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1. शुरुआत में योग करते समय हमेशा योग विशेषज्ञ के देखरेख में ही योग करे और पूर्णतः प्रशिक्षित होने के बाद ही अकेले योग करे। 2. योग से जुड़ा कोई भी प्रश्न मन में हो तो विशेषज्ञ से जरूर पूछे। 3. योग करना का सबसे बेहतर समय सुबह का होता हैं। सुबह सूर्योदय होने के आधा घंटे पहले से लेकर सूर्योदय होने के 1 घंटे बाद तक का समय विशेष लाभदायक होता हैं। 4. सुबह योग करने से पहले आपका पेट साफ होना आवश्यक हैं। 5. नहाने के 20 मिनिट पहले या बाद में योग नहीं करटे बाद ही करे।

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क्यों है सावन की विशेषता?

हिन्दू धर्म की पौराणिक मान्यता के अनुसार सावन महीने को देवों के देव महादेव भगवान शंकर का महीना माना जाता है। इस संबंध में पौराणिक कथा है कि जब सनत कुमारों ने महादेव से उन्हें सावन महीना प्रिय होने का कारण पूछा तो महादेव भगवान शिव ने बताया कि जब देवी सती ने अपने पिता दक्ष के घर में योगशक्ति से शरीर त्याग किया था, उससे पहले देवी सती ने महादेव को हर जन्म में पति के रूप में पाने का प्रण किया था। अपने दूसरे जन्म में देवी सती ने पार्वती के नाम से हिमाचल और रानी मैना के घर में पुत्री के रूप में जन्म लिया। पार्वती ने युवावस्था के सावन महीने में निराहार रह कर कठोर व्रत किया और उन्हें प्रसन्न कर विवाह किया, जिसके बाद ही महादेव के लिए यह विशेष हो गया।

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10.08.2021

भगवती की सूक्ष्म शक्ति से परे यह नव स्वरूप प्राथमिक, दिव्य और मानव जाति के लिए प्रेरणा हैं. इन स्वरूपों के मर्म को जानिए

 नवरात्र का उत्सव साधना का उत्सव है. आत्म चिंतन और प्रकृति से एकाकार का समय है. वर्ष के पहले नौ दिन देवी को समर्पित होते हैं क्योंकि सृष्टि के प्रारंभ का आधार देवी का स्वरूप ही है.

#दुर्गापूजा_दुर्गापट्टी #भक्ति #जयमातादी

जय माता दी


देवी भागवत के अनुसार सृष्टि का आदि स्वरूप ही शक्ति स्वरूप है और देवी ही इसकी प्रथम आद्या हैं. वह परमपिता ब्रह्मदेव की इच्छा शक्ति हैं, विष्णु की पालक शक्ति हैं और शिव के संहार की इच्छा में भगवती की ही शक्ति समाहित है. इसलिए इन्हें आदिशक्ति, महाविद्या और परमशक्ति के तौर पर जाना जाता है.


यही कारण है कि सनातन वर्ष परंपरा के प्रारंभिक नौ दिन देवी के विभिन्न स्वरूपों को समर्पित होते हैं. भगवती की सूक्ष्म शक्ति से परे यह नव स्वरूप प्राथमिक, दिव्य और मानव जाति के लिए प्रेरणा हैं.  इन स्वरूपों के मर्म पर डालते हैं नजर-


प्रथम देवी शैलपुत्रीः हिमालय की पुत्री

मां दुर्गा का पहला स्वरूप शैलपुत्री का है. पर्वतराज हिमालय के यहां पुत्री रूप में जन्म लेने कारण देवी शैलपुत्री नाम से विख्यात हुईं. देवी का यह स्वरूप इच्छाशक्ति और आत्मबल को दर्शाता है और इसके लिए प्रेरित करता है. सती दाह की घटना के बाद आदिशक्ति ने पुनः महादेव की अर्धांगिनी बनने के लिए आत्मबल दिखाया और जन्म लेकर तपस्या कर महादेव को फिर से प्राप्त किया.देवी का यह मानवीय स्वरूप बताता है कि मनुष्य की सकारात्मक इच्छाशक्ति ही भगवती की शक्ति है. नवरात्रि पूजन में पहले दिन इन्हीं का पूजन होता है. प्रथम दिन की पूजा में योगीजन अपने मन को मूलाधार चक्र में स्थित करते हैं. देवी की इस मंत्र के साथ वंदना करें.  

वन्दे वांछितलाभाय चन्द्रार्धकृतशेखराम।

वृषारूढां शूलधरां शैलपुत्रीं यशंस्विनिम।।

 

माता की पूजा

द्वितीय ब्रह्मचारिणीः तप की देवी

देवी का दूसरा स्वरूप ब्रह्मचारिणी का है. ब्रह्मा की इच्छाशक्ति और तपस्विनी का आचरण करने वाली यह देवी त्याग की प्रतिमूर्ति हैं . ब्रह्मचारिणी देवी का स्वरूप पूर्ण ज्योतिर्मय एवं अत्यंत भव्य है. मां दुर्गा का यह स्वरूप भक्तों और सिद्धों को अनंत फल प्रदान करने वाला है. उपासना से मनुष्य में तप, त्याग, वैराग्य, सदाचार और संयम की वृद्धि होती है. नवदुर्गा के दूसरे दिन साधक का मन स्वाधिष्ठान चक्र में स्थित होता है. इस चक्र में अवस्थित मन वाला योगी उनकी कृपा और भक्ति प्राप्त करता है. इस मंत्र से साधना करें.

दधाना करपद्माभ्यामक्षमालाकमण्डलू।

 देवी प्रसीदतु मयि ब्रह्मचारिण्यनुत्तमा।।


तृतीय चंद्रघण्टाः नाद की देवी

 मां दुर्गा की तीसरी शक्ति चंद्रघण्टा हैं. माता के मस्तक पर घण्टे के आकार का चंद्र शोभित है. यही इनके नाम का आधार है. देवी एकाग्रता की प्रतीक हैं और आरोग्य का वरदान देने वाली है. असल में नाद ही सृष्टि की चलायमान शक्ति है. यह ऊंकार का स्त्रोत है और सृष्टि की प्रथम ध्वनि है.

जय माता दी



घंटा ध्वनि सभी ध्वनियों में सबसे शुद्ध और शांत प्रवृत्ति वाली है. यह ऊर्जा क बढ़ाती है. जो लोग एकाग्र नहीं रह पाते, क्रोधी स्वभाव और विचलित मन वाले हैं, मां चंद्रघंटा की शरण लें.  और इस मंत्र से उपासना करें. 



पिण्डज प्रवरारूढ़ा चण्डकोपास्त्रकैर्युता।

प्रसादं तनुते महयं चंद्रघण्टेति विश्रुता।।

 

चतुर्थ कूष्माण्डाः जननी स्वरूपा

 मां का यह स्वरूप ब्रहमांड का सृजन करता है. अपनी मंद, हल्की हंसी द्वारा ब्रह्मांड को उत्पन्न करने के कारण इनका नाम कूष्माण्डा पड़ा. इस दिन साधक का मन अनाहज चक्र में स्थित होता है. अतः पवित्र मन से पूजा−उपासना के कार्य में लगना चाहिए.



मां की उपासना मनुष्य को स्वाभाविक रूप से भवसागर से पार उतारने के लिए सुगम और श्रेयस्कर मार्ग है. सरल शब्दों में कहें तो मां की आराधना व्याधियों और विकारों को नष्ट करती है. देवी नवीनता का प्रतीक हैं और सृजन की शक्ति हैं. अपनी लौकिक, परलौकिक उन्नति चाहने वालों को कूष्माण्डा मां की उपासना इस मंत्र से करनी चाहिए. 



सुरासम्पूर्णकलशं रूधिराप्लुतमेव च।

दधाना हस्तपद्माभ्यां कूष्माण्डा शुभदास्तुमे।।

 

पंचम स्कन्दमाताः वत्सला स्वरूप 

मां दुर्गा का यह पांचवां स्वरूप स्कन्दमाता कहलाता है. भगवान स्कन्द यानी कार्तिकेय की माता होने के कारण इन्हें स्कंदमाता कहते हैं. पांचवें दिन साधक का मन विशुद्ध चक्र में स्थित रहता है. देवी कमलाआसन पर विराजित हैं औऱ इस रूप में भगवान विष्णु की पालक शक्ति हैं.


इन्हीं की प्रेरणा से श्रीसत्यनारायण प्रभु भक्त वत्सल हैं और पिता तुल्य हैं. इसी प्रेरणा वह संसार का पालन करते हैं और प्रत्येक जीव का रंजन करते हैं. देवी का यह स्वरूप चित्त में शीतलता और दया भरने वाला और अभय देने का प्रतीक है. देवी की पूजा इस मंत्र से करें. 



सिंहासनगता नित्यं पद्माश्रितकरद्वया।

शुभदास्तु सदा देवी स्कन्दमाता यशस्विनी।।



षष्ठम कात्यायनीः ऋषि पुत्री, वीरांगना

दुर्गापूजा दुर्गापट्टी

स्वरूप

मां दुर्गा का यह छठा स्वरूप अमोघ शक्ति और गौरव देने वाला है. देवी के इस नाम के पीछे की वजह ऋषि कात्यायन के घर जन्म लेना है. उनकी पुत्री होने से वह कात्यायनी कहलाती हैं. यह स्वरूप कर्मठता का प्रतीक है और नारी जाति को प्रेरणा देता है कि वह अपनी दया, तपस्या और त्याग जैसे गुणों के साथ वीरांगना भी है.


अबला तो किसी भी स्वरूप में नहीं. यह स्वरूप क्षमाशील भी है और दंडदेने वाला भी. देवी को दानव घातिनी भी कहते हैं. शुंभ निशुंभ औऱ रक्तबीज जैसे दानवों का अंत देवी ने इसी स्वरूप में किया. इस दिन साधक का मन आज्ञा चक्र में स्थित रहता है. मां की अर्चना इस मंत्र से करें. 



चन्द्रहासोज्ज्वलकरा शाईलवरवाहना।

कात्यायनी शुभं दद्याद्देवी दानवघातिनी।।



सप्तम कालरात्रिः शुभफला शुभांकरी देवी 

अंधकार में भी आशा की किरण और अभय देने वाला देवी का यह स्वरूप कालरात्रि कहलाता है. भयानक स्वरूप के बाद भी शुभफल देने वाली देवी शुभांकरी नाम से पूजित होती हैं. सातवें दिन साधक का मन सहस्त्रार चक्र में स्थित रहता है. उसके लिए ब्रह्मांड की समस्त सिद्धियों के द्वार खुलने लगते हैं.


देवी का यह रौद्र स्वरूप शिव के संहार स्वरूप की प्रेरणा है. मां कालरात्रि दुष्टों का विनाश और ग्रह बाधाओं को दूर करने वाली हैं. जिससे भक्त भयमुक्त हो जाते हैं. देवी का आभार इस मंत्र से प्रकट करें. 

एक वेणी जपाकर्णपूरा नग्ना खरास्थिता।

लम्बोष्ठी कर्णिकाकणी तैलाभ्यक्तशरीरणी।।

वामपादोल्लसल्लोहलताकण्टक भूषणा।

वर्धनमूर्धध्वजा कृष्णा कालरात्रिर्भयड्करी।।

 

अष्टम महागौरीः पुण्यतेज स्वरूप 

मां दुर्गा का यह आठवां स्वरूप आठवें दिन पूजित होता है. यह धवल वर्ण के वस्त्र धारण करने वाली और गौर वर्ण की देवी हैं इसलिए महागौरी कहलाती हैं. देवी का यह स्वरूप शिवप्रिया स्वरूप है जो उनके साथ कैलाश में विराजित हैं.



अभय देने वाली, दया व ममता की मूर्ति और पुण्य फल देने वाली देवी शक्ति अमोघ और फलदायिनी है. इनकी उपासना से भक्तों के सभी पाप धुल जाते हैं. देवी की उपासना इस मंत्र से करें. 



श्वेते वृषे समरूढ़ा श्वेताम्बरधरा शुचिः।

महागौरी शुभं दद्यान्महादेवप्रमोददा।।



 नवम सिद्धिदात्रीः सिद्धियां प्रदान करने वाली 

मां दुर्गा की नौवीं शक्ति सिद्धिदात्री सभी सिद्धियों की अधिष्ठाता हैं. नाम से स्पष्ट है ये सभी प्रकार की सिद्धियों को प्रदान करने वाली हैं. नव दुर्गाओं में मां सिद्धिदात्री अंतिम हैं. इनकी उपासना के बाद भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूर्ण हो जाती हैं.


देवी के लिए बनाए नैवेद्य की थाली में भोग का सामान रखकर प्रार्थना करनी चाहिए. वीर हनुमान को देवी कृपा से ही आठों सिद्धियां और नव निधियों का वरदान प्राप्त हुआ था. देवी की उपासना इस मंत्र से कीजिए.

सिद्धगन्धर्वयक्षाद्यैरसुरैरमरैरपि।

सेव्यामाना सदा भूयात सिद्धिदा सिद्धिदायिनी।।

9.07.2021

प्राचीन भारत की प्रमुख व्युह रचनाएं कितनी थी ? व्यूह रचनाओं को किस तरह निर्माण किया जाता था ?

 🚩🚩 प्राचीन महाभारत की प्रमुख व्युह रचनाएं 🚩🚩


“महाभारत” एक ऐसा महाग्रंथ है जिसमे निहित ज्ञान आज भी प्रासंगिक है| इसमें बताये गए युद्ध के १८ दिनों में तरह तरह की रणनीतिया और व्यूह रचे गए थे | जैसे अर्धचंद्र, वज्र, और सबसे अधिक प्रसिद्ध चक्रव्यूह |



आखिर कैसे दिखते थे, कैसे निर्माण होता था इन व्यूहों का??  कैसा था चक्र व्यूह? यह सब जानने के लिए निम्नलिखित लेख पढ़े.........


🔸 #वज्र_व्यूह 🚩



महाभारत युद्ध के प्रथम दिन अर्जुन ने अपनी सेना को इस व्यूह के आकार में सजाया था| इसका आकार देखने में इन्द्रदेव के वज्र जैसा होता था अतः इस प्रकार के व्यूह को "वज्र व्यूह" कहते हैं|


🔸 #क्रौंच_व्यूह 🚩



क्रौंच एक पक्षी होता है, जिसे आधुनिक अंग्रेजी भाषा में Demoiselle Crane कहते हैं| ये सारस की एक प्रजाति है| इस व्यूह का आकार इसी पक्षी की तरह होता है| युद्ध के दूसरे दिन युधिष्ठिर ने पांचाल पुत्र को इसी क्रौंच व्यूह से पांडव सेना सजाने का सुझाव दिया था| राजा द्रुपद इस पक्षी के सिर की तरफ थे, तथा कुन्तीभोज इसकी आँखों के स्थान पर थे| आर्य सात्यकि की सेना इसकी गर्दन के स्थान पर थी| भीम तथा पांचाल पुत्र इसके पंखो (Wings) के स्थान पर थे| द्रोपदी के पांचो पुत्र तथा आर्य सात्यकि इसके पंखो की सुरक्षा में तैनात थे| इस तरह से हम देख सकते है की, ये व्यूह बहुत ताकतवर एवं असरदार था| पितामह भीष्म ने स्वयं इस व्यूह से अपनी कौरव सेना सजाई थी| भूरिश्रवा तथा शल्य इसके पंखो की सुरक्षा कर रहे थे| सोमदत्त, अश्वत्थामा, कृपाचार्य और कृतवर्मा इस पक्षी के विभिन्न अंगों का दायित्व संभाल रहे थे|


🔸 #अर्धचन्द्र_व्यूह 🚩



इसकी रचना अर्जुन ने कौरवों के गरुड़ व्यूह के प्रत्युत्तर में की थी| पांचाल पुत्र ने इस व्यूह को बनाने में अर्जुन की सहायता की थी| इसके दाहिने तरफ भीम थे

 

🔸 #मंडल_व्यूह 🚩



भीष्म पितामह ने युद्ध के सांतवे दिन कौरव सेना को इसी मंडल व्यूह द्वारा सजाया था| इसका गठन परिपत्र रूप में होता था| ये बेहद कठिन व्यूहों में से एक था, पर फिर भी पांडवों ने इसे वज्र व्यूह द्वारा भेद दिया था| इसके प्रत्युत्तर में भीष्म ने "औरमी व्यूह" की रचना की थी; इसका तात्पर्य होता है समुद्र| ये समुद्र की लहरों के समान प्रतीत होता था| फिर इसके प्रत्युत्तर में अर्जुन ने "श्रीन्गातका व्यूह" की रचना की थी| ये व्यूह एक भवन के समान दिखता था|


🔸 #चक्रव्यूह 🚩



इसके बारे में सभी ने सुना है... इसकी रचना गुरु द्रोणाचार्य ने युद्ध के तेरहवें दिन की थी| दुर्योधन इस चक्रव्यूह के बिलकुल मध्य (Centre) में था| बाकि सात महारथी इस व्यूह की विभिन्न परतों (layers) में थे| इस व्यूह के द्वार पर जयद्रथ था| सिर्फ अभिमन्यु ही इस व्यूह को भेदने में सफल हो पाया| पर वो अंतिम द्वार को पार नहीं कर सका तथा बाद में ७ महारथियों द्वारा उसकी हत्या कर दी गयी|


🔸 #चक्रशकट_व्यूह 🚩


अभिमन्यु की हत्या के


पश्चात जब अर्जुन, जयद्रथ के प्राण लेने को उद्धत हुए, तब गुरु द्रोणाचार्य ने जयद्रथ की रक्षा के लिए युद्ध के चौदहवें दिन इस व्यूह की रचना की थी !!


साभार....

9.04.2021

VLE किसी को एक रूपया दिये E-Shram Portal पर अपने Id से लॉगिन करें बिना एक रूपये कमीशन दिये

 E-Shram Card बनाने के लिए VLE अब न हो परेशान आ गया है समाधान !

Csc Vle सोंच रहे हैं ये कैसे बनाउं मतलब ESHRAM कार्ड




जी हाँ VLE दोस्तों आपने सही पढ़ा आपको बस एक छोटी सी मेहनत करने की जरूरत है 

निचे दिये गये लिंक में कुछ बदलाव करना है बस हो गया आपका काम

9.03.2021

What Is E-shram Card (Labour Card) असंगठित कामगार को क्या लाभ होगा ? मैंने अपना पंजीकृत मोबाइल नंबर खो दिया है। मैं अपना मोबाइल नंबर कैसे अपडेट कर सकता हूं ?

असंगठित कामगार को क्या लाभ होगा ?

सीएससी 

             देश भर में अपने जन सेवा केंद्र के माध्यम 3.50 लाख से अधिक केन्द्रों के राष्ट्रव्यापी नेटवर्क के माध्यम से सम्पूर्ण देश में डिजिटल इंडिया मिशन के अंतर्गत विभिन्न सेवाओं की प्रदायगी कर रही है। सीएससी-एसपीवी पीएम-एसवाईएम और एनपीएस-ट्रेडर्स योजनाओं के लिए नामांकन एजेंसी के रूप में कार्य कर रही है। राज्य सरकारों के अलावा सीएससी-एसपीवी भी एनडीयूडब्ल्यू परियोजना के लिए नामांकन एजेंसी के रूप में कार्य करेगी।

डाक विभाग (डाकघरो के माध्यम से) [INDIA POST]
डाक विभाग के अंतर्गत लगभग 1.55 लाख डाकघर हैं और वे पहले से ही पूरे भारत में आधार संबंधी सेवाएं प्रदान कर रहे हैं। वे भी सीएससी-एसपीवी की तरह ही नामांकन एजेंसी के रूप में कार्य करेंगे।
एनपीसीआई [ NPCI ]
एनसीपीआई असंगठित कामगारों के बैंक खाते के सत्यापन और एनडीयूडब्ल्यू पोर्टल के माध्यम से बैंक खातों को आधार से जोड़ने के लिए एपीआई उपलब्ध कराएगा।
यूआईडीएआई [ UIDAI ]
यूआईडीएआई इस परियोजना का एक महत्वपूर्ण भागीदार है। यह श्रम और रोजगार मंत्रालय को आधार के माध्यम से असंगठित कामगारों का सत्यापन करने में समर्थ बनाएगा और आधार आधारित पंजीकरण प्रक्रिया पूर्ण करने के लिए एनडीयूडब्लयू पोर्टल के साथ महत्वपूर्ण सूचनाएं साझा करने और समय-समय पर यथा आवश्यक अन्य संबंधित सहायता प्रदान करेगा।  

Official website : E-Shram (labour Card) Apply

                           जनता के प्रश्न और सरकार के जवाब 

        

सावल - 👉     ईश्रम पर पंजीकरण करने के लिए किन आवश्यक दस्तावेजों की आवश्यकता होती है?

उत्तर - 👉    पंजीकरण करने के लिए निम्नलिखित दस्तावेज आवश्यक हैं- • आधार संख्या • मोबाइल नंबर, आधार संबद्ध • बैंक खाता टिप्पणी - यदि किसी कामगार के पास आधार संबद्ध मोबाइल नंबर नहीं है, तो वह निकटतम सीएससी पर जा सकता/सकती है और बायोमेट्रिक प्रमाणीकरण के माध्यम से पंजीकरण कर सकता/सकती है। .

सावल - 👉    कामगार को क्या लाभ होगा जब वह ईश्रम पोर्टल पर पंजीकरण करेगा?

उत्तर - 👉     पंजीकरण के बाद, उन्हें पीबीएसबीवाई के तहत 2 लाख का दुर्घटना बीमा कवर मिलेगा। भविष्य में, असंगठित कामगारों के सभी सामाजिक सुरक्षा लाभ इस पोर्टल के माध्यम से प्रदान किए जाएंगे। आपातकालीन और राष्ट्रीय महामारी जैसी स्थितियों में, पात्र असंगठित कामगारों को आवश्यक सहायता प्रदान करने के लिए इस डेटाबेस का उपयोग किया जाएगा।

सावल - 👉    पंजीकरण के बाद कामगार के बैंक खाते से कोई कटौती होगी?

उत्तर - 👉     नहीं। सामाजिक सुरक्षा योजनाओं के अंतर्गत लाभों या केंद्र/राज्य सरकार द्वारा प्रदाय अन्य लाभों की सीधे कामगार के खाते में प्रदायगी सुनिश्चित करने के लिए बैंक विवरण प्राप्त किए जा रहे हैं।

सावल - 👉    ईश्रम कार्ड की कोई वैधता अवधि है?

उत्तर - 👉     यह एक स्थायी संख्या है और जीवन भर के लिए मान्य है

सावल - 👉    कामगार कौन-कौन से विवरण अपडेट कर सकते हैं?

उत्तर - 👉    कामगार ईश्रम पोर्टलों पर जाकर या निकटतम सीएससी के " जन सेवा केंद्र " माध्यम से अपना विस्तृत ब्यौरा जैसे मोबाईल नंबर, वर्तमान पता, व्यवसाय, शैक्षिक योग्यता, कौशल के प्रकार, पारिवारिक विवरण आदि अपडेट कर सकते है।
👍    

सावल - 👉   व्यवसाय की पहचान कैसे की जाती है? 

उत्तर - 👉     पंजीकरण के समय कामगारों को व्यवसाय का चुनाव करना आवश्यक है। पहले स्तर पर कामगार को क्षेत्र का चुनाव करना होगा, जो विस्तृत श्रेणी है जिसके तहत व्यवसाय आता है, जोकि चुनिंदा क्षेत्रों से संबंधित है। दूसरे स्तर पर यूजर को केवल समबंधित कार्य कोड चुनने के लिए मिलेंगे। कामगारों को समबंधित कार्य कोड का चयन करना होगा और जोकि कामगारों के लिए प्रतिचित्रित किया जाएगा।

सावल - 👉    नामांकन केंद्र में कौन कौन से दस्तावेज़ जमा किए जाने होंगे?

उत्तर - 👉     उन्हे बैंक खाते के ब्यौरे के साथ अपना आधार कार्ड/संख्या साथ रखना होगा।

सावल - 👉    पेशा क्या है?



उत्तर - 👉     किसी व्यक्ति का सामान्य या प्रमुख कार्य या व्यवसाय, विशेष रूप से जीविकोपार्जन के साधन के रूप में, पेशा कहलाता है।

रोजगार योजनाएं
पात्रता
भारतीय नागरिक होना चाहिए
कोई भी व्यक्ति जो 18 वर्ष से अधिक आयु का है और ग्रामीण क्षेत्रों में रहता है, कार्य हेतु आवेदन करने का हकदार है।
लाभ
प्रति वर्ष प्रति परिवार 100 दिनों की सीमा के अध्यधीन, किए गए आवेदनों के लिए आवेदक, 15 दिनों के भीतर काम करने का हकदार है।.
नियम और नीतियों के अनुसार वेतन दर में संशोधन किया गया है.
दीन दयाल उपाध्याय– ग्रामीण कौशल्य योजना
पात्रता
 
भारतीय नागरिक होना चाहिए.
15 से 35 वर्ष की आयु के बीच के व्यक्ति प्रशिक्षण कार्यक्रमों के लिए पात्र हैं।.
महिलाओं और अन्य कमजोर समूहों जैसे निःशक्त व्यक्तियों के लिए, ऊपरी आयु सीमा में छूट देकर इसे 45 वर्ष किया गया है।.
लाभ
 
दीन दयाल उपाध्याय– ग्रामीण कौशल्य योजना (DDU-GKY) का उद्देश्य गरीब ग्रामीण युवाओं को कौशल प्रदान करना और उन्हें नियमित मासिक मजदूरी या न्यूनतम मजदूरी से ऊपर की नौकरी प्रदान करना है।.
 
दीन दयाल उपाध्याय अंत्योदय योजना
पात्रता
 
कौशल संबंधी प्रशिक्षण प्राप्त करने हेतु इच्छुक कोई भी भारतीय नागरिक।
लाभ
 
इस योजना का उद्देश्य गरीबों को वित्तपोषण और सहायता प्रदान करके कौशल और स्व-व्यवसाय को बढ़ाना है।
पीएम स्वनिधि
पात्रता
 
भारतीय नागरिक होना चाहिए
फेरीवाले जिनके पास शहरी स्थानीय निकायों (ULB) द्वारा जारी किए गए वेंडिंग प्रमाण-पत्र/ पहचान-पत्र हैं;
फेरीवाले, जिनकी सर्वेक्षण में पहचान की गई है, लेकिन उन्हें वेंडिंग प्रमाण-पत्र/ पहचान पत्र जारी नहीं किया गया है।
लाभ
 
10,000 रुपये तक कार्यशील पूंजी ऋण की सुविधा प्रदान करना।
नियमित चुकौती को प्रोत्साहित करना।
डिजिटल लेनदेन को प्रोत्साहित करना।
प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना
पात्रता
 
भारतीय नागरिक होना चाहिए
12वीं कक्षा छोड़ने वाले या 10वीं पास छात्र अपने कौशल को विकसित करने के लिए पीएमकेवीवाई में नामांकन कर सकते हैं।
भारतीय राष्ट्रीयता वाले किसी भी उम्मीदवार जिसकी आयु 18-45 वर्ष के बीच होके लिए लागू होगा।
लाभ
 
युवाओं के लिए उपलब्ध कौशल मार्ग पर अवगत विकल्प बनाने के लिए एक पारिस्थितिकी तंत्र सृजित करना।
कौशल प्रशिक्षण और प्रमाणन के लिए युवाओं को सहायता प्रदान करना।
निजी क्षेत्र की अधिक से अधिक भागीदारी के लिए स्थायी कौशल केंद्रों को प्रोत्साहितकरना।
प्रधान मंत्री रोजगार सृजन कार्यक्रम
पात्रता
 
भारतीय नागरिक होना चाहिए।
कोई भी व्यक्ति, जिसकी आयु 18 वर्ष से अधिक हो।
विनिर्माण क्षेत्र में10 लाख रुपये और व्यापार/सेवा क्षेत्र में 5 लाख रूपये से अधिक लागत वाली परियोजनाओं में कार्य करने हेतु कम से कम आठवीं कक्षा उत्तीर्ण।