादेनोहारीहारिगिरासमः ।


हासहायजनासीतानाप्तेनादमनाभुवि  ॥ २१॥


विलोमम्:

विभुनामदनाप्तेनातासीनाजयहासहा ।

ससरागिरिहारीहानोदेवालयकेटता ॥ २१॥


भारमाकुदशाकेनाशराधीकुहकेनहा ।

चारुधीवनपालोक्या वैदेहीमहिताहृता ॥ २२॥


विलोमम्:

ताहृताहिमहीदेव्यैक्यालोपानवधीरुचा ।

हानकेहकुधीराशानाकेशादकुमारभाः ॥ २२॥


हारितोयदभोरामावियोगेनघवायुजः ।

तंरुमामहितोपेतामोदोसारज्ञरामयः ॥ २३॥


विलोमम्:

योमराज्ञरसादोमोतापेतोहिममारुतम् ।

जोयुवाघनगेयोविमाराभोदयतोरिहा ॥ २३॥


भानुभानुतभावामासदामोदपरोहतं ।

तंहतामरसाभक्षोतिराताकृतवासविम् ॥ २४॥


विलोमम्:

विंसवातकृतारातिक्षोभासारमताहतं ।

तं हरोपदमोदासमावाभातनुभानुभाः ॥ २४॥

हंसजारुद्धबलजापरोदारसुभाजिनि ।

राजिरावणरक्षोरविघातायरमारयम् ॥ २५॥


विलोमम्: 👀👀

यं रमारयताघाविरक्षोरणवराजिरा ।

निजभासुरदारोपजालबद्धरुजासहम् ॥ २५॥


सागरातिगमाभातिनाकेशोसुरमासहः ।

तंसमारुतजंगोप्ताभादासाद्यगतोगजम् ॥ २६॥


विलोमम्:

जंगतोगद्यसादाभाप्तागोजंतरुमासतं ।

हस्समारसुशोकेनातिभामागतिरागसा ॥ २६॥


वीरवानरसेनस्य त्राताभादवता हि सः ।

तोयधावरिगोयादस्ययतोनवसेतुना ॥ २७॥


विलोमम्

नातुसेवनतोयस्यदयागोरिवधायतः ।

सहितावदभातात्रास्यनसेरनवारवी ॥ २७॥


हारिसाहसलंकेनासुभेदीमहितोहिसः ।

चारुभूतनुजोरामोरमाराधयदार्तिहा ॥ २८॥


विलोमम्

हार्तिदायधरामारमोराजोनुतभूरुचा ।

सहितोहिमदीभेसुनाकेलंसहसारिहा ॥ २८॥


नालिकेरसुभाकारागारासौसुरसापिका ।

रावणारिक्षमेरापूराभेजे हि ननामुना ॥ २९॥


विलोमम्:

नामुनानहिजेभेरापूरामेक्षरिणावरा ।

कापिसारसुसौरागाराकाभासुरकेलिना ॥ २९॥


साग्र्यतामरसागारामक्षामाघनभारगौः ॥

निजदेपरजित्यास श्रीरामे सुगराजभा ॥ ३०॥


विलोमम्:

भाजरागसुमेराश्रीसत्याजिरपदेजनि ।स

गौरभानघमाक्षामरागासारमताग्र्यसा ॥ ३०॥


॥ इति श्रीवेङ्कटाध्वरि कृतं श्री  ।।


*कृपया अपना थोड़ा सा कीमती वक्त निकाले और उपरोक्त श्लोको को गौर से अवलोकन करें कि यह दुनिया में कहीं भी ऐसा न पाया जाने वाला ग्रंथ है ।*
🚩जय श्री राम🍃🍂🚩

8.22.2020

चौरचन (Chaurchan) पर्व के बारे में पुराणों में ऐसा वर्णन मिलता है

 चौरचन - चौठचंद्र - पर्व धूमधाम से मनाया जाता है। 


भाद्रपद की चतुर्थी तिथि यानी जिस दिन गणेश चतुर्थी के दिन ही चौरचन पर्व मनाया जाता है। महाराष्ट्र में जहां इस दिन लोग गणपति की स्थापना करते हैं वहीं मिथिला में इस दिन गणेश और चंद्र देव का पूजन किया जाता है।

चौरचन (Chaurchan) पर्व के बारे में पुराणों में ऐसा वर्णन मिलता है
चौरचन(पावैन) पूजा का शुभ मुहूर्त: 22 अगस्त, शनिवार – शाम 06 बजकर 53 मिनट से 07 बजकर 59 मिनट तक

इसी दिन चौरचन भी मनाया जाता है। इस साल चौरचन 22 अगस्त शनिवार को मनाया जाएगा। यह त्योहार मिथिला यानी बिहार में मनाया जाता है। इस दिन चंद्र देव की उपासना की जाती है। कहते हैं कि जो व्यक्ति गणेश चतुर्थी की शाम भगवान गणेश के साथ चंद्र देव की पूजा करता है। वह चंद्र दोष से मुक्त हो जाता है। बता दें कि चतुर्थी (चौठ) तिथि में शाम के समय चौरचन पूजा होती है। चौरचन (Chaurchan) पर्व के बारे में पुराणों में ऐसा वर्णन मिलता है कि इसी दिन चंद्रमा को कलंक लगा था।

चौठ चंद्र पूजन विधि: 


इस दिन सुबह से शाम व्रत रखकर भक्त पूजन में लीन रहते हैं। शाम के समय घर के आंगन को गाय के गोबर से लीपकर साफ करते हैं। फिर केले के पत्ते की मदद से गोलाकार चांद बनाएं। अब इस पर तरह-तरह के मीठे पकवान जैसे कि खीर, मिठाई, गुजिया और फल रखें। पश्चिम दिशा की ओर मुख करके रोहिणी (नक्षत्र) सहित चतुर्थी में चंद्रमा की पूजा उजले फूल से करें। इसके उपरांत घर में जितने लोग हैं, उतनी ही संख्या में पकवानों से भरी डाली और दही के बर्तन को रखें। अब एक-एक कर डाली, दही का बर्तन, केला, खीरा आदि को हाथों में उठाकर ‘सिंह: प्रसेनमवधिस्सिंहो जाम्बवता हतः। सुकुमार मन्दिस्तव ह्येष स्यामन्तक: स्त’ इस मंत्र को पढ़कर चंद्रमा को समर्पित करें।

चौरचन की कथा: 


एक दिन भगवान गणेश अपने वाहन मूषक के साथ कैलाश पर घूम रहे थे। तभी अचानक चंद्र देव उन्हें देखकर हंसने लगे, गणेश जी को उनके हंसने की वजह समझ नहीं आई। उन्होंने चंद्र देव से पूछा कि आप क्यों हंस रहे हैं। इसका जवाब देते हुए चंद्र देव ने कहा कि वह भगवान गणेश का विचित्र रूप देख कर हंस रहे हैं। साथ ही उन्होंने अपने रूप का बखान भी किया।
गणेश जी को चंद्र देव की मजाक उड़ाने की प्रवृत्ति पर क्रोध आया। उन्होंने चंद्र देव को यह श्राप दिया कि तुम्हें अपने रूप पर बहुत अभिमान है कि तुम बहुत सुंदर दिखते हो लेकिन आज से तुम कुरूप हो जाओ। जो कोई भी व्यक्ति तुम्हें देखेगा उसे झूठा कलंक लगेगा। कोई अपराध न होने के बावजूद भी वह अपराधी कहलाएगा।

श्राप सुनते ही चंद्र देव का अभिमान चूर चूर हो गया। उन्होंने गणेश जी से क्षमा मांगी और कहा भगवन् मुझे इस श्राप से मुक्त कीजिए। चंद्र देव को पश्चाताप करते देख गणेश जी ने उन्हें क्षमा कर दिया। श्राप पूरी तरह से वापस नहीं लिया जा सकता था इसलिए यह कहा गया कि जो कोई भी व्यक्ति गणेश चतुर्थी के दिन चंद्र देव को देखेगा। उस पर झूठा आरोप लगेगा। इससे बचने के लिए ही मिथिला में गणेश चतुर्थी की शाम को चंद्रमा की पूजा की जाती है।




श्री राम मंदिर कि दिवारों पर अपना नाम खुदवाने के लिए करें ये छोटा काम और सदियों तक आपका नाम मंदिर के दिवारों पर रहेगा

श्री राम मंदिर कि दिवारों पर अपना नाम खुदवाने के लिए करें ये छोटा काम !

और सदियों तक आपका नाम मंदिर के दिवारों पर रहेगा

अयोध्या में राम मंदिर भूमि पूजन के बाद अब मंदिर निर्माण की कवायद तेज हो गई है। अयोध्या में बन रहे भव्य राम मंदिर की दीवारों पर सदियों के लिए नाम लिखवाने का एक बड़ा मौका है। बस इसलिए आपको तांबा दान करना होगा। रामजन्मभूमि ट्रस्ट ने इसलिए भक्तों से तांबे की पत्तियां दान करने को कहा है। उन्होंने कहा है कि तांबे की पत्तियों में लोग अपने या अपने परिवार के लोगों का नाम भी लिखवा सकते हैं।

Shree Ram Mandir Nirman


दरअसल, राम मंदिर निर्माण में किसी प्रकार के लोहे या सरिया का इस्तेमाल नहीं किया जाएगा। ट्रस्ट ने बताया है कि लोहे की जगह मंदिर निर्माण में तांबे की छडें प्रयोग होंगी, जिससे मंदिर सदियों तक खड़ी रहेगी। 

राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट ने गुरुवार को ट्वीट कर कहा, ' मंदिर निर्माण में लगने वाले पत्थरों को जोड़ने के लिए तांबे की पत्तियों का उपयोग किया जाएगा। निर्माण कार्य हेतु 18 इंच लम्बी, 3 एमएम गहरी और 30 एमएण चौड़ी 10,000 पत्तियों की आवश्यकता पड़ेगी। श्री रामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र श्रीरामभक्तों का आह्वान करता है कि तांबे की पत्तियां दान करें।'

अयोध्या में राम मंदिर निर्माण के लिए रामभक्तों से मांगी जा रहीं तांबे की पत्तियां, जानें वजह

निर्माण के कार्य में लगभग 36-40 महीने का समय लगने का अनुमान है।


ट्रस्ट ने आगे कहा कि 'इन तांबे की पत्तियों पर दानकर्ता अपने परिवार, क्षेत्र अथवा मंदिरों का नाम गुदवा सकते हैं। इस प्रकार से ये तांबे की पत्तियां न केवल देश की एकात्मता का अभूतपूर्व उदाहरण बनेंगी, अपितु मन्दिर निर्माण में सम्पूर्ण राष्ट्र के योगदान का प्रमाण भी देंगी।'

ट्रस्ट ने कहा कि श्री रामजन्मभूमि मंदिर का निर्माण भारत की प्राचीन निर्माण पद्धति से किया जा रहा है ताकि वह सहस्त्रों वर्षों तक न केवल खड़ा रहे, अपितु भूकम्प, झंझावात अथवा अन्य किसी प्रकार की आपदा में भी उसे किसी प्रकार की क्षति न हो। मंदिर के निर्माण में लोहे का प्रयोग नही किया जाएगा।

ट्रस्ट ने एक अन्य ट्वीट में कहा कि श्री राम जन्मभूमि मन्दिर के निर्माण हेतु कार्य प्रारंभ हो गया है। CBRI रुड़की और IIT मद्रास के साथ मिलकर निर्माणकर्ता कम्पनी L&T के अभियंता भूमि की मृदा के परीक्षण के कार्य में लगे हुए हैं। मंदिर निर्माण के कार्य में लगभग 36-40 महीने का समय लगने का अनुमान है।

बच्चों मे यह आदत डाले | Achchi Baten

बच्चों मे यह आदत अवश्य डाले...

अच़्छी आदतें


1: मंदिर घुमाने लेकर जाइये !
2: तिलक लगाने की आदत डालें !
3: देवी देवताओं की कहानियां सुनायें !
4: संकट आये तो नारायण नारायण बोलें !
5: गलती होने पर हे राम बोलने की आदत डालें !
6: गायत्री मंत्र, हनुमान चालीसा व महामृत्युन्जय मंत्र आदि याद करायें !
7: अकबर, हुमांयू, सिकन्दर के बदले शिवाजी, महाराणा प्रताप जैसे शूरवीरों की कहानियां सुनायें !
8: घर मे छोटे बच्चों से जय श्री कृष्णा, राधे राधे,
हरी बोल, जय माता दी,
राम राम कहिये, और उनसे भी जवाब मे राम राम बुलवाने की आदत डालिये !
9: बाहर जाते समय bye न कहे बच्चो से जय श्री कृष्णा कहे।

अपने धर्म का ज्ञान हमको ही देना है ! कोई और नहीं आयेगा यह सब सिखाने को    🙏

Definition of Bhakti | It is of the form of Supreme Love towards God.

 Definition of Bhakti


🍃It is of the form of Supreme Love towards God.

Definition of Bhakti


Commentary:

The term Bhakti comes from the root "Bhaj", which means "to be attached to God."

8.09.2019

Best Station Madhubani - Station Of Colour

खुशखबरी जिलावासियों शेयर करें सभी के साथ , हम सभी का मधुबनी जीला को राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार से सम्मानित किया गया है ! निचे देखें फुल के खेरे में
Best Station Madhubani - Station Of Colour
Sound - Deepak Agnihotri , Urbiza Upadhyay

66वें राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कारों का ऐलान कर दिया गया है। बेस्ट हिंदी फिल्म का अवॉर्ड 'अंधाधुन' को दिया गया है। आयुष्मान खुराना और तब्बू स्टारर इस फिल्म का निर्देशन श्रीराम राघवन ने किया है। इसके अलावा फिल्म 'पद्मावत' को बेस्ट कोरियाॅग्रफी और संजय लीला भंसाली को बेस्ट म्यूजिक डायरेक्टर का अवॉर्ड भी मिला है। बेस्ट एंटरटेनमेंट फिल्म का अवॉर्ड 'बधाई हो' को दिया गया है। साथ ही 'उरी: द सर्जिकल स्ट्राइक को बेस्ट बैकग्राउंड म्यूजिक का अवॉर्ड मिला है।

बेस्‍ट ऐक्‍टर अवॉर्ड: आयुष्‍मान खुराना (बधाई हो), विकी कौशल (उरी: द सर्जिकल स्‍ट्राइक)
बेस्‍ट ऐक्‍ट्रेस अवॉर्ड: कीर्ति सुरेश (महानती)

स्पेशल मेंशन अवॉर्ड (नॉन फीचर)
महान हुतात्मा- सागर पुराणिक

ग्लो वॉर्म इन ए जंगल- रमण दुंपाल
लड्डू- समीर साधवानी और किशोर साधवानी
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💐  बेस्ट नरेशन मधुबनी- द स्टेशन ऑफ कलर 💐
💐आवाज- दीपक अग्निहोत्री, उर्विजा उपाध्याय💐
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बेस्ट म्यूजिक फिल्म- ज्योति- डायरेक्टर केदार दिवेकर
बेस्ट ऑडियोग्रफी- चिल्ड्रेन ऑफ द सॉइल- बिश्वदीप चटर्जी
बेस्ट लोकेशन साउंड- द सीक्रेट लाइफ ऑफ फ्रॉग्स- अजय बेदी
बेस्ट सिनमैटॉग्रफी- द सिक्रेट लाइफ ऑफ फ्रॉग्स - अजय बेदी और विजय बेदी
बेस्ट बीट डायरेक्शन- अई शपथ- गौतम वजे
बेस्ट फिल्म ऑन फैमिली वैल्यु- चलो जीते हैं- मंगेश हडावले
बेस्ट शॉट फिक्शन फिल्म- कासव- आदित्य सुभाष जंभाले
सोशल जस्टिस फिल्म- व्हाइ मी- हरीश शाह
सोशल जस्टिस फिल्म- एकांत- नीरज सिंह
बेस्ट इन्वेस्टिगेटिव फिल्म- अमोली- जैसमिन कौर और अविनाश रॉय
बेस्ट स्पोर्ट्स फिल्म- स्विमिंग थ्रू द डार्कनेस- सुप्रियो सेन
बेस्ट एजुकेशनल फिल्म- सरला विरला- एरेगोड़ा

बेस्ट फिल्म ऑन सोशल इशू- ताला ते कूंजी- शिल्पी गुलाटी
बेस्ट एनवायरन्मेंटल फिल्म- द वर्ल्ड्स मोस्ट फेमस टाइगर- सुबिया नालामुथु
बेस्ट प्रमोशनल फिल्म- रीडिस्कवरिंग जाजम- अविशान मौर्य और कृति गुप्ता
बेस्ट साइंसेज ऐंड टेक्नॉलजी फिल्म- जीडी नायडू: द एडिसिन ऑफ इंडिया- रंजीत कुमार
बेस्ट आर्ट्स ऐंड कल्चरल फिल्म- बुनकर: द लास्ट ऑफ द वाराणसी वीवर्स- सत्यप्रकाश उपाध्याय

बेस्ट डेब्यू नॉन-फीचर फिल्म ऑफ ए डायरेक्टर- फलूदा- साग्निक चटर्जी
बेस्ट नॉन-फीचर फलिम (शेयर्ड)- सन राइज - विभा बख्शी
बेस्ट नॉन-फीचर फिल्म- द सिक्रेट लाइफ ऑफ फ्रॉग्स - अजय बेदी ऐंड विजय बेदी
बेस्ट म्यूजिक डायरेक्टर- पद्मावत- संजय लीला भंसाली

स्पेशल मेंशन (फीचर)
नथिकचरामी (कन्नड़)- श्रुति हरिहरण
कड़क(हिंदी)- चंद्रचूड़ राय (ऐक्टर)
जोसफ (मलयालम)- जोजू जॉर्ज (ऐक्टर)
सुदानी फ्रॉम नाइजीरिया (मलयालम)- सावित्री (ऐक्ट्रेस)

बेस्ट राजस्थानी फिल्म- टर्टल- दिनेश एस यादव
बेस्ट पंचिंगा फिल्म- इन द लैंड ऑफ पॉइजन विमिन- मंजू बोरा
बेस्ट शेरडूकपन फिल्म- मिशिंग- बॉबी शर्मा बरुआ
बेस्ट गारो फिल्म- मामा- डॉमिनिक संगमा
बेस्ट मराठी फिल्म- भोंगा- शिवाजी लोटन पाटिल

बेस्ट तमिल फिल्म- बारम- प्रिया कृष्णस्वामी
बेस्ट हिंदी फिल्म- अंधाधुन- श्रीराम राघवन
बेस्ट उर्दू फिल्म- हामिद- ऐजाज खान
बेस्ट बंगाली फिल्म- एक जे छिलो राजा- सृजीत मुखर्जी
बेस्ट मलयालम फिल्म- सुदानी फ्रॉम नाइजीरिया- जकारिया
बेस्ट तेलुगू फिल्म- महानति- नाग अश्विन
बेस्ट कन्नड़ फिल्म- नाथीचरामी- मंजुनाथ एस (मंसूरे)
बेस्ट कोंकणी फिल्म- अमोरी- दिनेश पी भोगले
बेस्ट असामी फिल्मी- बुलबुल कैन सिंग- रीमा दास
बेस्ट पंजाबी फिल्म- हरजीता- विजय कुमार अरोड़ा
बेस्ट गुजराती फिल्म- रेवा- राहुल सुरेंद्रभाई भोले, विनीत कुमार अंबुभाई कनोजिया

बेस्ट ऐक्शन डायरेक्टर अवॉर्ड- कन्नड़ फिल्म केजीएफ- विक्रम मोरे और अंबु आरिव
बेस्ट काेरियॉग्रफी- पद्मावत- क्रुति महेश माड्या और ज्योति तोमर- गाना- घूमर-घूमर
बेस्ट स्पेशल इफेक्ट- तेलुगु फिल्म ऑ- श्रुति क्रिएटिव स्टूडियो
बेस्ट स्पेशल इफेक्ट- कन्नड़ फिल्म केजीएफ- यूनिफाइ मीडिया
बेस्ट लिरिक्स- कन्नड़ फिल्म नाथिचरामी-
संगीतकार- मंजुनाथ एस (मंसूर)- गाना - मायावी मानवे

बेस्ट बैकग्राउंड म्यूजिक- उड़ी: द सर्जिकल स्ट्राइक- शाश्वत सचदेव
बेस्ट मेकअप आर्टिस्ट- तेलुगु फिल्म ऑ- रणजीत
बेस्ट कॉस्ट्यूम डिजाइनर- तेलुगु फिल्म- महानती- इंद्राक्षि पटनायक, गौरांग शाह और अर्चना राव
बेस्ट प्रॉडक्शन डिजाइन- मलायलम फिल्म- कमारा संभावम- बंगाल
बेस्ट एडिटिंग- कन्नड़ फिल्म नाथिचरामी- नागेंद्र क उज्जयनी
बेस्ट ऑडियोग्रफी (लोकेशन साउंड रिकॉर्डिस्ट)- मराठी फिल्म तेंडल्या- गौरव वर्मा
बेस्ट ऑडियोग्रफी (बेस्ट साउंड डिजाइनर)- उरी: द सर्जिकल स्ट्राइक- बिश्वदीप दीपक चटर्जी
बेस्ट ऑडियोग्रफी (री-रिकॉर्डिस्ट ऑफ द फाइनल मिक्स्ड ट्रैक)- तेलुगु फिल्म रंगस्थलम- राजा कृष्णन एमआर
बेस्ट स्क्रीनप्ले (ऑरिजिनल) - तेलुगु फिल्म ची अर्जुन ला सो- राहुल रवींद्रन
बेस्ट स्क्रीनप्ले (अडेप्टेड)- अंधाधुन- श्रीराम राघवन, अरिजीत बिश्वास, योगेश चंद्रेकर, हेमंत राव और पूजा लाढा सुरती
बेस्ट स्क्रीनप्ले (डायलॉग)- बंगाली फिल्म तारीख- चुरनी गांगुली
बेस्ट सिनमैटोग्रफी- मलयालम फिल्म- उलु- एम. जे. राधाकृष्णन
बेस्ट फीमेल प्लेबैक सिंगर- कन्नड़ फिल्म नाथीचरामी- बिंदू मालिनी- गाना- मायवी मनावे
बेस्ट मेल प्लेबैक सिंगर- फिल्म पद्मावत, अरिजीत सिंह- बिंते दिल मिस्रिया में
बेस्ट चाइल्ड आर्टिस्ट- कन्नड़ फिल्म ओंडाला एराडाला- रोहित
बेस्ट चाइल्ड आर्टिस्ट- पंजाबी फिल्म हरजीता- समीप सिंह
बेस्ट चाइल्ड आर्टिस्ट- उर्दू फिल्म हामिद- तल्हा अरशद रेशी
बेस्ट चाइल्ड आर्टिस्ट- मराठी फिल्म नाल- श्रीनिवास पोकले
बेस्ट सपॉर्टिंग ऐक्ट्रेसेस- बधाई हो - सुरेखा सिकरी

बेस्ट सपॉर्टिंग ऐक्ट्रेस- मराठी फिल्म चुंबक- स्वानंद किरकिरे

बता दें, पुरस्कारों का ऐलान पहले 24 अप्रैल को होना था लेकिन लोकसभा चुनाव के कारण इस बार घोषणा देरी से हो रही है।

7.13.2019

आप सबके प्रति मेरा भगवद भाव से नमन
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🔱 रावण और भगवान् राम दोनों ही शिव की पूजा और आराधना करते हैं। पर वस्तुतः दोनों की आराध्य के प्रति भिन्न भावना है। एक के लिए वह 'अहं' की आराधना है और दूसरे के लिए 'विश्वास' की। भगवान् शिव स्वयं सहज रूप में विश्वास है। 'अहं' तो उनके लिए पद मात्र है जो विश्व के विविध कार्यो के संचालन की दृष्टि से निर्मित हुआ है। सकाम व्यक्ति बहुधा पद को महत्व देता है, क्योंकि वह सत्ता प्रिय होता है।

भगवान् राम लंका आक्रमण के पूर्व शिव-लिंग की स्थापना करते हैं। नाम रखा जाता है 'रामेश्वर' । अपना स्वामी मानकर उन्हें नमन करते हैं, उनकी पूजा करते हैं। पर रावण केवल उन्हें अपने उत्थान का साधन मात्र मानकर व्यवहार करता है। उसकी पूजा का रूप यही है। वह शिर काटकर चढ़ा देता है। तुलना में राम तो केवल पुष्पार्पण करते हैं। इसका अभिप्राय क्या ? वस्तुतः अपने आराध्य को अर्पण करना चाहिए, उसी से वह प्रसन्न भी होता है। पर रावण ह्दय नहीं शिर देता है। वह भी एक चतुर व्यापारी की भांति ; जो बुद्धिमानी से ऋण देता है, इस आशा से कि वह अधिक बढ़कर लौटेगा। वह शिर के बदले में असंख्य शिर उत्पन्न होने की क्षमता प्राप्त करता है। उसके लिए शिव ऐश्वर्य और बल के दाता हैं। इसीलिए ऐश्वर्य और बल के मिलते ही वह उनको भी लघु बनाने की चेष्टा करता है। स्वयं उनके यहाँ जाकर पूजन करने के स्थान पर वह यही चाहता है कि वे लंका आकर पूजन लें। शिव को यह स्वीकार भी करना पड़ा।
*बेद पढ़े बिधि शंभु सभीत,*

7.10.2019

सेक्स एक शक्ति है, उसको समझिए।

सेक्स एक शक्ति है, उसको समझिए।
हमने सेक्स को सिवाय गाली के आज तक दूसरा कोई सम्मान नहीं दिया।
सेक्स एक शक्ति है, उसको समझिए।
सेक्स एक शक्ति है, उसको समझिए।
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हम तो बात करने में भयभीत होते हैं। हमने तो सेक्स को इस भांति छिपा कर रख दिया है जैसे वह है ही नहीं, जैसे उसका जीवन में कोई स्थान नहीं है। जब कि सच्चाई यह है कि उससे ज्यादा महत्वपूर्ण मनुष्य के जीवन में और कुछ भी नहीं है। लेकिन उसको छिपाया है, उसको दबाया है। दबाने और छिपाने से मनुष्य सेक्स से मुक्त नहीं हो गया, बल्कि मनुष्य और भी बुरी तरह से सेक्स से ग्रसित हो गया। दमन उलटे परिणाम लाया है। शायद आपमें से किसी ने एक फ्रेंच वैज्ञानिक कुए के एक नियम के संबंध में सुना होगा। वह नियम है: लॉ ऑफ रिवर्स इफेक्ट। कुए ने एक नियम ईजाद किया है, विपरीत परिणाम का नियम। हम जो करना चाहते हैं, हम इस ढंग से कर सकते हैं कि जो हम परिणाम चाहते थे, उससे उलटा परिणाम हो जाए।
कुए कहता है, हमारी चेतना का एक नियम है—लॉ ऑफ रिवर्स इफेक्ट। हम जिस चीज से बचना चाहते हैं, चेतना उसी पर केंद्रित हो जाती है और परिणाम में हम उसी से टकरा जाते हैं।
पांच हजार वर्षों से आदमी सेक्स से बचना चाह रहा है और परिणाम इतना हुआ है कि गली-कूचे, हर जगह, जहां भी आदमी जाता है, वहीं सेक्स से टकरा जाता है। वह लॉ ऑफ रिवर्स इफेक्ट मनुष्य की आत्मा को पकड़े हुए है।
क्या कभी आपने यह सोचा कि आप चित्त को जहां से बचाना चाहते हैं, चित्त वहीं आकर्षित हो जाता है, वहीं निमंत्रित हो जाता है! जिन लोगों ने मनुष्य को सेक्स के विरोध में समझाया, उन लोगों ने ही मनुष्य को कामुक बनाने का जिम्मा भी अपने ऊपर ले लिया है। मनुष्य की अति कामुकता गलत शिक्षाओं का परिणाम है। और आज भी हम भयभीत होते हैं कि सेक्स की बात न की जाए! क्यों भयभीत होते हैं? भयभीत इसलिए होते हैं कि हमें डर है कि सेक्स के संबंध में बात करने से लोग और कामुक हो जाएंगे।
मैं आपको कहना चाहता हूं, यह बिलकुल ही गलत भ्रम है। यह शत प्रतिशत गलत है। पृथ्वी उसी दिन सेक्स से मुक्त होगी, जब हम सेक्स के संबंध में सामान्य, स्वस्थ बातचीत करने में समर्थ हो जाएंगे। जब हम सेक्स को पूरी तरह से समझ सकेंगे, तो ही हम सेक्स का अतिक्रमण कर सकेंगे।
जगत में ब्रह्मचर्य का जन्म हो सकता है, मनुष्य सेक्स के ऊपर उठ सकता है, लेकिन सेक्स को समझ कर, सेक्स को पूरी तरह पहचान कर। उस ऊर्जा के पूरे अर्थ, मार्ग, व्यवस्था को जान कर उससे मुक्त हो सकता है। आंखें बंद कर लेने से कोई कभी मुक्त नहीं हो सकता। आंखें बंद कर लेने वाले सोचते हों कि आंख बंद कर लेने से शत्रु समाप्त हो गया है, तो वे पागल हैं। सेक्स के संबंध में आदमी ने शुतुरमुर्ग का व्यवहार किया है आज तक। वह सोचता है, आंख बंद कर लो सेक्स के प्रति तो सेक्स मिट गया।
अगर आंख बंद कर लेने से चीजें मिटती होतीं, तो बहुत आसान थी जिंदगी, बहुत आसान होती दुनिया। आंखें बंद करने से कुछ मिटता नहीं, बल्कि जिस चीज के संबंध में हम आंखें बंद करते हैं, हम प्रमाण देते हैं कि हम उससे भयभीत हो गए हैं, हम डर गए हैं। वह हमसे ज्यादा मजबूत है, उससे हम जीत नहीं सकते हैं, इसलिए हम आंख बंद करते हैं। आंख बंद करना कमजोरी का लक्षण है।
और सेक्स के बाबत सारी मनुष्य-जाति आंख बंद करके बैठ गई है। न केवल आंख बंद करके बैठ गई है, बल्कि उसने सब तरह की लड़ाई भी सेक्स से ली है। और उसके परिणाम, उसके दुष्परिणाम सारे जगत में ज्ञात हैं।
अगर सौ आदमी पागल होते हैं, तो उसमें से अट्ठानबे आदमी सेक्स को दबाने की वजह से पागल होते हैं। अगर हजारों स्त्रियां हिस्टीरिया से परेशान हैं, तो उसमें सौ में से निन्यानबे स्त्रियों के हिस्टीरिया के, मिरगी के, बेहोशी के पीछे सेक्स की मौजूदगी है, सेक्स का दमन मौजूद है। अगर आदमी इतना बेचैन, अशांत, इतना दुखी और पीड़ित है, तो इस पीड़ित होने के पीछे उसने जीवन की एक बड़ी शक्ति को बिना समझे उसकी तरफ पीठ खड़ी कर ली है, उसका कारण है। और परिणाम उलटे आते हैं।
अगर हम मनुष्य का साहित्य उठा कर देखें, अगर किसी देवलोक से कभी कोई देवता आए या चंद्रलोक से या मंगल ग्रह से कभी कोई यात्री आए और हमारी किताबें पढ़े, हमारा साहित्य देखे, हमारी कविताएं पढ़े, हमारे चित्र देखे, तो बहुत हैरान हो जाएगा। वह हैरान हो जाएगा यह जान कर कि आदमी का सारा साहित्य सेक्स ही सेक्स पर क्यों केंद्रित है? आदमी की सारी कविताएं सेक्सुअल क्यों हैं? आदमी की सारी कहानियां, सारे उपन्यास सेक्स पर क्यों खड़े हैं? आदमी की हर किताब के ऊपर नंगी औरत की तस्वीर क्यों है? आदमी की हर फिल्म नंगे आदमी की फिल्म क्यों है? वह आदमी बहुत हैरान होगा; अगर कोई मंगल से आकर हमें इस हालत में देखेगा तो बहुत हैरान होगा। वह सोचेगा, आदमी सेक्स के सिवाय क्या कुछ भी नहीं सोचता? और आदमी से अगर पूछेगा, बातचीत करेगा, तो बहुत हैरान हो जाएगा। आदमी बातचीत करेगा आत्मा की, परमात्मा की, स्वर्ग की, मोक्ष की। सेक्स की कभी कोई बात नहीं करेगा! और उसका सारा व्यक्तित्व चारों तरफ से सेक्स से भरा हुआ है! वह मंगल ग्रह का वासी तो बहुत हैरान होगा। वह कहेगा, बातचीत कभी नहीं की जाती जिस चीज की, उसको चारों तरफ से तृप्त करने की हजार-हजार पागल कोशिशें क्यों की जा रही हैं?
आदमी को हमने परवर्ट किया है, विकृत किया है और अच्छे नामों के आधार पर विकृत किया है। ब्रह्मचर्य की बात हम करते हैं। लेकिन कभी इस बात की चेष्टा नहीं करते कि पहले मनुष्य की काम की ऊर्जा को समझा जाए, फिर उसे रूपांतरित करने के प्रयोग भी किए जा सकते हैं। बिना उस ऊर्जा को समझे दमन की, संयम की सारी शिक्षा, मनुष्य को पागल, विक्षिप्त और रुग्ण करेगी। इस संबंध में हमें कोई भी ध्यान नहीं है! यह मनुष्य इतना रुग्ण, इतना दीन-हीन कभी भी न था; इतना विषाक्त भी न था, इतना पायज़नस भी न था, इतना दुखी भी न था।
मनुष्य के भीतर जो शक्ति है, उस शक्ति को रूपांतरित करने की, ऊंचा ले जाने की, आकाशगामी बनाने का हमने कोई प्रयास नहीं किया। उस शक्ति के ऊपर हम जबरदस्ती कब्जा करके बैठ गए हैं। वह शक्ति नीचे से ज्वालामुखी की तरह उबल रही है और धक्के दे रही है। वह आदमी को किसी भी क्षण उलटा देने की चेष्टा कर रही है।
क्या आपने कभी सोचा? आप किसी आदमी का नाम भूल सकते हैं, जाति भूल सकते हैं, चेहरा भूल सकते हैं। अगर मैं आप से मिलूं या मुझे आप मिलें तो मैं सब भूल सकता हूं—कि आपका नाम क्या था, आपका चेहरा क्या था, आपकी जाति क्या थी, उम्र क्या थी, आप किस पद पर थे—सब भूल सकता हूं, लेकिन कभी आपको खयाल आया कि आप यह भी भूल सके हैं कि जिससे आप मिले थे, वह आदमी था या औरत? कभी आप भूल सके इस बात को कि जिससे आप मिले थे, वह पुरुष है या स्त्री? कभी पीछे यह संदेह उठा मन में कि वह स्त्री है या पुरुष? नहीं, यह बात आप कभी भी नहीं भूल सके होंगे। क्यों लेकिन? जब सारी बातें भूल जाती हैं तो यह क्यों नहीं भूलता?
हमारे भीतर मन में कहीं सेक्स बहुत अतिशय होकर बैठा है। वह चौबीस घंटे उबल रहा है। इसलिए सब बात भूल जाती है, लेकिन यह बात नहीं भूलती। हम सतत सचेष्ट हैं। यह पृथ्वी तब तक स्वस्थ नहीं हो सकेगी, जब तक आदमी और स्त्रियों के बीच यह दीवार और यह फासला खड़ा हुआ है। यह पृथ्वी तब तक कभी भी शांत नहीं हो सकेगी, जब तक भीतर उबलती हुई आग है और उसके ऊपर हम जबरदस्ती बैठे हुए हैं। उस आग को रोज दबाना पड़ता है। उस आग को प्रतिक्षण दबाए रखना पड़ता है। वह आग हमको भी जला डालती है, सारा जीवन राख कर देती है। लेकिन फिर भी हम विचार करने को राजी नहीं होते—यह आग क्या थी?
और मैं आपसे कहता हूं, अगर हम इस आग को समझ लें तो यह आग दुश्मन नहीं है, दोस्त है। अगर हम इस आग को समझ लें तो यह हमें जलाएगी नहीं, हमारे घर को गरम भी कर सकती है सर्दियों में, और हमारी रोटियां भी पका सकती है, और हमारी जिंदगी के लिए सहयोगी और मित्र भी हो सकती है। लाखों साल तक आकाश में बिजली चमकती थी। कभी किसी के ऊपर गिरती थी और जान ले लेती थी। कभी किसी ने सोचा भी न था कि एक दिन घर में पंखा चलाएगी यह बिजली। कभी यह रोशनी करेगी अंधेरे में, यह किसी ने सोचा नहीं था। आज? आज वही बिजली हमारी साथी हो गई है। क्यों? बिजली की तरफ हम आंख मूंद कर खड़े हो जाते तो हम कभी बिजली के राज को न समझ पाते और न कभी उसका उपयोग कर पाते। वह हमारी दुश्मन ही बनी रहती। लेकिन नहीं, आदमी ने बिजली के प्रति दोस्ताना भाव बरता। उसने बिजली को समझने की कोशिश की, उसने प्रयास किए जानने के। और धीरे-धीरे बिजली उसकी साथी हो गई। आज बिना बिजली के क्षण भर जमीन पर रहना मुश्किल मालूम होगा।
मनुष्य के भीतर बिजली से भी बड़ी ताकत है सेक्स की।
मनुष्य के भीतर अणु की शक्ति से भी बड़ी शक्ति है सेक्स की।
कभी आपने सोचा लेकिन, यह शक्ति क्या है और कैसे हम इसे रूपांतरित करें? एक छोटे से अणु में इतनी शक्ति है कि हिरोशिमा का पूरा का पूरा एक लाख का नगर भस्म हो सकता है। लेकिन क्या आपने कभी सोचा कि मनुष्य के काम की ऊर्जा का एक अणु एक नये व्यक्ति को जन्म देता है? उस व्यक्ति में गांधी पैदा हो सकता है, उस व्यक्ति में महावीर पैदा हो सकता है, उस व्यक्ति में बुद्ध पैदा हो सकते हैं, क्राइस्ट पैदा हो सकता है। उससे आइंस्टीन पैदा हो सकता है और न्यूटन पैदा हो सकता है। एक छोटा सा अणु एक मनुष्य की काम-ऊर्जा का, एक गांधी को छिपाए हुए है। गांधी जैसा विराट व्यक्तित्व जन्म पा सकता है।
सेक्स है फैक्ट, सेक्स जो है वह तथ्य है मनुष्य के जीवन का। और परमात्मा? परमात्मा अभी दूर है। सेक्स हमारे जीवन का तथ्य है। इस तथ्य को समझ कर हम परमात्मा के सत्य तक यात्रा कर भी सकते हैं। लेकिन इसे बिना समझे एक इंच आगे नहीं जा हमने कभी यह भी नहीं पूछा कि मनुष्य का इतना आकर्षण क्यों है? कौन सिखाता है सेक्स आपको?
सारी दुनिया तो सिखाने के विरोध में सारे उपाय करती है। मां-बाप चेष्टा करते हैं कि बच्चे को पता न चल जाए। शिक्षक चेष्टा करते हैं। धर्म-शास्त्र चेष्टा करते हैं। कहीं कोई स्कूल नहीं, कहीं कोई यूनिवर्सिटी नहीं। लेकिन आदमी अचानक एक दिन पाता है कि सारे प्राण काम की आतुरता से भर गए हैं! यह कैसे हो जाता है? बिना सिखाए यह कैसे हो जाता है? सत्य की शिक्षा दी जाती है, प्रेम की शिक्षा दी जाती है, उसका तो कोई पता नहीं चलता। इस सेक्स का इतना प्रबल आकर्षण, इतना नैसर्गिक केंद्र क्या है? जरूर इसमें कोई रहस्य है और इसे समझना जरूरी है। तो शायद हम इससे मुक्त भी हो सकते हैं।
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5.31.2019

Mother: God sent angels - माँ : ईश्वर का भेजा गया फरिश्ता

                                             माँ : ईश्वर का भेजा गया फरिश्ता

Mother: God sent angels - माँ : ईश्वर का भेजा गया फरिश्ता
Mother: God sent angels - माँ : ईश्वर का भेजा गया फरिश्ता


एक समय की बात है, एक बच्चे का जन्म होने वाला था. जन्म से कुछ क्षण पहले उसने भगवान् से पूछा : ” मैं इतना छोटा हूँ, खुद से कुछ कर भी नहीं पाता, भला धरती पर मैं कैसे रहूँगा, कृपया मुझे अपने पास ही रहने दीजिये, मैं कहीं नहीं जाना चाहता.”
भगवान् बोले, ” मेरे पास बहुत से फ़रिश्ते हैं, उन्ही में से एक मैंने तुम्हारे लिए चुन लिया है, वो तुम्हारा ख़याल रखेगा. “
“पर आप मुझे बताइए, यहाँ स्वर्ग में मैं कुछ नहीं करता बस गाता और मुस्कुराता हूँ, मेरे लिए खुश रहने के लिए इतना ही बहुत है.”
” तुम्हारा फ़रिश्ता तुम्हारे लिए गायेगा और हर रोज़ तुम्हारे लिए मुस्कुराएगा भी . और तुम उसका प्रेम महसूस करोगे और खुश रहोगे.”


” और जब वहां लोग मुझसे बात करेंगे तो मैं समझूंगा कैसे, मुझे तो उनकी भाषा नहीं आती ?”


” तुम्हारा फ़रिश्ता तुमसे सबसे मधुर और प्यारे शब्दों में बात करेगा, ऐसे शब्द जो तुमने यहाँ भी नहीं सुने होंगे, और बड़े धैर्य और सावधानी के साथ तुम्हारा फ़रिश्ता तुम्हे बोलना भी सीखाएगा .”
” और जब मुझे आपसे बात करनी हो तो मैं क्या करूँगा?”
” तुम्हारा फ़रिश्ता तुम्हे हाथ जोड़ कर प्रार्थना करना सीखाएगा, और इस तरह तुम मुझसे बात कर सकोगे.”
“मैंने सुना है कि धरती पर बुरे लोग भी होते हैं . उनसे मुझे कौन बचाएगा ?”
” तुम्हारा फ़रिश्ता तुम्हे बचाएगा, भले ही उसकी अपनी जान पर खतरा क्यों ना आ जाये.”
“लेकिन मैं हमेशा दुखी रहूँगा क्योंकि मैं आपको नहीं देख पाऊंगा.”
” तुम इसकी चिंता मत करो ; तुम्हारा फ़रिश्ता हमेशा तुमसे मेरे बारे में बात करेगा और तुम वापस मेरे पास कैसे आ सकते हो बतायेगा.”
उस वक़्त स्वर्ग में असीम शांति थी, पर पृथ्वी से किसी के कराहने की आवाज़ आ रही थी….बच्चा समझ गया कि अब उसे जाना है, और उसने रोते-रोते भगवान् से पूछा,” हे ईश्वर, अब तो मैं जाने वाला हूँ, कृपया मुझे उस फ़रिश्ते का नाम बता दीजिये ?’
भगवान् बोले, ” फ़रिश्ते के नाम का कोई महत्त्व नहीं है, बस इतना जानो कि तुम उसे “माँ” कह कर पुकारोगे .”

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Mother: God sent to God For a time, a child was about to be born
Mother: God sent angels
Mother: God sent angels.

. A few moments before birth, he asked God: 'I am so small, I can not even do anything by myself, how will I live on earth, please let me stay with you, I do not want to go anywhere.' , 'I have many angels, one of them I have chosen for you, he will take care of you. '' But you tell me, here in heaven I do nothing, just sing and smile, so much is enough for me to be happy. '' Your angel will sing for you and smile for you everyday. And you will feel his love and be happy. '' And when people talk to me, I will understand how, I do not know their language? '' Your archbishop will talk to you in the most sweet and sweet words Words that you have not even heard here, and your patience will also teach you to speak with great patience and caution. '' And what will I do if I want to talk to you? '' Your angels You will learn to pray by joining hands, and in this way you will be able to talk to me. '' I have heard that there are bad people on earth too. Who will save me from them? '' Your angel will save you, even if there is no danger to his own life. '' But I will always be sad because I will not see you. '' Do not worry about it Do; Your angel will always talk to you about me and tell me how you can come back to me. ' At that time there was immense peace in heaven, but the voice of groan from the earth was coming .... The child understood that now I asked, 'O God, now I am going to go, please tell me the name of that angel?' God said, 'There is no significance of the name of the angel, just so much H No that call upon you tell her 'mother'. '

लड़कियो के नग्न घूमने पर जो लोग या स्त्री ये कहते है की कपडे नहीं सोच बदलो - मुक्ति का उपाय क्या है?

अगर बुरा लगे तो माफ़ कीजियेगा🙏
#लड़कियो के नग्न घूमने पर जो लोग या स्त्री ये कहते है की #कपडे नहीं सोच बदलो....
उन लोगो से मेरे कुछ प्रश्न है???
लड़कियो के नग्न घूमने पर जो लोग या स्त्री ये कहते है की nude girl
girls is not bad

1)लड़के #सोच क्यों बदले?? सोच बदलने की नौबत आखिर आ ही क्यों रही है??? आपने लोगो की सोच का #ठेका लिया है क्या??
2) आप उन लड़कियो की सोच का #आकलन क्यों नहीं करते?? उसने क्या सोचकर ऐसे कपडे पहने की उसके स्तन पीठ जांघे इत्यादि सब दिखाई दे रहा है....इन कपड़ो के पीछे उसकी सोच क्या थी?? एक #निर्लज्ज लड़की चाहती है की पूरा पुरुष समाज उसे देखे,वही एक सभ्य लड़की बिलकुल पसंद नहीं करेगी की कोई उस देखे
3)अगर सोच बदलना ही है तो क्यों न हर बात को लेकर बदली जाए??? आपको कोई अपनी बीच वाली ऊँगली का इशारा करे तो आप उसे गलत मत मानिए......सोच बदलिये..वैसे भी ऊँगली में तो कोई बुराई नहीं होती....आपको कोई गाली बके तो उसे गाली मत मानिए...उसे प्रेम सूचक शब्द समझिये.....
हत्या ,डकैती, चोरी, बलात्कार, आतंकवाद इत्यादि सबको लेकर सोच बदली जाये...सिर्फ नग्नता को लेकर ही क्यों????
4) कुछ लड़किया कहती है कि हम क्या पहनेगे ये हम तय करेंगे....पुरुष नहीं.....
जी बहुत अच्छी बात है.....आप ही तय करे....लेकिन हम पुरुष भी किस लड़की का सम्मान/मदद करेंगे ये भी हम तय करेंगे, स्त्रीया नहीं.... और हम किसी का सम्मान नहीं करेंगे इसका अर्थ ये नहीं कि हम उसका अपमान करेंगे
5)फिर कुछ विवेकहीन लड़किया कहती है कि हमें आज़ादी है अपनी ज़िन्दगी जीने की.....
जी बिल्कुल आज़ादी है,ऐसी आज़ादी सबको मिले, व्यक्ति को चरस गंजा ड्रग्स ब्राउन शुगर लेने की आज़ादी हो,गाय भैंस का मांस खाने की आज़ादी हो,वैश्यालय खोलने की आज़ादी हो,पोर्न फ़िल्म बनाने की आज़ादी हो... हर तरफ से व्यक्ति को आज़ादी हो।
मुक्ति का उपाय क्या है?
लड़कियो के नग्न घूमने पर जो लोग या स्त्री ये कहते है की कपडे नहीं सोच बदलो

6)लड़को को संस्कारो का पाठ पढ़ाने वाला कुंठित स्त्री समुदाय क्या इस बात का उत्तर देगा की क्या भारतीय परम्परा में ये बात शोभा देती है की एक लड़की अपने भाई या पिता के आगे अपने निजी अंगो का प्रदर्शन बेशर्मी से करे??? क्या ये लड़किया पुरुषो को भाई/पिता की नज़र से देखती है ??? जब ये खुद पुरुषो को भाई/पिता की नज़र से नहीं देखती तो फिर खुद किस अधिकार से ये कहती है की "हमें माँ/बहन की नज़र से देखो"
कौन सी माँ बहन अपने भाई बेटे के आगे नंगी होती है??? भारत में तो ऐसा कभी नहीं होता था....
सत्य ये है कीअश्लीलता को किसी भी दृष्टिकोण से सही नहीं ठहराया जा सकता। ये कम उम्र के बच्चों को यौन अपराधो की तरफ ले जाने वाली एक नशे की दूकान है।।
मष्तिष्क विज्ञान के अनुसार 4 तरह के नशो में एक नशा अश्लीलता(सेक्स) भी है।
चाणक्य ने चाणक्य सूत्र में सेक्स को सबसे बड़ा नशा और बीमारी बताया है।।
अगर ये नग्नता आधुनिकता का प्रतीक है तो फिर पूरा नग्न होकर स्त्रीया अत्याधुनिकता का परिचय क्यों नहीं देती????
गली गली और हर मोहल्ले में जिस तरह शराब की दुकान खोल देने पर बच्चों पर इसका बुरा प्रभाव पड़ता है उसी तरह अश्लीलता समाज में यौन अपराधो को जन्म देती है।।
आपसे अनुरोध है कृपया भारतीय संस्कृति की रक्षा करें,
आगे आपकी मर्जी 
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पूछा है कि भय—मुक्ति का उपाय क्या है? उपाय मत पूछें, क्योंकि उपाय सारे लोग कर रहे हैं, भय—मुक्ति के ही उपाय कर रहे हैं। धन को इकट्ठा करने वाला भी, पद को इकट्ठा करने वाला भी, तलवार इकट्ठी करनेवाला भी, शरीर को मजबूत करनेवाला भी, ईश्वर का भजनकीर्तन करने वाला भी—सब भय—मुक्ति के उपाय कर रहे हैं।
भय—मुक्ति का उपाय मत पूछो, वह तो सारी दुनिया कर रही है। भय—मुक्ति का उपाय नहीं, भय के प्रति जागरण, भय के प्रति होश, कि भय है क्यों? क्या है उसके बुनियाद में कारण? और अगर कारण दिखायी पड जाये कि भय का कारण यह है कि अभय की जो भूमि है, उसमें हमारा प्रवेश नहीं है; और जो भय की भूमि है, वहीं हम कोशिश कर रहे हैं कि अभय उपलब्ध हो जाये। अगर यह दिख जाये, तो परिवर्तन शुरू हो जाये।
मुक्ति का उपाय क्या है?
मुक्ति का उपाय क्या है?

अगर भय का स्पष्ट कारण दिख जाये, उसकी कॉजलिटी दिखायी पड जाये, उसकी बुनियाद दिखायी पड जाये, तो आप अभय में प्रवेश करना शुरू कर पायेंगे। भय को देखें और समझें कि वह क्यों है? बिना उसे समझे भय—मुक्ति के उपाय की कोशिश मत करें। और मेरा कहना है, जो समझ लेता है, उसे उपाय करने की कोई जरूरत नहीं रह जाती है। जिसने समझ लिया है कि भय क्यों है, उसका भय गया।
भय को खोजने से भय चला जायेगा। हम भय को तो खोजते नहीं, उपाय खोजते हैं उससे बचने का! और सब उपाय व्यर्थ हो जाते हैं।
मुझे जैसा दिखायी पडता है, वह यही है कि जीवन में किसी चीज से बचने की कोशिश न करें, उसे जानने की कोशिश करें। भय कुछ बुरा नहीं है, उसे जानने की कोशिश करें। उसे जानने से ही क्रांति होती है।