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क्यों है सावन की विशेषता?

हिन्दू धर्म की पौराणिक मान्यता के अनुसार सावन महीने को देवों के देव महादेव भगवान शंकर का महीना माना जाता है। इस संबंध में पौराणिक कथा है कि जब सनत कुमारों ने महादेव से उन्हें सावन महीना प्रिय होने का कारण पूछा तो महादेव भगवान शिव ने बताया कि जब देवी सती ने अपने पिता दक्ष के घर में योगशक्ति से शरीर त्याग किया था, उससे पहले देवी सती ने महादेव को हर जन्म में पति के रूप में पाने का प्रण किया था। अपने दूसरे जन्म में देवी सती ने पार्वती के नाम से हिमाचल और रानी मैना के घर में पुत्री के रूप में जन्म लिया। पार्वती ने युवावस्था के सावन महीने में निराहार रह कर कठोर व्रत किया और उन्हें प्रसन्न कर विवाह किया, जिसके बाद ही महादेव के लिए यह विशेष हो गया।

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8.23.2020

भारत के इस काव्य को ‘अनुलोम-विलोम काव्य’ भी कहा जाता है। सिधा पढ़े राम और उल्टा पढ़े तो कृष्ण कथा ?

 अति दुर्लभ एक ग्रंथ ऐसा भी है हमारे सनातन धर्म मे

इसे तो सात आश्चर्यों में से पहला आश्चर्य माना जाना चाहिए ---


*यह है दक्षिण भारत का एक ग्रन्थ*


क्या ऐसा संभव है कि जब आप किताब को सीधा पढ़े तो राम कथा के रूप में पढ़ी जाती है और जब उसी किताब में लिखे शब्दों को उल्टा करके पढ़े

तो कृष्ण कथा के रूप में होती है ।


जी हां, कांचीपुरम के 17वीं शदी के कवि वेंकटाध्वरि रचित ग्रन्थ "राघवयादवीयम्" ऐसा ही एक अद्भुत ग्रन्थ है।


इस ग्रन्थ को

‘अनुलोम-विलोम काव्य’ भी कहा जाता है। पूरे ग्रन्थ में केवल 30 श्लोक हैं। इन श्लोकों को सीधे-सीधे

पढ़ते जाएँ, तो रामकथा बनती है और

विपरीत (उल्टा) क्रम में पढ़ने पर कृष्णकथा। इस प्रकार हैं तो केवल 30 श्लोक, लेकिन कृष्णकथा (उल्टे यानी विलोम)के भी 30 श्लोक जोड़ लिए जाएँ तो बनते हैं 60 श्लोक।

Anulom-vilom


पुस्तक के नाम से भी यह प्रदर्शित होता है, राघव (राम) + यादव (कृष्ण) के चरित को बताने वाली गाथा है ~ "राघवयादवीयम।"


उदाहरण के तौर पर पुस्तक का पहला श्लोक हैः


वंदेऽहं देवं तं श्रीतं रन्तारं कालं भासा यः ।

रामो रामाधीराप्यागो लीलामारायोध्ये वासे ॥ १॥


अर्थातः

मैं उन भगवान श्रीराम के चरणों में प्रणाम करता हूं, जो

जिनके ह्रदय में सीताजी रहती है तथा जिन्होंने अपनी पत्नी सीता के लिए सहयाद्री की पहाड़ियों से होते हुए लंका जाकर रावण का वध किया तथा वनवास पूरा कर अयोध्या वापिस लौटे।


अब इस श्लोक का विलोमम्: इस प्रकार है


सेवाध्येयो रामालाली गोप्याराधी भारामोराः ।

यस्साभालंकारं तारं तं श्रीतं वन्देऽहं देवम् ॥ १॥


अर्थातः

मैं रूक्मिणी तथा गोपियों के पूज्य भगवान श्रीकृष्ण के

चरणों में प्रणाम करता हूं, जो सदा ही मां लक्ष्मी के साथ

विराजमान है तथा जिनकी शोभा समस्त जवाहरातों की शोभा हर लेती है।


" राघवयादवीयम" के ये 60 संस्कृत श्लोक इस प्रकार हैं:-


राघवयादवीयम् रामस्तोत्राणि

वंदेऽहं देवं तं श्रीतं रन्तारं कालं भासा यः ।

रामो रामाधीराप्यागो लीलामारायोध्ये वासे ॥ १॥


विलोमम्:

सेवाध्येयो रामालाली गोप्याराधी भारामोराः ।

यस्साभालंकारं तारं तं श्रीतं वन्देऽहं देवम् ॥ १॥


साकेताख्या ज्यायामासीद्याविप्रादीप्तार्याधारा ।

पूराजीतादेवाद्याविश्वासाग्र्यासावाशारावा ॥ २॥


विलोमम्:

वाराशावासाग्र्या साश्वाविद्यावादेताजीरापूः ।

राधार्यप्ता दीप्राविद्यासीमायाज्याख्याताकेसा ॥ २॥


कामभारस्स्थलसारश्रीसौधासौघनवापिका ।

सारसारवपीनासरागाकारसुभूरुभूः ॥ ३॥


विलोमम्:

भूरिभूसुरकागारासनापीवरसारसा ।

कापिवानघसौधासौ श्रीरसालस्थभामका ॥ ३॥


रामधामसमानेनमागोरोधनमासताम् ।

नामहामक्षररसं ताराभास्तु न वेद या ॥ ४॥


विलोमम्:

यादवेनस्तुभारातासंररक्षमहामनाः ।

तां समानधरोगोमाननेमासमधामराः ॥ ४॥


यन् गाधेयो योगी रागी वैताने सौम्ये सौख्येसौ ।

तं ख्यातं शीतं स्फीतं भीमानामाश्रीहाता त्रातम् ॥ ५॥


विलोमम्:

तं त्राताहाश्रीमानामाभीतं स्फीत्तं शीतं ख्यातं ।

सौख्ये सौम्येसौ नेता वै गीरागीयो योधेगायन् ॥ ५॥


मारमं सुकुमाराभं रसाजापनृताश्रितं ।

काविरामदलापागोसमावामतरानते ॥ ६॥


विलोमम्:

तेन रातमवामास गोपालादमराविका ।

तं श्रितानृपजासारंभ रामाकुसुमं रमा ॥ ६॥


रामनामा सदा खेदभावे दया-वानतापीनतेजारिपावनते ।

कादिमोदासहातास्वभासारसा-मेसुगोरेणुकागात्रजे भूरुमे ॥ ७॥


विलोमम्:

मेरुभूजेत्रगाकाणुरेगोसुमे-सारसा भास्वताहासदामोदिका ।

तेन वा पारिजातेन पीता नवायादवे भादखेदासमानामरा ॥ ७॥


सारसासमधाताक्षिभूम्नाधामसु सीतया ।

साध्वसाविहरेमेक्षेम्यरमासुरसारहा ॥ ८॥


विलोमम्:

हारसारसुमारम्यक्षेमेरेहविसाध्वसा ।

यातसीसुमधाम्नाभूक्षिताधामससारसा ॥ ८॥


सागसाभरतायेभमाभातामन्युमत्तया ।

सात्रमध्यमयातापेपोतायाधिगतारसा ॥ ९॥


विलोमम्:

सारतागधियातापोपेतायामध्यमत्रसा ।

यात्तमन्युमताभामा भयेतारभसागसा ॥ ९॥


तानवादपकोमाभारामेकाननदाससा ।

यालतावृद्धसेवाकाकैकेयीमहदाहह ॥ १०॥


विलोमम्:

हहदाहमयीकेकैकावासेद्ध्वृतालया ।

सासदाननकामेराभामाकोपदवानता ॥ १०॥


वरमानदसत्यासह्रीतपित्रादरादहो ।

भास्वरस्थिरधीरोपहारोरावनगाम्यसौ ॥ ११॥


विलोमम्:

सौम्यगानवरारोहापरोधीरस्स्थिरस्वभाः ।

होदरादत्रापितह्रीसत्यासदनमारवा ॥ ११॥


यानयानघधीतादा रसायास्तनयादवे ।

सागताहिवियाताह्रीसतापानकिलोनभा ॥ १२॥


विलोमम्:

भानलोकिनपातासह्रीतायाविहितागसा ।

वेदयानस्तयासारदाताधीघनयानया ॥ १२॥


रागिराधुतिगर्वादारदाहोमहसाहह ।

यानगातभरद्वाजमायासीदमगाहिनः ॥ १३॥


विलोमम्:

नोहिगामदसीयामाजद्वारभतगानया ।

हह साहमहोदारदार्वागतिधुरागिरा ॥ १३॥


यातुराजिदभाभारं द्यां वमारुतगन्धगम् ।

सोगमारपदं यक्षतुंगाभोनघयात्रया ॥ १४॥


विलोमम्:

यात्रयाघनभोगातुं क्षयदं परमागसः ।

गन्धगंतरुमावद्यं रंभाभादजिरा तु या ॥ १४॥


दण्डकां प्रदमोराजाल्याहतामयकारिहा ।

ससमानवतानेनोभोग्याभोनतदासन ॥ १५॥

Shree

               ~ विलोमम्: ~

नसदातनभोग्याभो नोनेतावनमास सः ।

हारिकायमताहल्याजारामोदप्रकाण्डदम् ॥ १५॥


सोरमारदनज्ञानोवेदेराकण्ठकुंभजम् ।

तंद्रुसारपटोनागानानादोषविराधहा ॥ १६॥


विलोमम्:

हाधराविषदोनानागानाटोपरसाद्रुतम् ।

जम्भकुण्ठकरादेवेनोज्ञानदरमारसः ॥ १६॥


सागमाकरपाताहाकंकेनावनतोहिसः ।

न समानर्दमारामालंकाराजस्वसा रतम् ॥ १७ विलोमम्:

तं रसास्वजराकालंमारामार्दनमासन ।

सहितोनवनाकेकं हातापारकमागसा ॥ १७॥


तां स गोरमदोश्रीदो विग्रामसदरोतत ।

वैरमासपलाहारा विनासा रविवंशके ॥ १८॥


विलोमम्:

केशवं विरसानाविराहालापसमारवैः ।

ततरोदसमग्राविदोश्रीदोमरगोसताम् ॥ १८॥


गोद्युगोमस्वमायोभूदश्रीगखरसेनया ।

सहसाहवधारोविकलोराजदरातिहा ॥ १९॥


विलोमम्:

हातिरादजरालोकविरोधावहसाहस ।

यानसेरखगश्रीद भूयोमास्वमगोद्युगः ॥ १९॥


हतपापचयेहेयो लंकेशोयमसारधीः ।

राजिराविरतेरापोहाहाहंग्रहमारघः ॥ २०॥


विलोमम्:

घोरमाहग्रहंहाहापोरातेरविराजिराः ।

धीरसामयशोकेलं यो हेये च पपात ह ॥ २०॥


ताटकेयलवादेनोहारीहारिगिरासमः ।


हासहायजनासीतानाप्तेनादमनाभुवि  ॥ २१॥


विलोमम्:

विभुनामदनाप्तेनातासीनाजयहासहा ।

ससरागिरिहारीहानोदेवालयकेटता ॥ २१॥


भारमाकुदशाकेनाशराधीकुहकेनहा ।

चारुधीवनपालोक्या वैदेहीमहिताहृता ॥ २२॥


विलोमम्:

ताहृताहिमहीदेव्यैक्यालोपानवधीरुचा ।

हानकेहकुधीराशानाकेशादकुमारभाः ॥ २२॥


हारितोयदभोरामावियोगेनघवायुजः ।

तंरुमामहितोपेतामोदोसारज्ञरामयः ॥ २३॥


विलोमम्:

योमराज्ञरसादोमोतापेतोहिममारुतम् ।

जोयुवाघनगेयोविमाराभोदयतोरिहा ॥ २३॥


भानुभानुतभावामासदामोदपरोहतं ।

तंहतामरसाभक्षोतिराताकृतवासविम् ॥ २४॥


विलोमम्:

विंसवातकृतारातिक्षोभासारमताहतं ।

तं हरोपदमोदासमावाभातनुभानुभाः ॥ २४॥

हंसजारुद्धबलजापरोदारसुभाजिनि ।

राजिरावणरक्षोरविघातायरमारयम् ॥ २५॥


विलोमम्: 👀👀

यं रमारयताघाविरक्षोरणवराजिरा ।

निजभासुरदारोपजालबद्धरुजासहम् ॥ २५॥


सागरातिगमाभातिनाकेशोसुरमासहः ।

तंसमारुतजंगोप्ताभादासाद्यगतोगजम् ॥ २६॥


विलोमम्:

जंगतोगद्यसादाभाप्तागोजंतरुमासतं ।

हस्समारसुशोकेनातिभामागतिरागसा ॥ २६॥


वीरवानरसेनस्य त्राताभादवता हि सः ।

तोयधावरिगोयादस्ययतोनवसेतुना ॥ २७॥


विलोमम्

नातुसेवनतोयस्यदयागोरिवधायतः ।

सहितावदभातात्रास्यनसेरनवारवी ॥ २७॥


हारिसाहसलंकेनासुभेदीमहितोहिसः ।

चारुभूतनुजोरामोरमाराधयदार्तिहा ॥ २८॥


विलोमम्

हार्तिदायधरामारमोराजोनुतभूरुचा ।

सहितोहिमदीभेसुनाकेलंसहसारिहा ॥ २८॥


नालिकेरसुभाकारागारासौसुरसापिका ।

रावणारिक्षमेरापूराभेजे हि ननामुना ॥ २९॥


विलोमम्:

नामुनानहिजेभेरापूरामेक्षरिणावरा ।

कापिसारसुसौरागाराकाभासुरकेलिना ॥ २९॥


साग्र्यतामरसागारामक्षामाघनभारगौः ॥

निजदेपरजित्यास श्रीरामे सुगराजभा ॥ ३०॥


विलोमम्:

भाजरागसुमेराश्रीसत्याजिरपदेजनि ।स

गौरभानघमाक्षामरागासारमताग्र्यसा ॥ ३०॥


॥ इति श्रीवेङ्कटाध्वरि कृतं श्री  ।।


*कृपया अपना थोड़ा सा कीमती वक्त निकाले और उपरोक्त श्लोको को गौर से अवलोकन करें कि यह दुनिया में कहीं भी ऐसा न पाया जाने वाला ग्रंथ है ।*
🚩जय श्री राम🍃🍂🚩

8.22.2020

चौरचन (Chaurchan) पर्व के बारे में पुराणों में ऐसा वर्णन मिलता है

 चौरचन - चौठचंद्र - पर्व धूमधाम से मनाया जाता है। 


भाद्रपद की चतुर्थी तिथि यानी जिस दिन गणेश चतुर्थी के दिन ही चौरचन पर्व मनाया जाता है। महाराष्ट्र में जहां इस दिन लोग गणपति की स्थापना करते हैं वहीं मिथिला में इस दिन गणेश और चंद्र देव का पूजन किया जाता है।

चौरचन (Chaurchan) पर्व के बारे में पुराणों में ऐसा वर्णन मिलता है
चौरचन(पावैन) पूजा का शुभ मुहूर्त: 22 अगस्त, शनिवार – शाम 06 बजकर 53 मिनट से 07 बजकर 59 मिनट तक

इसी दिन चौरचन भी मनाया जाता है। इस साल चौरचन 22 अगस्त शनिवार को मनाया जाएगा। यह त्योहार मिथिला यानी बिहार में मनाया जाता है। इस दिन चंद्र देव की उपासना की जाती है। कहते हैं कि जो व्यक्ति गणेश चतुर्थी की शाम भगवान गणेश के साथ चंद्र देव की पूजा करता है। वह चंद्र दोष से मुक्त हो जाता है। बता दें कि चतुर्थी (चौठ) तिथि में शाम के समय चौरचन पूजा होती है। चौरचन (Chaurchan) पर्व के बारे में पुराणों में ऐसा वर्णन मिलता है कि इसी दिन चंद्रमा को कलंक लगा था।

चौठ चंद्र पूजन विधि: 


इस दिन सुबह से शाम व्रत रखकर भक्त पूजन में लीन रहते हैं। शाम के समय घर के आंगन को गाय के गोबर से लीपकर साफ करते हैं। फिर केले के पत्ते की मदद से गोलाकार चांद बनाएं। अब इस पर तरह-तरह के मीठे पकवान जैसे कि खीर, मिठाई, गुजिया और फल रखें। पश्चिम दिशा की ओर मुख करके रोहिणी (नक्षत्र) सहित चतुर्थी में चंद्रमा की पूजा उजले फूल से करें। इसके उपरांत घर में जितने लोग हैं, उतनी ही संख्या में पकवानों से भरी डाली और दही के बर्तन को रखें। अब एक-एक कर डाली, दही का बर्तन, केला, खीरा आदि को हाथों में उठाकर ‘सिंह: प्रसेनमवधिस्सिंहो जाम्बवता हतः। सुकुमार मन्दिस्तव ह्येष स्यामन्तक: स्त’ इस मंत्र को पढ़कर चंद्रमा को समर्पित करें।

चौरचन की कथा: 


एक दिन भगवान गणेश अपने वाहन मूषक के साथ कैलाश पर घूम रहे थे। तभी अचानक चंद्र देव उन्हें देखकर हंसने लगे, गणेश जी को उनके हंसने की वजह समझ नहीं आई। उन्होंने चंद्र देव से पूछा कि आप क्यों हंस रहे हैं। इसका जवाब देते हुए चंद्र देव ने कहा कि वह भगवान गणेश का विचित्र रूप देख कर हंस रहे हैं। साथ ही उन्होंने अपने रूप का बखान भी किया।
गणेश जी को चंद्र देव की मजाक उड़ाने की प्रवृत्ति पर क्रोध आया। उन्होंने चंद्र देव को यह श्राप दिया कि तुम्हें अपने रूप पर बहुत अभिमान है कि तुम बहुत सुंदर दिखते हो लेकिन आज से तुम कुरूप हो जाओ। जो कोई भी व्यक्ति तुम्हें देखेगा उसे झूठा कलंक लगेगा। कोई अपराध न होने के बावजूद भी वह अपराधी कहलाएगा।

श्राप सुनते ही चंद्र देव का अभिमान चूर चूर हो गया। उन्होंने गणेश जी से क्षमा मांगी और कहा भगवन् मुझे इस श्राप से मुक्त कीजिए। चंद्र देव को पश्चाताप करते देख गणेश जी ने उन्हें क्षमा कर दिया। श्राप पूरी तरह से वापस नहीं लिया जा सकता था इसलिए यह कहा गया कि जो कोई भी व्यक्ति गणेश चतुर्थी के दिन चंद्र देव को देखेगा। उस पर झूठा आरोप लगेगा। इससे बचने के लिए ही मिथिला में गणेश चतुर्थी की शाम को चंद्रमा की पूजा की जाती है।




श्री राम मंदिर कि दिवारों पर अपना नाम खुदवाने के लिए करें ये छोटा काम और सदियों तक आपका नाम मंदिर के दिवारों पर रहेगा

श्री राम मंदिर कि दिवारों पर अपना नाम खुदवाने के लिए करें ये छोटा काम !

और सदियों तक आपका नाम मंदिर के दिवारों पर रहेगा

अयोध्या में राम मंदिर भूमि पूजन के बाद अब मंदिर निर्माण की कवायद तेज हो गई है। अयोध्या में बन रहे भव्य राम मंदिर की दीवारों पर सदियों के लिए नाम लिखवाने का एक बड़ा मौका है। बस इसलिए आपको तांबा दान करना होगा। रामजन्मभूमि ट्रस्ट ने इसलिए भक्तों से तांबे की पत्तियां दान करने को कहा है। उन्होंने कहा है कि तांबे की पत्तियों में लोग अपने या अपने परिवार के लोगों का नाम भी लिखवा सकते हैं।

Shree Ram Mandir Nirman


दरअसल, राम मंदिर निर्माण में किसी प्रकार के लोहे या सरिया का इस्तेमाल नहीं किया जाएगा। ट्रस्ट ने बताया है कि लोहे की जगह मंदिर निर्माण में तांबे की छडें प्रयोग होंगी, जिससे मंदिर सदियों तक खड़ी रहेगी। 

राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट ने गुरुवार को ट्वीट कर कहा, ' मंदिर निर्माण में लगने वाले पत्थरों को जोड़ने के लिए तांबे की पत्तियों का उपयोग किया जाएगा। निर्माण कार्य हेतु 18 इंच लम्बी, 3 एमएम गहरी और 30 एमएण चौड़ी 10,000 पत्तियों की आवश्यकता पड़ेगी। श्री रामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र श्रीरामभक्तों का आह्वान करता है कि तांबे की पत्तियां दान करें।'

अयोध्या में राम मंदिर निर्माण के लिए रामभक्तों से मांगी जा रहीं तांबे की पत्तियां, जानें वजह

निर्माण के कार्य में लगभग 36-40 महीने का समय लगने का अनुमान है।


ट्रस्ट ने आगे कहा कि 'इन तांबे की पत्तियों पर दानकर्ता अपने परिवार, क्षेत्र अथवा मंदिरों का नाम गुदवा सकते हैं। इस प्रकार से ये तांबे की पत्तियां न केवल देश की एकात्मता का अभूतपूर्व उदाहरण बनेंगी, अपितु मन्दिर निर्माण में सम्पूर्ण राष्ट्र के योगदान का प्रमाण भी देंगी।'

ट्रस्ट ने कहा कि श्री रामजन्मभूमि मंदिर का निर्माण भारत की प्राचीन निर्माण पद्धति से किया जा रहा है ताकि वह सहस्त्रों वर्षों तक न केवल खड़ा रहे, अपितु भूकम्प, झंझावात अथवा अन्य किसी प्रकार की आपदा में भी उसे किसी प्रकार की क्षति न हो। मंदिर के निर्माण में लोहे का प्रयोग नही किया जाएगा।

ट्रस्ट ने एक अन्य ट्वीट में कहा कि श्री राम जन्मभूमि मन्दिर के निर्माण हेतु कार्य प्रारंभ हो गया है। CBRI रुड़की और IIT मद्रास के साथ मिलकर निर्माणकर्ता कम्पनी L&T के अभियंता भूमि की मृदा के परीक्षण के कार्य में लगे हुए हैं। मंदिर निर्माण के कार्य में लगभग 36-40 महीने का समय लगने का अनुमान है।

बच्चों मे यह आदत डाले | Achchi Baten

बच्चों मे यह आदत अवश्य डाले...

अच़्छी आदतें


1: मंदिर घुमाने लेकर जाइये !
2: तिलक लगाने की आदत डालें !
3: देवी देवताओं की कहानियां सुनायें !
4: संकट आये तो नारायण नारायण बोलें !
5: गलती होने पर हे राम बोलने की आदत डालें !
6: गायत्री मंत्र, हनुमान चालीसा व महामृत्युन्जय मंत्र आदि याद करायें !
7: अकबर, हुमांयू, सिकन्दर के बदले शिवाजी, महाराणा प्रताप जैसे शूरवीरों की कहानियां सुनायें !
8: घर मे छोटे बच्चों से जय श्री कृष्णा, राधे राधे,
हरी बोल, जय माता दी,
राम राम कहिये, और उनसे भी जवाब मे राम राम बुलवाने की आदत डालिये !
9: बाहर जाते समय bye न कहे बच्चो से जय श्री कृष्णा कहे।

अपने धर्म का ज्ञान हमको ही देना है ! कोई और नहीं आयेगा यह सब सिखाने को    🙏

Definition of Bhakti | It is of the form of Supreme Love towards God.

 Definition of Bhakti


🍃It is of the form of Supreme Love towards God.

Definition of Bhakti


Commentary:

The term Bhakti comes from the root "Bhaj", which means "to be attached to God."

सन् 2030 तक विश्व के प्रत्येक व्यक्ति का Unique Identification Card बनवाया जाएगा

World Bank , Bill and Melinda gates foundation, Omidyar Network, British government, Australian Government 


इन सबके द्वारा मिलकर सन् 2014 में एक Program launch किया गया जिसका नाम है ID4D Program.

सन् 2030 तक विश्व के प्रत्येक व्यक्ति का Unique Identification Card बनवाया जाएगा


इस Program को Launch करने का मुख्य उद्देश्य सन् 2030 तक विश्व के प्रत्येक व्यक्ति का Unique Identification Card बनवाया जाएगा जिसमें उसकी Biometric data से लेकर अन्य सभी जानकारीयां उपलब्ध होंगी...जोकि धीरे-धीरे विश्व के सभी देशों में लागू कराया जा रहा है ( जैसे भारत में पहले UIDAI अब Unique Health ID Card, Estonia, Botswana, Africa में अन्य नामों से)


ID4D Program को गति देने के लिए सन् 2019 में ब्रिटेन के द्वारा 💶 यूरो 15 million का दान दिया गया...


ID4D Program हेतु World Bank प्रतिवर्ष US$ 1 MILLION का Contribution करता है....


अब ऐसा क्या कारण है कि जिन  अंग्रेजों कि नीति हमेशा से जनता को लूटना, मारना और अत्याचार करना रही है आज वह आपके स्वास्थ्य की बात कर रहे हैं और उनका सहयोग आपकी ही सरकारों के द्वारा किया जा रहा है... दरअसल किसी भी राष्ट्र की उन्नति के लिए उस राष्ट्र में रहने वाले लोगों का data सुरक्षित होना बहुत आवश्यक होता है परन्तु UHID के प्रसार का मुख्य कारण विश्व में रहने वाले सभी लोगों का डेटा और Privacy वैश्विक सत्ता के पास पहुंचाना है....ताकि सभी व्यक्तियों की Personal information उनके पास उपलब्ध हो...


दूसरा मुख्य कारण - जैसा कि आपको विदित होगा कि हमारे स्वास्थ्य से संबंधित छोटी से छोटी जानकारी भी Unique Health ID में Digitally उपलब्ध कराई जाएगी जोकि सरकार और World Bank, Bill and Melinda gates foundation, Britain को आसानी से उपलब्ध हो सकेगी अब आप कल्पना कीजिए भारत में Vaccination का Program Start हुआ और लगभग 135 करोड़ की जनता में से 35 करोड़ ने Vaccine लगवाई बाकि ने नहीं... तो UHID के माध्यम से सरकारों को इसकी जानकारी तुरन्त उपलब्ध हो जाएगी कि कितने लोगों ने Vaccine लगवाई है और कितने लोगों को अभी लगवाना बाकि है... जिसके लिए Bill and Melinda gates, Omidyar Network,  world Bank, Britain सरकारों पर दबाव बनाएंगे कि 135 करोड़ में केवल 35 करोड़ Vaccination कैसे ??


तब सरकार आपके UHID Card को चैक करेगी और आपको Vaccine लगावा दिया जाएगा।


वन्देमातरम् 

राजीव दीक्षित अमर रहें 🙏🙏🚩🚩

Microprocessor Challenge - Innovate Solutions for #AatmaNibharBharat

 स्वदेशी Microprocessor Challenge - Innovate Solutions for #आत्मनिर्भर भारत

AatmaNibharBharat


BACKGROUND OF स्वदेशी MICROPROCESSOR CHALLENGE

Under #AatmaNibharBharat Abhiyan, there is a growing need for Swadeshi Compute Hardware, that shall be part of every Smart Device deployed in different domains, including Electronics for public utility services such as Surveillance, Transportation, Environmental condition monitoring, to commodity appliances like smart fans/ locks/ washing machines. In addition, with growing penetration of smart electronics in strategic areas including Space, Defence and Nuclear energy, the need for Swadeshi Compute Hardware is crucial. It is not just the cost or embargo that drives this need, but also the dependence on external vendors, long term sustenance, quick enhancements to suit the ever-growing requirements, and most-importantly Security, which drives #AatmaNirbharta in Hardware domain, as the only option.


Under Microprocessor Development Programme spearheaded by MeitY at C-DAC, IIT Madras and IIT Bombay, not only the family of industry-grade Microprocessors has been designed from the scratch but also the compute ecosystem around them has been evolved as a step towards meeting India's future requirements.


SCOPE OF स्वदेशी MICROPROCESSOR CHALLENGE !

To provide further impetus to the strong ecosystem of start-ups, innovators & researchers in the country, MeitY announces Swadeshi Microprocessor Challenge made available by IIT Madras (शक्ति processors) and C-DAC (वेगा processors), powered by FPGA Boards of XILINX which is supported by CoreEL Technologies, to promote a culture of innovation and entrepreneurship by taking up complex designs in the country and innovate frugal solutions around home-grown processor ecosystem, catering to both global and domestic requirements.The incubation support to the winning teams will be provided by an Incubator located at their geographical proximity coordinated by Maker Village.


Give your ideas a jump-start by sculpting your innovation with Technical support, Business mentorship augmented with Hardware, Software and funding support of total Rs. 4.30 Crore from MeitY to applicants at various stages of the Challenge as following.