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1.14.2023

Makar Sankranti in 2023 जानें तारीख, तिथि और शुभ मुहूर्त

 मकर संक्रांति जानें तारीख, तिथि और शुभ मुहूर्तमकर संक्रांति के दिन यदि सूर्य देव की पूजा के समय इन मंत्रो का जाप किया जाये तो बहुत ही लाभ होता है और मनवांछित फल की प्राप्ति होती हैॐ सूर्याय नम:,ॐ ह्रीं ह्रीं सूर्याय नमःॐ ऐहि सूर्य सहस्त्रांशों तेजो राशे जगत्पते, अनुकंपयेमां भक्त्या, गृहाणार्घय दिवाकर:2023 makar sankranti   जानें तारीख, तिथि और शुभ मुहूर्त⦿ हिंदू पंचांग के अनुसार, मकर संक्रांति 15 जनवरी, 2023 दिन रविवार को...

1.13.2023

-15 डिग्री तापमान समय तृतीय प्रहर रात्रि 3:00 बजे केदारनाथ धाम में #केदारनाथ_मंदिर

 तृतीय प्रहर रात्रि 3:00 बजे केदारनाथ धाम में -15 डिग्री तापमान समय तृतीय प्रहर रात्रि 3:00 बजे केदारनाथ धाम में हो रही बर्फबारी के बीच परमपिता शिव की आराधना में लीन साधु जन जी के दुर्लभ दर्शन है.. इस का नाम है भक्ति जहाँ भक्ति वहाँ शक्ति और जहाँ शक्ति वहाँ शिव भोले भंडारी आदि शंकराचार्य द्वारा रचित शिव स्तुति पशूनां पतिं पापनाशं परेशं गजेन्द्रस्य कृत्तिं वसानं वरेण्यम। जटाजूटमध्ये स्फुरद्गाङ्गवारिं महादेवमेकं स्मरामि स्मरारिम।। महेशं सुरेशं सुरारातिनाशं विभुं विश्वनाथं विभूत्यङ्गभूषम्। विरूपाक्षमिन्द्वर्कवह्नित्रिनेत्रं सदानन्दमीडे...

10.08.2021

भगवती की सूक्ष्म शक्ति से परे यह नव स्वरूप प्राथमिक, दिव्य और मानव जाति के लिए प्रेरणा हैं. इन स्वरूपों के मर्म को जानिए

 नवरात्र का उत्सव साधना का उत्सव है. आत्म चिंतन और प्रकृति से एकाकार का समय है. वर्ष के पहले नौ दिन देवी को समर्पित होते हैं क्योंकि सृष्टि के प्रारंभ का आधार देवी का स्वरूप ही है.#दुर्गापूजा_दुर्गापट्टी #भक्ति #जयमातादीजय माता दीदेवी भागवत के अनुसार सृष्टि का आदि स्वरूप ही शक्ति स्वरूप है और देवी ही इसकी प्रथम आद्या हैं. वह परमपिता ब्रह्मदेव की इच्छा शक्ति हैं, विष्णु की पालक शक्ति हैं और शिव के संहार की इच्छा में भगवती की ही शक्ति समाहित है....

9.07.2021

प्राचीन भारत की प्रमुख व्युह रचनाएं कितनी थी ? व्यूह रचनाओं को किस तरह निर्माण किया जाता था ?

 🚩🚩 प्राचीन महाभारत की प्रमुख व्युह रचनाएं 🚩🚩“महाभारत” एक ऐसा महाग्रंथ है जिसमे निहित ज्ञान आज भी प्रासंगिक है| इसमें बताये गए युद्ध के १८ दिनों में तरह तरह की रणनीतिया और व्यूह रचे गए थे | जैसे अर्धचंद्र, वज्र, और सबसे अधिक प्रसिद्ध चक्रव्यूह |आखिर कैसे दिखते थे, कैसे निर्माण होता था इन व्यूहों का??  कैसा था चक्र व्यूह? यह सब जानने के लिए निम्नलिखित लेख पढ़े.........🔸 #वज्र_व्यूह 🚩महाभारत युद्ध के प्रथम दिन अर्जुन ने अपनी सेना...

8.24.2020

Kyon Kosta Hai Khud Ko | क्यों कोसता है खुद को

 😴 😴 👉  Night Story 👈 😴 😴       🙏 क्यों कोसता है खुद को🙏✍ संतों की एक सभा चल रही थी...किसी ने एक दिन एक घड़े में गंगाजल भरकर वहां रखवा दिया ताकि संत जन जब प्यास लगे तो गंगाजल पी सकें...संतों की उस सभा के बाहर एक व्यक्ति खड़ा था. उसने गंगाजल से भरे घड़े को देखा तो उसे तरह-तरह के विचार आने लगे...वह सोचने लगा- अहा ! यह घड़ा कितना भाग्यशाली है...???एक तो इसमें किसी तालाब पोखर का नहीं बल्कि गंगाजल भरा गया और दूसरे यह...

8.23.2020

भारत के इस काव्य को ‘अनुलोम-विलोम काव्य’ भी कहा जाता है। सिधा पढ़े राम और उल्टा पढ़े तो कृष्ण कथा ?

 अति दुर्लभ एक ग्रंथ ऐसा भी है हमारे सनातन धर्म मेइसे तो सात आश्चर्यों में से पहला आश्चर्य माना जाना चाहिए ---*यह है दक्षिण भारत का एक ग्रन्थ*क्या ऐसा संभव है कि जब आप किताब को सीधा पढ़े तो राम कथा के रूप में पढ़ी जाती है और जब उसी किताब में लिखे शब्दों को उल्टा करके पढ़ेतो कृष्ण कथा के रूप में होती है ।जी हां, कांचीपुरम के 17वीं शदी के कवि वेंकटाध्वरि रचित ग्रन्थ "राघवयादवीयम्" ऐसा ही एक अद्भुत ग्रन्थ है।इस ग्रन्थ को‘अनुलोम-विलोम काव्य’ भी...

8.22.2020

चौरचन (Chaurchan) पर्व के बारे में पुराणों में ऐसा वर्णन मिलता है

 चौरचन - चौठचंद्र - पर्व धूमधाम से मनाया जाता है। भाद्रपद की चतुर्थी तिथि यानी जिस दिन गणेश चतुर्थी के दिन ही चौरचन पर्व मनाया जाता है। महाराष्ट्र में जहां इस दिन लोग गणपति की स्थापना करते हैं वहीं मिथिला में इस दिन गणेश और चंद्र देव का पूजन किया जाता है।चौरचन(पावैन) पूजा का शुभ मुहूर्त: 22 अगस्त, शनिवार – शाम 06 बजकर 53 मिनट से 07 बजकर 59 मिनट तकइसी दिन चौरचन भी मनाया जाता है। इस साल चौरचन 22 अगस्त शनिवार को मनाया जाएगा। यह त्योहार मिथिला...

श्री राम मंदिर कि दिवारों पर अपना नाम खुदवाने के लिए करें ये छोटा काम और सदियों तक आपका नाम मंदिर के दिवारों पर रहेगा

श्री राम मंदिर कि दिवारों पर अपना नाम खुदवाने के लिए करें ये छोटा काम !और सदियों तक आपका नाम मंदिर के दिवारों पर रहेगाअयोध्या में राम मंदिर भूमि पूजन के बाद अब मंदिर निर्माण की कवायद तेज हो गई है। अयोध्या में बन रहे भव्य राम मंदिर की दीवारों पर सदियों के लिए नाम लिखवाने का एक बड़ा मौका है। बस इसलिए आपको तांबा दान करना होगा। रामजन्मभूमि ट्रस्ट ने इसलिए भक्तों से तांबे की पत्तियां दान करने को कहा है। उन्होंने कहा है कि तांबे की पत्तियों में लोग अपने...

बच्चों मे यह आदत डाले | Achchi Baten

बच्चों मे यह आदत अवश्य डाले... 1: मंदिर घुमाने लेकर जाइये ! 2: तिलक लगाने की आदत डालें ! 3: देवी देवताओं की कहानियां सुनायें ! 4: संकट आये तो नारायण नारायण बोलें ! 5: गलती होने पर हे राम बोलने की आदत डालें ! 6: गायत्री मंत्र, हनुमान चालीसा व महामृत्युन्जय मंत्र आदि याद करायें ! 7: अकबर, हुमांयू, सिकन्दर के बदले शिवाजी, महाराणा प्रताप जैसे शूरवीरों की कहानियां सुनायें ! 8: घर मे छोटे बच्चों से जय श्री कृष्णा, राधे राधे, हरी बोल, जय माता दी, राम...

Definition of Bhakti | It is of the form of Supreme Love towards God.

 Definition of Bhakti🍃It is of the form of Supreme Love towards God.Commentary:The term Bhakti comes from the root "Bhaj", which means "to be attached to Go...

8.20.2020

श्रीकृष्ण जी की के सात विशेष विग्रह | वृंदावन वह स्थान है, जहां भगवान श्रीकृष्ण ने बाललीलाएं की

श्रीकृष्ण जी की के सात विशेष विग्रह 〰️〰️🌼〰️〰️🌼〰️〰️🌼〰️〰️वृंदावन वह स्थान है, जहां भगवान श्रीकृष्ण ने बाललीलाएं की व अनेक राक्षसों का वध किया। यहां श्रीकृष्ण के विश्वप्रसिद्ध मंदिर भी हैं। आज हम आपको 7 ऐसी चमत्कारी श्रीकृष्ण प्रतिमाओं के बारे में बता रहे हैं, जिनका संबंध वृंदावन से है। इन 7 प्रतिमाओं में से 3 आज भी वृंदावन के मंदिरों में स्थापित हैं, वहीं 4 अन्य स्थानों पर प्रतिष्ठित ह...

5.31.2019

Which is the best in love and knowledge - प्रेम और ज्ञान में कौन श्रेष्ठ ?

🌷 *प्रेम और ज्ञान में कौन श्रेष्ठ ?* 🌷 Which is the best in love and knowledge - प्रेम और ज्ञान में कौन श्रेष्ठ ? 🌅एक राजा के दो बेटे थे। राजा के पास बहुत धन था। एक बेटे का नाम ज्ञान था, एक बेटे का नाम प्रेम था। राजा बड़ी चिंता में था कि किसको अपना राज्य सौंप जाए। किसी फकीर को पूछा कि कैसे तय करूं? दोनों जुड़वां थे, साथ—साथ पैदा हुए थे। उम्र में कोई बड़ा—छोटा न था; नहीं तो उम्र से तय कर लेते। दोनों प्रतिभाशाली थे, दोनों मेधावी थे,...

अखण्ड एकता का स्पष्ट वर्णन - Explicit description of Akand Unity

ब्रह्मभूत हो जानेपर विद्वान फिर जन्म मरण रूप संसार चक्र में नही पड़ता इसलिए आत्मा का ब्रह्म से अभिन्नत्व भली प्रकार जान लेना चाहये। Explicit description of Akand Unity ब्रह्म सत्य ज्ञानस्वरूप और अनंत है वह सुद्ध पर स्वतः सिद्ध नित्य एकमात्र आनंद स्वरूप अंतरतम और अभिन्न है,तथा निरन्तर उन्नति शाली है। यह परम द्वेत ही एक सत्य पदार्थ है क्योंकि इस स्वात्मा से अतिरिक्त और कोई वस्तु है ही नही। इस परमार्थ तत्व का पूर्ण बोध हो जाने पर और कुछ भी नही...