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1. शुरुआत में योग करते समय हमेशा योग विशेषज्ञ के देखरेख में ही योग करे और पूर्णतः प्रशिक्षित होने के बाद ही अकेले योग करे। 2. योग से जुड़ा कोई भी प्रश्न मन में हो तो विशेषज्ञ से जरूर पूछे। 3. योग करना का सबसे बेहतर समय सुबह का होता हैं। सुबह सूर्योदय होने के आधा घंटे पहले से लेकर सूर्योदय होने के 1 घंटे बाद तक का समय विशेष लाभदायक होता हैं। 4. सुबह योग करने से पहले आपका पेट साफ होना आवश्यक हैं। 5. नहाने के 20 मिनिट पहले या बाद में योग नहीं करटे बाद ही करे।

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क्यों है सावन की विशेषता?

हिन्दू धर्म की पौराणिक मान्यता के अनुसार सावन महीने को देवों के देव महादेव भगवान शंकर का महीना माना जाता है। इस संबंध में पौराणिक कथा है कि जब सनत कुमारों ने महादेव से उन्हें सावन महीना प्रिय होने का कारण पूछा तो महादेव भगवान शिव ने बताया कि जब देवी सती ने अपने पिता दक्ष के घर में योगशक्ति से शरीर त्याग किया था, उससे पहले देवी सती ने महादेव को हर जन्म में पति के रूप में पाने का प्रण किया था। अपने दूसरे जन्म में देवी सती ने पार्वती के नाम से हिमाचल और रानी मैना के घर में पुत्री के रूप में जन्म लिया। पार्वती ने युवावस्था के सावन महीने में निराहार रह कर कठोर व्रत किया और उन्हें प्रसन्न कर विवाह किया, जिसके बाद ही महादेव के लिए यह विशेष हो गया।

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9.16.2020

गिलोय एक इसके काम अनेक, हर मर्ज कि एक दवा !!

गिलोय एक इसके काम अनेक, हर मर्ज कि एक दवा !!

 गिलोय एक ही ऐसी बेल है, जिसे आप सौ मर्ज की एक दवा कह सकते हैं। इसलिए इसे संस्कृत में अमृता नाम दिया गया है। कहते हैं कि देवताओं और दानवों के बीच समुद्र मंथन के दौरान जब अमृत निकला और इस अमृत की बूंदें जहां-जहां छलकीं, वहां-वहां गिलोय की उत्पत्ति हुई।

Giloy को मिथिला में गुरगुज भी कहते हैं


इसका वानस्पिक नाम( Botanical name) टीनोस्पोरा कॉर्डीफोलिया (tinospora cordifolia है। इसके पत्ते पान के पत्ते जैसे दिखाई देते हैं और जिस पौधे पर यह चढ़ जाती है, उसे मरने नहीं देती। इसके बहुत सारे लाभ आयुर्वेद में बताए गए हैं, जो न केवल आपको सेहतमंद रखते हैं, बल्कि आपकी सुंदरता को भी निखारते हैं। आइए जानते हैं गिलोय के फायदे…


गिलोय बढ़ाती है रोग प्रतिरोधक क्षमता


गिलोय एक ऐसी बेल है, जो व्यक्ति की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ा कर उसे बीमारियों से दूर रखती है। इसमें भरपूर मात्रा में एंटीऑक्सीडेंट्स होते हैं, जो शरीर में से विषैले पदार्थों को बाहर निकालने का काम करते हैं। यह खून को साफ करती है, बैक्टीरिया से लड़ती है। लिवर और किडनी की अच्छी देखभाल भी गिलोय के बहुत सारे कामों में से एक है। ये दोनों ही अंग खून को साफ करने का काम करते हैं।


ठीक करती है बुखार


अगर किसी को बार-बार बुखार आता है तो उसे गिलोय का सेवन करना चाहिए। गिलोय हर तरह के बुखार से लडऩे में मदद करती है। इसलिए डेंगू के मरीजों को भी गिलोय के सेवन की सलाह दी जाती है। डेंगू के अलावा मलेरिया, स्वाइन फ्लू में आने वाले बुखार से भी गिलोय छुटकारा दिलाती है।


गिलोय के फायदे – मधुमेह के रोगियों के लिए


गिलोय एक हाइपोग्लाइसेमिक एजेंट है यानी यह खून में शर्करा की मात्रा को कम करती है। इसलिए इसके सेवन से खून में शर्करा की मात्रा कम हो जाती है, जिसका फायदा टाइप टू डायबिटीज के मरीजों को होता है।


पाचन शक्ति बढ़ाती है


यह बेल पाचन तंत्र के सारे कामों को भली-भांति संचालित करती है और भोजन के पचने की प्रक्रिया में मदद कती है। इससे व्यक्ति कब्ज और पेट की दूसरी गड़बडिय़ों से बचा रहता है।


कम करती है स्ट्रेस


गलाकाट प्रतिस्पर्धा के इस दौर में तनाव या स्ट्रेस एक बड़ी समस्या बन चुका है। गिलोय एडप्टोजन की तरह काम करती है और मानसिक तनाव और चिंता (एंजायटी) के स्तर को कम करती है। इसकी मदद से न केवल याददाश्त बेहतर होती है बल्कि मस्तिष्क की कार्यप्रणाली भी दुरूस्त रहती है और एकाग्रता बढ़ती है।


बढ़ाती है आंखों की रोशनी


गिलोय को पलकों के ऊपर लगाने पर आंखों की रोशनी बढ़ती है। इसके लिए आपको गिलोय पाउडर को पानी में गर्म करना होगा। जब पानी अच्छी तरह से ठंडा हो जाए तो इसे पलकों के ऊपर लगाएं।


अस्थमा में भी फायदेमंद


मौसम के परिवर्तन पर खासकर सर्दियों में अस्थमा को मरीजों को काफी परेशानी होती है। ऐसे में अस्थमा के मरीजों को नियमित रूप से गिलोय की मोटी डंडी चबानी चाहिए या उसका जूस पीना चाहिए। इससे उन्हें काफी आराम मिलेगा।


गठिया में मिलेगा आराम


गठिया यानी आर्थराइटिस में न केवल जोड़ों में दर्द होता है, बल्कि चलने-फिरने में भी परेशानी होती है। गिलोय में एंटी आर्थराइटिक गुण होते हैं, जिसकी वजह से यह जोड़ों के दर्द सहित इसके कई लक्षणों में फायदा पहुंचाती है।


अगर हो गया हो एनीमिया, तो करिए गिलोय का सेवन


भारतीय महिलाएं अक्सर एनीमिया यानी खून की कमी से पीडि़त रहती हैं। इससे उन्हें हर वक्त थकान और कमजोरी महसूस होती है। गिलोय के सेवन से शरीर में लाल रक्त कणिकाओं की संख्या बढ़ जाती है और एनीमिया से छुटकारा मिलता है।


बाहर निकलेगा कान का मैल


कान का जिद्दी मैल बाहर नहीं आ रहा है तो थोड़ी सी गिलोय को पानी में पीस कर उबाल लें। ठंडा करके छान के कुछ बूंदें कान में डालें। एक-दो दिन में सारा मैल अपने आप बाहर जाएगा।


कम होगी पेट की चर्बी


गिलोय शरीर के उपापचय (मेटाबॉलिजम) को ठीक करती है, सूजन कम करती है और पाचन शक्ति बढ़ाती है। ऐसा होने से पेट के आस-पास चर्बी जमा नहीं हो पाती और आपका वजन कम होता है।


यौनेच्छा बढ़ाती है गिलोय


आप बगैर किसी दवा के यौनेच्छा बढ़ाना चाहते हैं तो गिलोय का सेवन कर सकते हैं। गिलोय में यौनेच्छा बढ़ाने वाले गुण पाए जाते हैं, जिससे यौन संबंध बेहतर होते हैं।


खूबसूरती बढ़ाती है गिलोय


गिलोय न केवल सेहत के लिए बहुत फायदेमंद है, बल्कि यह त्वचा और बालों पर भी चमत्कारी रूप से असर करती है….


जवां रखती है गिलोय


गिलोय में एंटी एजिंग गुण होते हैं, जिसकी मदद से चेहरे से काले धब्बे, मुंहासे, बारीक लकीरें और झुर्रियां दूर की जा सकती हैं। इसके सेवन से आप ऐसी निखरी और दमकती त्वचा पा सकते हैं, जिसकी कामना हर किसी को होती है। अगर आप इसे त्वचा पर लगाते हैं तो घाव बहुत जल्दी भरते हैं। त्वचा पर लगाने के लिए गिलोय की पत्तियों को पीस कर पेस्ट बनाएं। अब एक बरतन में थोड़ा सा नीम या अरंडी का तेल उबालें। गर्म तेल में पत्तियों का पेस्ट मिलाएं। ठंडा करके घाव पर लगाएं। इस पेस्ट को लगाने से त्वचा में कसावट भी आती है।


बालों की समस्या भी होगी दूर


अगर आप बालों में ड्रेंडफ, बाल झडऩे या सिर की त्वचा की अन्य समस्याओं से जूझ रहे हैं तो गिलोय के सेवन से आपकी ये समस्याएं भी दूर हो जाएंगी।


गिलोय का प्रयोग ऐसे करें:-


अब आपने गिलोय के फायदे जान लिए हैं, तो यह भी जानिए कि गिलोय को इस्तेमाल कैसे करना है…


गिलोय जूस


गिलोय की डंडियों को छील लें और इसमें पानी मिलाकर मिक्सी में अच्छी तरह पीस लें। छान कर सुबह-सुबह खाली पेट पीएं। अलग-अलग ब्रांड का गिलोय जूस भी बाजार में उपलब्ध है।


काढ़ा


चार इंच लंबी गिलोय की डंडी को छोटा-छोटा काट लें। इन्हें कूट कर एक कप पानी में उबाल लें। पानी आधा होने पर इसे छान कर पीएं। अधिक फायदे के लिए आप इसमें लौंग, अदरक, तुलसी भी डाल सकते हैं।


पाउडर


यूं तो गिलोय पाउडर बाजार में उपलब्ध है। आप इसे घर पर भी बना सकते हैं। इसके लिए गिलोय की डंडियों को धूप में अच्छी तरह से सुखा लें। सूख जाने पर मिक्सी में पीस कर पाउडर बनाकर रख लें।


गिलोय वटी


बाजार में गिलोय की गोलियां यानी टेबलेट्स भी आती हैं। अगर आपके घर पर या आस-पास ताजा गिलोय उपलब्ध नहीं है तो आप इनका सेवन करें।


साथ में अलग-अलग बीमारियों में आएगी काम


अरंडी यानी कैस्टर के तेल के साथ गिलोय मिलाकर लगाने से गाउट(जोड़ों का गठिया) की समस्या में आराम मिलता है।इसे अदरक के साथ मिला कर लेने से रूमेटाइड आर्थराइटिस की समस्या से लड़ा जा सकता है।चीनी के साथ इसे लेने से त्वचा और लिवर संबंधी बीमारियां दूर होती हैं।आर्थराइटिस से आराम के लिए इसे घी के साथ इस्तेमाल करें।कब्ज होने पर गिलोय में गुड़ मिलाकर खाएं।


साइड इफेक्ट्स का रखें ध्यान


वैसे तो गिलोय को नियमित रूप से इस्तेमाल करने के कोई गंभीर दुष्परिणाम अभी तक सामने नहीं आए हैं लेकिन चूंकि यह खून में शर्करा की मात्रा कम करती है। इसलिए इस बात पर नजर रखें कि ब्लड शुगर जरूरत से ज्यादा कम न हो जाए। *गर्भवती और स्तनपान कराने वाली महिलाओं को गिलोय के सेवन से बचना चाहिए।पांच साल से छोटे बच्चों को गिलोय का प्रयोग ना करने दें आप .

_एक निवेदन :---अभी वर्षाऋतु का काल है अपने घर में, बड़े गमले या आंगन में जंहा भी उचित स्थान हो गिलोय की बेल अवश्य लगायें एवं स्वजनों को भी देवें. यह बहु उपयोगी वनस्पति ही नही बल्कि आयुर्वेद का अमृत और ईश्वरीय अवदान है ।

5.17.2019

health tips in hindi - विशेष स्वास्थ्य के लिए उपाय ( HINDI+ENGLISH )

                              विशेष स्वास्थ्य के लिए उपाय


(1). हर व्यक्ति को रोज़ सुबह उठने के बाद खाली पेट आंवले का एक मुरब्बे को खाने से दिमाग तेज़ होता है और यादाश्त भी अच्छी रहती है।
health tips in hindi  - विशेष स्वास्थ्य के लिए उपाय
health tips in hindi  - विशेष स्वास्थ्य के लिए उपाय 

(2). शुद्ध तथा सम्पूर्ण आहार मन तथा शरीर के अनुसार ग्रहण करने वाले होने पर शान्ति प्रदान करता है और इस से आत्म विकास काफी तेज़ी से होता है। भोजन में मक्खन, पनीर, मौसम के अनुसार फल, सूखे मेवे, दाले, सब्ज़ी, दूध, पत्ते दार साग इत्यादि होते हैं जो आपके भोजन को पूरा करते हैं।

(3). खाने को कभी भी एल्युमीनियम के बर्तनों में नहीं पकाना चाहिए, ऐसा करने से खाने के पोषक तत्व नष्ट हो जाते हैं। खाने को अगर मिटटी के बर्तनों में बनाया जाए तो उसमे सभी पोषक तत्व उसमे ही मौजूद रहते हैं तथा वह भोजन शरीर पर अपना पूर्ण रूप से असर डालता है।

(4). यदि आप अपना खून साफ़ रखना चाहते हैं तो आपको अंकुरिक दालें /अनाज का खाने में प्रयोग करना चाहिए। अंकुरित अनाज में प्रोटीन अधिक मात्रा में पाया जाता है जिस से शरीर मज़बूत होता है और बहुत से रोगो से लड़ने की शक्ति मिलती है तथा लड़ने की क्षमता भी बढ़ जाती है।

(5). ताम्बे के बर्तन में रखे पानी को पीने से कैंसर रोग से लड़ने में काफी मदद मिलती है क्योकि इसमें एंटीऑक्सीडेंट्स होते हैं। ये एंटीऑक्सीडेंट्स उम्र का असर कम करने में भी सहायक होते हैं। पेट की चर्बी को कम करने में तथा शरीर को स्वस्थ रखने में भी ताम्बे के बर्तन में रखा पानी पीना काफी सहायक होता है। ऐसा करने से दिल स्वस्थ रहता है तथा दिल का दौरा पड़ने की संभावना कम हो जाती है। ताम्बे के बर्तन में रखे पानी को पीने से चेहरे पर निखार आता है और त्वचा की बीमारियां भी दूर रहती है।

                            चेहरे की झाइयों को दूर करें इन आसान उपायों_से

health tips in hindi  - विशेष स्वास्थ्य के लिए उपाय
चेहरे की झाइयां

(1). चेहरे की झाइयां दूर करने के लिए आप आधा नीबू व आधा चम्मच हल्दी और दो चम्मच बेसन लें। अब इन चीजों को आपस में अच्छी तरह मिलाकर पेस्ट-सा बना लें। अब इस मिश्रण का मास्क चेहरे पर तीन या चार बार लगाए। झाइयां समाप्त हो जाएंगी और आपका चेहरा भी निखर जाएगा। चेहरे पर ताजे नीबू को मलने से भी झाइयों में लाभ होता है। चेहरे पर झाइयां तेज धूप पड़ने के कारण भी हो जाती हैं। अतः तेज धूप से जहां तक हो सके चेहरे को प्रभावित न होने दें। 

(2). सेब खाने और सेब का गूदा चेहरे पर मलने से भी झाइयां दूर होती हैं। रात को नींद न आने से भी चेहरे पर झाइयां पड़ जाती हैं, जिन्हें दूर करने के लिए रात को सोने से पहले चेहरे को अच्छी तरह धोएं।

तदुपरांत एक चम्मच मलाई में तीन या चार बादाम पीसकर दोनों का मिश्रण बना लें, फिर इस मिश्रण को चेहरे पर लगाकर हल्के हाथों से मसाज करें और सो जाएं। प्रातः उठकर बेसन से चेहरे को साफ कर लें।


                                               विशेष स्वास्थ्य के लिए उपाय


आप अपनी सेहत बनाने की सोच रहे हैं तो सबसे पहले जरूरत है अपनी दिनचर्या सुधारने की। उसके लिए पेट साफ रखने की भी जरूरत है। पेट में कब्ज रहेगा तो कितने ही पौष्टिक पदार्थों का सेवन करें, लाभ नहीं होगा। 

भोजन समय पर तथा चबा-चबाकर खाना चाहिए, ताकि पाचन शक्ति ठीक बनी रहे, फिर पौष्टिक आहार या औषधि का सेवन करना चाहिए। आचार्य चरक ने कहा है कि पुरुष के शरीर में वीर्य तथा स्त्री के शरीर में ओज होना चाहिए, तभी चेहरे पर चमक व कांति नजर आती है और शरीर पुष्ट दिखता है। यहाँ कुछ ऐसे पौष्टिक पदार्थों की जानकारी दे रहे हैं, जिन्हें किशोरावस्था से लेकर युवावस्था तक के लोग सेवन कर लाभ उठा सकते हैं और बलवान बन सकते हैं। 
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शुद्ध घी

(1). सोते समय एक गिलास मीठे गुनगुने गर्म दूध में एक चम्मच शुद्ध घी डालकर पीना चाहिए। 

(2). दूध की मलाई तथा पिसी मिश्री जरूरत के अनुसार मिलाकर खाना चाहिए, यह अत्यंत शक्तिवर्द्धक है।

(3). एक बादाम को पत्थर पर घिसकर दूध में मिलाकर पीना चाहिए, इससे अपार बल मिलता है। बादाम को घिसकर ही उपयोग में लें।

(4). छाछ से निकाला गया ताजा मक्खन (लोनी घी) तथा मिश्री मिलाकर खाना चाहिए, ऊपर से पानी बिलकुल न पिएँ। 

(5). 50 ग्राम उड़द की दाल आधा लीटर दूध में पकाकर खीर बनाकर खाने से अपार बल प्राप्त होता है। यह खीर पूरे शरीर को पुष्ट करती है। 

(6). प्रातः एक पाव दूध तथा दो केले साथ में खाने से बल मिलता है, कांति बढ़ती है। 

(7). एक चम्मच असगंध चूर्ण तथा एक चम्मच मिश्री मिलाकर गुनगुने एक पाव दूर के साथ प्रातः व रात को सेवन करें, रात को सेवन के बाद कुल्ला कर सो जाएँ। 
40 दिन में परिवर्तन नजर आने लगेगा। 

(8). सफेद मूसली या स्याही मूसली का पावडर, जो स्वयं कूटकर बनाया हो, एक चम्मच तथा पिसी मिश्री एक चम्मच लेकर सुबह व रात को सोने से पहले गुनगुने एक पाव दूध के साथ लें। यह अत्यंत शक्तिवर होता है।

 शरीर में हीमोग्लोबिन का स्तर है कम, तो इन चीजों के सेवन से उसे बढ़ाएं। 


health tips in hindi  - विशेष स्वास्थ्य के लिए उपाय
 हरी सब्जियां खाएं
(1). हरी सब्जियां खाएं :- हरी सब्जियों जैसे मेथी, पालक आदि में आयरन होता है, जो खून में हीमोग्लोबिन को बढ़ाने में सहायक होता है।

(2). विटामिन सी युक्त फल खाएं :- शरीर में हीमोग्लोबिन को बढ़ाने के लिए आयरन युक्त चीजे खाना तो बहुत जरूरी है, लेकिन इसके अलावा कई बार अन्य कारणों से भी शरीर में मौजूद आयरन का अवशोषण नहीं हो पाता, इसलिए विटमिन सी से भरपूर चीजें भी खाएं क्योंकि इनकी मौजूदगी में शरीर को मौजूद आयरन का अवशोषण करने में मदद मिलती है।
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हीमोग्लोबिन

(3). फोलिक एसिड लें :- फोलिक एसिड एक एक प्रकार का विटामिन है। ये शरीर में लाल रक्त कोशिकाओं को बनाने में मदद करता है। हरी पत्तेदार सब्जियों, चावल, अंकुरित अनाज, सूखे सेम, गेहूं के बीज, मूंगफली, केले आदि में ये पाया जाता हैं।


(4). चुकंदर का रस पीएं :- 
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 चुकंदर का रस 

चुकंदर सलाद के रूप में खाए या उसका रस पीएं, ये भी शरीर में हीमोग्लोबिन को बढ़ाने मदद करता है।


(5). नियमित व्यायाम करें :

- रोजाना व्यायाम करने से भी शरीर में लाल रक्‍त कोशिकाएं बढ़ती हैं।

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                                               IN ENGLISH

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Useful for special health


(1). After every person gets up every morning after eating a marmalade of empty stomach Amla, the brain gets faster and the condition is also good.

(2). Pure and whole food provides comfort as per mind and body, and self development is fast enough. The food contains butter, cheese, fruits according to season, dried fruits, dal, vegetable, milk, leaf greens, etc. that meet your food.

(3). The food should never be cooked in aluminum utensils, by doing so, nutritious food is destroyed. If food is made in pottery, then all the nutrients are present in it and that food will have its full impact on the body.

(4). If you want to keep your blood clean then you should use it in the granular pulses / grains. Protein is found in excess quantity in the germinated grains, which strengthens the body and gives strength to fight many diseases and increases the ability to fight.

(5). Drinking water stored in a copper vessel can help in fighting cancer disease as it contains antioxidants. These antioxidants are also helpful in reducing the effect of age. Drinking water in copper vessel is also very helpful in reducing stomach fat and keeping the body healthy. Doing so keeps the heart healthy and decreases the chance of heart attack. Drink water kept in a copper vessel, the face comes on the face and the skin diseases are also kept away.

 #Remember the faces of the frozen people


(1). To remove the wings of the face, you take half lemon and half spoon turmeric and two spoon gram flour. Now mix these things together and paste them together. Now put the mask of this mixture three or four times on face. The wither will end and your face will also be scattered. Applying fresh lemon on the face also benefits the joints. Wings on the face also become due to the sunlight. Therefore, do not let the face be affected as far as possible with strong sunlight.

(2). Drying apples and apples mashed on the face also wipes away. Even when there is no sleep in the night, there are wings on the face, to remove those that wash the face thoroughly before sleeping at night.

After that, mix a mixture of both three or four almonds in a spoon of cream, then mix this mixture on the face and massage with light hands and sleep. Get up early and clean the face with gram flour.

 Exercise for special health


If you are thinking of making your health, then first you need to improve your routine. There is also a need to keep the stomach clean for him. If there is constipation in the stomach, then how many nutritious foods will be consumed, there will be no benefit.

Food should be chewed and chewed, so that the digestion power remains fine, then nutritious food or medicine should be consumed. Acharya Charak has said that there should be ooziness in the body of the woman and the woman in the body of the man, then only the glow and bronze on the face and the body looks strong. Here are some of the nutritious substances which can be availed by consuming people from adolescence to young people and can be strong.

(1). At the time of sleep, one should drink a glass of sweet sweet lukewarm milk and add one spoon pure ghee.

(2). Milk cream and pissi mishri should be cooked according to need, it is very strong.

(3). An almond should be rubbed on the stone and mixed with milk, it gets immense strength. Use almonds only.

(4). Eat fresh butter (butter ghee) and sugar candy mixed with mustard, do not drink water at all.

(5). Cooking 50 grams urad dal into half a liter of milk and making kheer gives extra strength. This kheer reinforces the whole body.

(6). In the morning one bread milk and two bananas are strengthened by eating together, the bronze grows.

(7). Mix one spoon of aromatic powder and one teaspoon sugar candy and lukewarm one and a half hour and take it in the morning and night, rinse it after eating at night and sleep.
Changes will start in 40 days.

(8). Powder of white muesli or ink mushley powder, which is cooked by itself, take a spoon and a pea mishri with one teaspoon, with warm lukewarm milk before sleeping in the morning and night. It is extremely powerful.

 The level of hemoglobin in the body is low, so increase it by consuming these things.

(1). Eat green vegetables: - There is iron in green vegetables such as fenugreek, spinach, etc. which is helpful in raising hemoglobin in the blood.

(2). Eat fruits containing vitamin C: - It is very important to eat iron-rich foods to increase hemoglobin in the body, but there are many other reasons why iron is not absorbed in the body, so eat too much vitamins. Because in their presence, the body helps to absorb iron present.

(3). Take folic acid: - Folic acid is a type of vitamin. It helps in the formation of red blood cells in the body. These are found in green leafy vegetables, rice, sprouts, dried beans, wheat seeds, peanuts, bananas etc.

(4). Drink beet juice: - Eat as a beta salad or drink juice, it also helps to increase hemoglobin in the body.

(5). Exercise regularly: - Even after exercising daily, red blood in the body...
                                                                   
                                                                                                     THANKS FOR VISITING......

5.06.2019

घर बैठे बिना किसी डाक्टर सलाह के इन 46 तरह के बिमारी से बच सकतें है

-: गर्म पानी पिने के फायदे :-

गर्म पानी पिने से ब्लड सर्कुलेशन तेज होता है और हार्ट स्वस्थ रहता है ! हम सभी लोग जानते हैं कि हार्ट स्वस्थ रहना हमारे जीवन के लिए कितना जरूरी है ! आये दिन हमेशा रोजाना कोई न कोई हार्ट प्रबलतम से असमय मृत हो जातें हैं ! आज आप कसम खायें कि हमेशा गर्म पानी का ही उपयोग करेंगे ! कमेंट में हमें लिखें अपनी प्रतिक्रिया !! और ये भी लिखे कि ये छोटी सी बात अपने आसपास के लोगों को बता कर आप कृतार्थ हुये हैं !

Hot Water Ke Fayde
Hot Water Ke Fayde

-: गर्म पानी पिने के फायदे :-

अगर कोई व्यक्ति पथरी की समस्या से परेशान है तो उस व्यक्ति को सुबह शाम खाने के आधे घंटे बाद इच्छा अनुसार 200ML (एक ग्लास) गर्म पानी पियें या 250ML रोजाना पियें और एक महिने के बाद चेक करबायें पथरी कम हुआ या नहीं !

-: गर्म पानी पिने के फायदे :-

गैस दूर करें ...... 
आज के समय कोई भी खाने योग्य सामान जैसे :- चावल, गेहूँ, दाल, फल, सब्जी .....इत्यादि कोई भी बिना रासायनिक दवा के नहीं तैयार होती है जिस कारण हमारे शरीर में बिभिन्न प्रकार के रोग उत्पन्न होते है ! इसी तरह एक बिमारी है गैस जो की हर व्यक्ति और जब बच्चे जन्म लेता है तो उसे भी गैस की बिमारी रहती है ! हमलोग थोड़ी बचाव अर सकतें है पूरे परिवार को रोजाना सुबह एक ग्लास गर्म पानी पिने की आदत डालें जिससे होंगे ये फायदे ....

1- गैस बनना बन्द हो जायेगा

2 -  एसिडिटी की समस्या खत्म

3 - कब्ज की समस्या खत्म हो जायेगा

गर्म पानी शरीर के लिए अति उत्तम दवा है !! और इस दवा को कहीं ढूंढना नही पड़ेगा !

गर्म पानी से शरीर में जितने जहरीले तत्व होते है या किड़े सभी मर जातें है और मल के द्वारा बाहर आ जातें हैं !

-: गर्म पानी पिने के फायदे :-

आजकल हर कोई सुन्दर दिखना पसंद करते है !  अगर किसी के चेहरे पर झाई दाने या मुहासे हो तो तैलीय क्रिम , पदार्थ ना लगाये ये याद रखे की इस तरह की फुंसी पेट की गैस और कब्ज की बजह से होती है ! 

Hot Water Ke Fayde. घर बैठे बिना किसी डाक्टर सलाह के इन 46 तरह के बिमारी से बच सकतें है
Hot Water Ke Fayde


सुबह शाम गर्म पानी पिना चालू किजिए महिने भर में गोरा और किल मुहासे गायब मिलेंगे , ये आजमाया नुस्खा है सभी !

-: गर्म पानी पिने के फायदे :-

वात , कफ और पित नाशक नुस्खे

एक ग्लास पानी लिजिए और उसे स्टिल के वर्तन में गर्म करे जब तक आधा पानी बच ना जाये ! अब इस पानी को पियें ये नुस्खा 1001% सही सिद्ध है !

चेतावनी :- याद रहे एल्युमिनियम  में ना करें गर्म इससे फायदे के बजायें नुकसान होगी !

-: गर्म पानी पिने के फायदे :-

गर्म पानी पिना शुरू करें 
चाय को बाय बाय करें 
सभी बिमारी को भस्म करें !!

-: गर्म पानी पिने के फायदे :-

सुबह बेड से उठकर एक ग्लास गर्म पानी रोजाना पिने से प्रिमिच्योर एंजिंग की समस्या से हमेशा के लिए निजात पाया जा सकता है अगर आप इसे अपनी नियमित कार्य में सम्मलित करें !

-: गर्म पानी पिने के फायदे :-

 ये हमारे शरीर से टॉक्सिन नामक विषैले पदार्थ को बाहर करता है अगर आप सुबह गर्म पानी का सेवन करें ! इससे हमारे शरीर का सर्कुलेशन ठिक रहता है !

-: गर्म पानी पिने के फायदे :-

आज पेट बढऩे की समस्या आम बात है ये हर घर में बच्चे से बड़े सभी को इस परेशानी से झूझना पड़ रहा है ! अगर आप दिन में तीन समय गर्म पानी का सेवन करें तो बढ़ी चर्वी से छुटकारा मिल सकता है ! गारंटी है !!

-: गर्म पानी पिने के फायदे :-

उपयोग विधि : खाली पेट एक ग्लास गर्म पानी लें एक छोटा सिईज के निम्बू ले चार भाग में काटे और एक भाग पानी रस निचोडें और एक चम्मच शहद ( मधु) मिलायें और पि जायें ! इससे शरीर स्लिम और फिट हो जायेगी ! अंग्रेजी दवा बंद करें और ज्यादा मिर्च मशालदार खाद्य पदार्थ सज बचें !

Hot Water Ke Fayde घर बैठे बिना किसी डाक्टर सलाह के इन 46 तरह के बिमारी से बच सकतें है
Hot Water Ke Fayde

-: गर्म पानी पिने के फायदे :-

अगर किसी व्यक्ति को बुखार हो तो इस समय ठंडे पानी पिलाने के बजाय गर्म पानी पिने को दें लाभ होगा !

-: गर्म पानी पिने के फायदे :-

रोजाना एक ग्लास गर्म पानी मे निम्बू , काली मिर्च और काला नमक स्वादानुसार डालकर पिने से पेट का भारीपन दूर हो जाता है !

-: गर्म पानी पिने के फायदे :-

 फायदें - सर्दी जुकाम जल्दी ठिक होता है और भूख अधिक लगती है !

-: गर्म पानी पिने के फायदे :-

गले टांसिलस होने पर या गला खराब होने पर गर्म पानी में एक चूटकी नमक डालकर गरारे करने से आराम जल्द मिल जाता है और आवैसाब होता है !

-: गर्म पानी पिने के फायदे :-

दिन में तीन से चार बार गर्म पानी पिने से कब्ज ठिक होता है सभी पेट की समस्या जड़ से नष्ट हो जाते हैं और त्वचा चमकने लगता है !!!!💐
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 नमस्कार मित्रों आज हमने आपको बताया पानी पिने के सही तरिका और सही तरह से गर्म करने के तरीका साथ ही विभी तरह के विमारी नष्ट करने के तरिका !

5.04.2019

त्रिदोष - ( TRIDOSHA ) ज्ञान & लक्षण

त्रिदोष - ज्ञान ( TRIDOSHA )


 वात , पित्त और कफ,  धातु व मल यह उपरोक्त तीनों से दूषित होते । है इसलिए इनको दोष कहते हैं और यह देह को धारण करते हैं , इसलिए इनको धातु कहते हैं ।


tridosha nashak upaye
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 ( वात / वायु )


 समस्त दोषों में वात ( वायु ) ही प्रधान है । बिना वायु के संसार का कोई भी प्राणी क्षण - भर भी जीवित नहीं रह सकता । देहधारियों के लिए बाहरी व भीतरी दोनों वायुओं की आवश्यकता होती है । बाहरी वायु प्राणियों को जीवित और चैतन्य रखती है और भीतरी वायु शरीर के भीतर काम करती है । " वायु " अन्य दोषों तथा रस , रक्त , माँस , मेद आदि धातुओं को एक स्थान से दूसरे स्थान तक पहुँचाने वाली , शीघ्रगामी , रजोगुण युक्त , सूक्ष्म , हल्की , रूखी व चंचल है । श्वास का लेना व श्वास का छोड़ना इसी से होता है । यह धातुओं और इन्द्रियों की चतुराई पूर्वक रक्षा करती है तथा हृदय , इन्द्रियों व चित्त को धारण करती है । यह शीतल , नर्म और योगवाही है । ( अर्थात् जिसके साथ मिलती है , उसी के सदृश गुण प्रकाशित करती है । जैसे सूरज के साथ मिलती है , तो गर्मी करती है । चन्द्रमा के साथ मिलती है , तो शीतलता करती है । पित्त के साथ मिलकर पित्त - जैसे कार्य करती है और कफ के साथ । मिलकर कफ जैसे कार्य करती है । ) वायु कहीं रस को , कहीं रक्त को , कहीं वीर्य को और कहीं भोजन को पहुँचाती है । यह शरीर में सफाई करती है तथा मल - मूत्र को निकालकर बाहर फेंकती है । इस प्रकार इसके अनेक कार्य हैं । विशेष — जितने दोष व धातुएँ हैं , वे सब लूले - लँगड़े हैं । वायु उन्हें जहाँ ले जाती है , वे वहीं चले जाते हैं । जिस प्रकार वायु ( AIR ) बादलों को इधर - से - उधर व उधर - से - इधर ले जाती है और लाती है , उसी प्रकार शरीर के भीतर भी वायु यही काम करती है । इस सम्बन्ध में शास्त्र में लिखा है कि पित्त पंगु कफः पंगु पंगवो मलधातवः । | वायुना यत्र नीयन्ते तत्र गछन्ति मेघवत् ॥ अर्थात् - पित्त लँगड़ा है , कफ लँगड़ा है तथा सब मल व धातु लँगड़े हैं । वायु उन्हें जहाँ ले जाती है , वहीं ये मेघ ( बादलों ) की भाँति चले जाते हैं

 वायु के प्रकार व रहने के स्थान 

। ( 1 ) उदान वायु - ये कण्ठ में रहती है । ( 2 ) प्राण वायु – ये हृदय में निवास करती है । ( 3 ) समान वायु - कोठे की अग्नि के नीचे , नाभि में रहती है । ( 4 ) अपान वायु – मलाशय में रहती है । ( 5 ) व्यान वायु – ये समस्त शरीर में व्याप्त रहती है ।


वायु के कार्य 

( 1 ) उदान वायु – यह वायु गले में घूमती है । इसी की शक्ति से मनुष्य बोलता वे गीत आदि गाता है । इस वायु के कुपित होने से कण्ठ के रोग उत्पन्न होते हैं । ( 2 ) प्राण वायु – यह वायु प्राणों को धारण करती है तथा सदैव मुख में चलती ह । यह वायु भोजन के अन्न को भीतर प्रवेश कराती है तथा प्राणों की रक्षा करती  है । इस वायु के कुपित होने से हिक्का ( हिचकी ) और श्वास ( दमा ) आदि रोग उत्पन्न होते हैं । ( ३ ) समान वायु – यह वायु आमाशय व पक्वाशय में विचरण करती है एवं जठराग्नि से मिलकर अन्न को पचाती है और अन्न से उत्पन्न हुए मल - मूत्र आदि का पृथक् - पृथक् करती है । इस वायु के कुपित होने से मन्दाग्नि , अतिसार व वायुगौला ( हिस्टीरिया ) आदि रोग उत्पन्न होते हैं । ( 4 ) अपान वायु - यह वायु पक्वाशय में रहती है और मल , मूत्र , शुक्र ( वीर्य ) , गर्भ व आर्तव ( मासिक स्राव या रजः ) को निकालकर बाहर फेंकती है । इस वायु के कुपित होने से मूत्राशय व गुदा के रोग उत्पन्न होते हैं तथा शुक्रदोष , प्रमेह और व्यान वायु और अपान वायु के कोप से उत्पन्न होने वाले रोगों को उत्पन्न करती है । ( 5 ) व्यान वायु – यह वायु प्राणी / मनुष्य के सारे शरीर में विचरण करती है । यह वायु रस , स्वेद / पसीना और रक्त को बहाती है । चलना - फिरना , ऊपर को फेंकना , नीचे डालना , आँखें बन्द करना व आँखें खोलनाये क्रियायें इसी वायु के अधीन हैं । इस वायु के कुपित होने से समस्त शरीर के रोग उत्पन्न होते हैं । नोट - उपरोक्त पाँचों प्रकार की वायु - जब एक साथ कुपित हो जाती है तब नि : सन्देह शरीर का नाश कर देती है , अर्थात् मनुष्य की मृत्यु हो जाती है

 वायु कोप के कारण

“ चरक संहिता के अनुसार - रूखे , हल्के व शीतल पदार्थों के सेवन , अधिक परिश्रम , अधिक वमन होना , अधिक जुलाब लेना , आस्थापन का अतियोग , मल - मूत्र , जंभाई आदि शारीरिक वेगों को रोकना , व्रत - उपवास , चोट लगना , अति स्त्री सम्भोग करना , घबराहट , चिन्ता / फिक्र ( टेन्शन ) की अधिकता , खून का निकलना , रात्रि जागरण तथा शरीर को बेकायदे टेढ़ा - तिरछा करना ये सभी वायु कोप के कारण हैं । “ हरित संहिता के अनुसार - कसैले व शीतल पदार्थों का सेवन , अधिक खाना , अधिक चलना , अधिक बोलना , अधिक भय / डर करना , रूखी , कडवी व चटपटी चीजों का अत्यधिक सेवन , ऊँट , घोडा , हाथी , रथ पालकी ( आजकल के समय में साइकिल , मोटर साइकिल , बस , टैक्सी ,कार, रेलगाड़ी ) आदि की अधिक सवारी करना सर्दी के दिनों में , बादलों से घिरे दिनों में , दोपहर बाद ( सूरज ढलना आरम्भ हो जाने के बाद ) स्नान करना , मसूर , मटर , मठ , जौ , ज्वार , मोटे चावल , शीतल अन्न , बथुआ , प्याज , गाजर आदि अन्न व शाकों का अधिकता से खाना वायु कुपित होने के कारण है । इनकी अधिकता से ( विशेषकर वात ' प्रकृति के लोगों को ) बचना आवश्यक है । रूखे , कड़वे , कसैले , चटपटे खाद्य पदाथ , बासी भोजन , ठंडा भात , व्रत - उपवास , अधिक स्त्री सहवास , अधिक तैरना ( तैराकी ) से बचना ही श्रेयस्कर है । वर्षा ऋतु में या किसी भी क्रतु में जब बादल छा रहे हों , तो चाय का कोप होता । है ; क्योंकि यह वायु कोप का समय है । अतः ऐसे वक्त में कम नहाना , गर्म साना । और गर्म कपड़े पहनना श्रेयस्कर है

वायु कोप के लक्षण

 - वायु कुपित होने पर “ चरक संहिता के अनुसार नीचे लिखे लक्षण होते हैं - अंग - भेद , अनिवार्य तृषा , मर्दन सदृश पीडा , कप , सुई चुभोने सदृश पीड़ा , रस्सी से बाँधने सदृश पीड़ा , मल की कठोरता , शरीर की रंगत लाल हो जाना , मुख का स्वाद कसैला होना , साँस न आना , शरीर सखना , शल , शरीर का सो जाना , शरीर का सिकुड़ना , शरीर का रह जाना इत्यादि । मामूली रूप से इन लक्षणों को इस प्रकार भी समझ सकते हैं कि वायु का कोप होने से शरीर में थकान - सी अनुभव होने लगती है , मल - मूत्र कम होते हैं , आँखों में नशा सा अनुभव होता है , अनिद्रा ( नींद न आना ) हो जाती है , पेट फूल जाता है , जोड़ों / सन्धियों में दर्द होता है , पीठ का बासा ( मेरुदण्ड ) दुखने लगता है । सिर , छाती और कनपटियों में दर्द होता है

 वायु को शान्त करने के उपाय

 - कुपित वायु की मीठे , खट्टे , खारे , चिकने और गर्म द्रव्यों द्वारा चिकित्सा किये जाने का विधान है । रोगी को पसीना दिलाना , तेल की मालिश करना तथा जिस स्थान पर हवा कम आती हो , ऐसे स्थान में रोगी को सुलाना , भारी भोजन कराना , गोतामार के नहलाना , सिर में तेल लगाना गुनगुना जल , गेहू , मूग , घी , नया उदड़ , लहसुन , मुनक्का , मीठा अनार , डाल के पके आम , आँवले . कैथ , स्वस्थ देशी ( विशेषकर काली ) गाय का छना हुआ मूत्र , हरड , पका ताड़फल , मिश्री  , गाय का दूध और सेंधा नमक भाई राजीव दीक्षित जी के अनुसार जीवन भर वात की चिकित्सा न करनी पड़े तो शुद्ध तेल कच्ची घाणी का सेवन करें व रिफाइंड व वनस्पति तेल से जितना नफरत कर सकते हैं जरूर करें , दालचिनी,मेथी,गौमुत्र,चुना इत्यादि वायु कोप को शान्त करते हैं
 वायु क्षय / ह्रास ( कमी ) के लक्षण - “ सश्रुत संहिता " के मतानुसार - मन्द चेष्टा , शरीर में शिथिलता , उदासी , कम बोलना , प्रसन्नता की कमी , स्मरण की शक्तिहीनता आदि । “ चरक संहिता " ( सूत्र स्थानानुसार ) - वायु के क्षीण होने से कुपित पित्त यदि कफ की चाल रोक दें तो तन्द्रा , भारीपन और ज्वर होता है । वायु के क्षीण होने पर - प्रलाप , भारीपन , तन्द्रा , निद्रा , थुक में कफ व पित्त का आना तथा नाखून गिरना - ये लक्षण होते हैं । शास्त्र में ऐसा भी लिखा है । वायु वृद्धि के लक्षण – जिस प्रकार वायु की कमी होती है , उसी प्रकार वायु की वृद्धि भी होती है । चमड़े ( Skin ) की कठोरता , दुबलापन शरीर का फड़कना , गर्मी की इच्छा , नींद का आना , निर्बलता , मल का सूख जाना तथा मल का कम होना - ये वायु वृद्धि होने के लक्षण हैं

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 वायु का समय

 - वृद्धावस्था में वायु का जोर होता है । इसीलिए इस अवस्था में प्रायः वायु का कोप होता है , किन्तु जो इस अवस्था में सचेत / सावधान रहते हैं और वायु कोपहारी आहार - विहारों से बचते हैं / परहेज रखते हैं तथा वायू शमन करने वाले आहार - विहारों का सेवन करते हैं , वे सदैव स्वस्थ और सुखी रहते हैं । दिन व रात्रि का अन्त ( अर्थात् दिन व रात के 2 बजे के बाद का समय ) “ वायु का समय होता है । इसी प्रकार भोजन पच चुकने के बाद भी वायु का समय होता है । बरसात - वायु कोप का मुख्य समय है । हेमन्त व शिशिर ऋतु में भी वायु का कोप होता है और साथ ही समस्त शरीर में रूखापन भी होता है । । “ हरित संहिता के अनुसार - कार्तिक , अगहन , माघ , आषाढ़ और हेमन्त ऋतु में तथा छहों ऋतुओं की सन्धियों ( नोट - एक ऋतु का अन्त और दूसरों का आरम्भ होने को " ऋतुसन्धि ' कहते हैं । ) के समय वाय साविष अर्थात जहरीली होती है।

*वात प्रकृति वाले व्यकित के लक्षण


1.  शारीरिक गठन -   वात प्रकृति का शरीर प्राय: रूखा, फटा-कटा सा दुबला-पतला होता है, इन्हें सर्दी सहन नहीं होती। 

2. वर्ण - अधिकतर काला रंग वाला होता है । 

3. त्वचा - त्वचा रूखी एवं ठण्डी होती है फटती बहुत है पैरों की बिवाइयां फटती हैं हथेलियाँ और होठ फटते हैं, उनमें चीरे आते हैं अंग सख्त व शरीर पर उभरी हुर्इ बहुत सी नसें होती हैं । 

4. केश - बाल रूखे, कड़े, छोटे और कम होना तथा दाढ़ी-मूंछ का रूखा और खुरदरा होना । 

5. नाखून - अंगुलियों के नाखूनों का रूखा और खुरदरा होना । 

6. आंखें - नेत्रों का रंग मैला । 

7. जीभ - मैली 

8. आवाज - कर्कश व भारी, गंभीरता रहित स्वर, अधिक बोलता है । 

9. मुंह - मुंह सूखता है । 

10. स्वाद - मुंह का स्वाद फीका या खराब मालूम होना । 

11. भूख - भूख कभी ज्यादा कभी कम, पाचन क्रिया कभी ठीक रहती है तो कभी कब्ज हो जाती है, विषम अग्नि, वायु बहुत बनती है । 

12. प्यास - कभी कम, कभी ज्यादा । 

13. मल - रूखा, झाग मिला, टूटा हुआ, कम व सख्त, कब्ज की प्रवृत्ति । 

14. मूत्र - मूत्र का पतला जल के समान होना या गंदला होना, मूत्र में रूकावट की शिकायत होना । 

15. पसीना - कम व बिना गन्ध वाला पसीना । 

16. नींद - नींद कम आना, ज्यादा जम्हाइयां आना, सोते समय दांत किटकिटाने वाला । 

17. स्वप्न - आकाश में उड़ने के सपने देखना । 

18. चाल - तेज चलने वाला होता है । 

19. पसन्द - नापसन्द - सर्दी बुरी लगती है, शीतल वस्तुयें अप्रिय लगती हैं, गर्म वस्तुओं की इच्छा अधिक होती है मीठे, खटटे, नमकीन पदार्थ विशेष प्रिय लगते हैं । 

20. नाड़ी की गति -  टेढ़ी-मेढ़ी (सांप की चाल के समान) चाल वाली प्रतीत होती है, तेज और अनियमित नाड़ी 

*कफ को संतुलित रखने हेतु :- गुड़ ,शहद,गौमूत्र,त्रिफला
वात को संतुलित रखने हेतु :- शुद्ध तेल , गौमूत्र, त्रिफला
पित को संतुलित रखने हेतु :- देशी गाय का घी , गौमूत्र ,त्रिफला 

अमर शहीद राष्ट्रगुरु, आयुर्वेदज्ञाता, होमियोपैथी ज्ञाता स्वर्गीय भाई राजीव दीक्षित जी के सपनो (स्वस्थ व समृद्ध भारत) को पूरा करने हेतु अपना समय दान दें

मेरी दिल की तम्मना है हर इंसान का स्वस्थ स्वास्थ्य के हेतु समृद्धि का नाश न हो इसलिये इन ज्ञान को अपनाकर अपना व औरो का स्वस्थ व समृद्धि बचाये। ज्यादा से ज्यादा शेयर करें और जो भाई बहन इन सामाजिक मीडिया से दूर हैं उन्हें आप व्यक्तिगत रूप से ज्ञान दें।
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aaj aap samjhe ki tridosa kya hota hai aur isse hone wale nukshan . is rog ke kya hai upay aur kyon hota hai. kaph ko santulit rakhne hetu upaye. sardi jukam ka ram ban upaye.
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ॐ के उच्चारण से फायदे जानें

                             ' ॐ ' वेद पर आधारित बदलाव है !


 ओम् हिंदी में om ओ३म् या ओंकार का नामांतर प्रणव है। यह ईश्वर का वाचक है।
 ईश्वर के साथ ओंकार का वाच्य-वाचक-भाव संबंध नित्य है, सांकेतिक नहीं।..

om ka ucharan karne ke fayde - 1


 संकेत नित्य या स्वाभाविक संबंध को प्रकट करता है। 
सृष्टि के आदि में सर्वप्रथम ओंकार रूपी प्रणव का ही स्फुरण होता है।

 UCHARAN SE BRAIN ME BHIBRATIN HOTA HAI.
AUR OM KE JAP SE BRAIN ACTIVE HOTA HAI.

om ka ucharan karne ke fayde. ॐ के उच्चारण से फायदे जानें
om ka ucharan karne ke fayde


BRAIN JITA ACTTIVE RAHEGA UTNA JYADA WORK FAST & 
GOOD HOGA. IS LIYE OM KA JAAP/UCHARAN KAREN.


om ka ucharan karne ke fayde - 2


ऊँ उच्चारण से ज्यादा ऑक्सीजन मिलता है और ब्लड सर्कुलेशन बढ़िया रहती है ! 
om ka ucharan karne ke fayde | ॐ के उच्चारण से फायदे जानें
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इससे शारिरीक एनर्जी बढ़ जाती है !

om ka ucharan karne ke fayde - 3


ऊँ के उच्चारण से लंग्स, बी.पी. और ब्लड सर्कुलेशन इम्प्रूव होती है ! आपकी हार्ट(Dil) स्वस्थ होगा !
                                                             
om ka ucharan karne ke fayde | ॐ के उच्चारण से फायदे जानें
om ka ucharan karne ke fayde


om ka ucharan karne ke fayde - 4


ऊँ के उच्चारण से स्पाइनल कार्ड में वाइब्रेशन होता रहता है और इससे आपकी रिढ़ की हड्डी मजबूत होती हैं !
om ka ucharan karne ke fayde | ॐ के उच्चारण से फायदे जानें
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om ka ucharan karne ke fayde - 5


ऊँ के उच्चारण से पेट में वाइब्रेशन होता है ! और इससे डाइजेशन अच्छी रहती है !
om ka ucharan karne ke fayde . ॐ के उच्चारण से फायदे जानें
om ka ucharan karne ke fayde | ॐ के उच्चारण से फायदे जानें


om ka ucharan karne ke fayde - 6

ऊऋ का उच्चारण करने से आपकी बॉडी में ऑक्सीजन अधिक मात्रा में मिलती है !
om ka ucharan karne ke fayde | ॐ के उच्चारण से फायदे जानें
om ka ucharan karne ke fayde 


om ka ucharan karne ke fayde - 7 




ऊँ का उच्चारण करने से घबराहट और डराबनी उर्जा दूर होती है !
om ka ucharan karne ke fayde | ॐ के उच्चारण से फायदे जानें
om ka ucharan karne ke fayde

 इससे सभी व्यक्ति को ये जरूर करनी चाहिए


om ka ucharan karne ke fayde - 8

ऊँ का उच्चारण करने से थकान दूर होती है और
om ka ucharan karne ke fayde | ॐ के उच्चारण से फायदे जानें
om ka ucharan karne ke fayde

 इसके उच्चारण से तरोताजा महसूस होती है !


 ka ucharan karne ke fayde - 9




अगर आप को रात्रि में निंद नहीं या कम आने की समस्या है 
om ka ucharan karne ke fayde
om ka ucharan karne ke fayde

तो आप को ऊँ का उच्चारण नियमित सुबह सुबह करनी चाहिए !


om ka ucharan karne ke fayde - 10

 अक्सर लोग घर या ऑफिस में किसी न किसी कारण से टेंशन ्में रहते है ! 
         तो अब आपकी समस्या जड़ से खत्म हो जाये !
om ka ucharan karne ke fayde. ॐ के उच्चारण से फायदे जानें
ॐ के उच्चारण से फायदे जानें

 रोथ सुबह चार से पाँच बजे सुबह के बक्त ऊँ ऊँ ऊँ 5मिनट तक उच्चारण करें इससे आपको मानसिक शांति और स्ट्रेस, टेंशन से आजादी मिलेगी ! अगर आप ऑफिस में ही पाँच मिनट समय निकाल कर ये करें तो आप हमेशा चूस्त और ताजा रहेंगे !


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Aaj Aap Janege Ki " OM " Ke Sahi Udharan Se Fayde Aur Swasth Labh Ke Bare me.
 Ye post manusya matra ke liye jivan ko utam bane me sahayta karega