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1. शुरुआत में योग करते समय हमेशा योग विशेषज्ञ के देखरेख में ही योग करे और पूर्णतः प्रशिक्षित होने के बाद ही अकेले योग करे। 2. योग से जुड़ा कोई भी प्रश्न मन में हो तो विशेषज्ञ से जरूर पूछे। 3. योग करना का सबसे बेहतर समय सुबह का होता हैं। सुबह सूर्योदय होने के आधा घंटे पहले से लेकर सूर्योदय होने के 1 घंटे बाद तक का समय विशेष लाभदायक होता हैं। 4. सुबह योग करने से पहले आपका पेट साफ होना आवश्यक हैं। 5. नहाने के 20 मिनिट पहले या बाद में योग नहीं करटे बाद ही करे।

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क्यों है सावन की विशेषता?

हिन्दू धर्म की पौराणिक मान्यता के अनुसार सावन महीने को देवों के देव महादेव भगवान शंकर का महीना माना जाता है। इस संबंध में पौराणिक कथा है कि जब सनत कुमारों ने महादेव से उन्हें सावन महीना प्रिय होने का कारण पूछा तो महादेव भगवान शिव ने बताया कि जब देवी सती ने अपने पिता दक्ष के घर में योगशक्ति से शरीर त्याग किया था, उससे पहले देवी सती ने महादेव को हर जन्म में पति के रूप में पाने का प्रण किया था। अपने दूसरे जन्म में देवी सती ने पार्वती के नाम से हिमाचल और रानी मैना के घर में पुत्री के रूप में जन्म लिया। पार्वती ने युवावस्था के सावन महीने में निराहार रह कर कठोर व्रत किया और उन्हें प्रसन्न कर विवाह किया, जिसके बाद ही महादेव के लिए यह विशेष हो गया।

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8.22.2020

चौरचन (Chaurchan) पर्व के बारे में पुराणों में ऐसा वर्णन मिलता है

 चौरचन - चौठचंद्र - पर्व धूमधाम से मनाया जाता है। 


भाद्रपद की चतुर्थी तिथि यानी जिस दिन गणेश चतुर्थी के दिन ही चौरचन पर्व मनाया जाता है। महाराष्ट्र में जहां इस दिन लोग गणपति की स्थापना करते हैं वहीं मिथिला में इस दिन गणेश और चंद्र देव का पूजन किया जाता है।

चौरचन (Chaurchan) पर्व के बारे में पुराणों में ऐसा वर्णन मिलता है
चौरचन(पावैन) पूजा का शुभ मुहूर्त: 22 अगस्त, शनिवार – शाम 06 बजकर 53 मिनट से 07 बजकर 59 मिनट तक

इसी दिन चौरचन भी मनाया जाता है। इस साल चौरचन 22 अगस्त शनिवार को मनाया जाएगा। यह त्योहार मिथिला यानी बिहार में मनाया जाता है। इस दिन चंद्र देव की उपासना की जाती है। कहते हैं कि जो व्यक्ति गणेश चतुर्थी की शाम भगवान गणेश के साथ चंद्र देव की पूजा करता है। वह चंद्र दोष से मुक्त हो जाता है। बता दें कि चतुर्थी (चौठ) तिथि में शाम के समय चौरचन पूजा होती है। चौरचन (Chaurchan) पर्व के बारे में पुराणों में ऐसा वर्णन मिलता है कि इसी दिन चंद्रमा को कलंक लगा था।

चौठ चंद्र पूजन विधि: 


इस दिन सुबह से शाम व्रत रखकर भक्त पूजन में लीन रहते हैं। शाम के समय घर के आंगन को गाय के गोबर से लीपकर साफ करते हैं। फिर केले के पत्ते की मदद से गोलाकार चांद बनाएं। अब इस पर तरह-तरह के मीठे पकवान जैसे कि खीर, मिठाई, गुजिया और फल रखें। पश्चिम दिशा की ओर मुख करके रोहिणी (नक्षत्र) सहित चतुर्थी में चंद्रमा की पूजा उजले फूल से करें। इसके उपरांत घर में जितने लोग हैं, उतनी ही संख्या में पकवानों से भरी डाली और दही के बर्तन को रखें। अब एक-एक कर डाली, दही का बर्तन, केला, खीरा आदि को हाथों में उठाकर ‘सिंह: प्रसेनमवधिस्सिंहो जाम्बवता हतः। सुकुमार मन्दिस्तव ह्येष स्यामन्तक: स्त’ इस मंत्र को पढ़कर चंद्रमा को समर्पित करें।

चौरचन की कथा: 


एक दिन भगवान गणेश अपने वाहन मूषक के साथ कैलाश पर घूम रहे थे। तभी अचानक चंद्र देव उन्हें देखकर हंसने लगे, गणेश जी को उनके हंसने की वजह समझ नहीं आई। उन्होंने चंद्र देव से पूछा कि आप क्यों हंस रहे हैं। इसका जवाब देते हुए चंद्र देव ने कहा कि वह भगवान गणेश का विचित्र रूप देख कर हंस रहे हैं। साथ ही उन्होंने अपने रूप का बखान भी किया।
गणेश जी को चंद्र देव की मजाक उड़ाने की प्रवृत्ति पर क्रोध आया। उन्होंने चंद्र देव को यह श्राप दिया कि तुम्हें अपने रूप पर बहुत अभिमान है कि तुम बहुत सुंदर दिखते हो लेकिन आज से तुम कुरूप हो जाओ। जो कोई भी व्यक्ति तुम्हें देखेगा उसे झूठा कलंक लगेगा। कोई अपराध न होने के बावजूद भी वह अपराधी कहलाएगा।

श्राप सुनते ही चंद्र देव का अभिमान चूर चूर हो गया। उन्होंने गणेश जी से क्षमा मांगी और कहा भगवन् मुझे इस श्राप से मुक्त कीजिए। चंद्र देव को पश्चाताप करते देख गणेश जी ने उन्हें क्षमा कर दिया। श्राप पूरी तरह से वापस नहीं लिया जा सकता था इसलिए यह कहा गया कि जो कोई भी व्यक्ति गणेश चतुर्थी के दिन चंद्र देव को देखेगा। उस पर झूठा आरोप लगेगा। इससे बचने के लिए ही मिथिला में गणेश चतुर्थी की शाम को चंद्रमा की पूजा की जाती है।




5.04.2019

MAITHILI GEET LYRICS IN HINDI FONT मैथिली लोकगीत

                                           *कुमारी गीत**

MAITHILI GEET LYRICS IN HINDI FONT. मैथिली लोकगीत
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जाहि दिन आहे बेटी तोंहे अवतरलऽ

ताहि दिन भेल विषमाद

चिन्ता, निन्द हरित भेल बेटी

थिर नहि रहल गेयान

पुत्र जँ होइतऽ बेटी, बजैत बधाबा

धियाक जनम विषमाद

MAITHILI GEET LYRICS

MAITHILI GEET LYRICS IN HINDI FONT, मैथिली लोकगीत
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कथी लय आहे अम्मा धियाक जनम देल

खैतहुँ मरिच पचास

मरिचक झोंकसँ धिया दरि जैतय

छुटि जाइत धियाक सन्ताप

सएह सुनि बाबा उठल चेहाय

मनाइन देल जगाय


गाड़ल धन धिया हम नहि राखब

आब धिया होयत वियाह

बान्ह बन्हबिहऽ बाबा पोखरि खुनबिहऽ

धनकेँ लगबिहऽ छाँह

हाँस छुटुकि गेल, कमल फलकि गेल

जलमे मारय हिलकोर

ई सरोवर बाबा जैतुक मांगय

भैयाक जनम निरधन होय !!


MAITHILI GEET LYRICS


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Mithila ka bahut jyada gaye aur sune jane waali geet hai kumari geet. Beti ke upar bana ye geet bahut achhi rachna hai.

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