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1. शुरुआत में योग करते समय हमेशा योग विशेषज्ञ के देखरेख में ही योग करे और पूर्णतः प्रशिक्षित होने के बाद ही अकेले योग करे। 2. योग से जुड़ा कोई भी प्रश्न मन में हो तो विशेषज्ञ से जरूर पूछे। 3. योग करना का सबसे बेहतर समय सुबह का होता हैं। सुबह सूर्योदय होने के आधा घंटे पहले से लेकर सूर्योदय होने के 1 घंटे बाद तक का समय विशेष लाभदायक होता हैं। 4. सुबह योग करने से पहले आपका पेट साफ होना आवश्यक हैं। 5. नहाने के 20 मिनिट पहले या बाद में योग नहीं करटे बाद ही करे।

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क्यों है सावन की विशेषता?

हिन्दू धर्म की पौराणिक मान्यता के अनुसार सावन महीने को देवों के देव महादेव भगवान शंकर का महीना माना जाता है। इस संबंध में पौराणिक कथा है कि जब सनत कुमारों ने महादेव से उन्हें सावन महीना प्रिय होने का कारण पूछा तो महादेव भगवान शिव ने बताया कि जब देवी सती ने अपने पिता दक्ष के घर में योगशक्ति से शरीर त्याग किया था, उससे पहले देवी सती ने महादेव को हर जन्म में पति के रूप में पाने का प्रण किया था। अपने दूसरे जन्म में देवी सती ने पार्वती के नाम से हिमाचल और रानी मैना के घर में पुत्री के रूप में जन्म लिया। पार्वती ने युवावस्था के सावन महीने में निराहार रह कर कठोर व्रत किया और उन्हें प्रसन्न कर विवाह किया, जिसके बाद ही महादेव के लिए यह विशेष हो गया।

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8.29.2020

कोइ भी बैंक लोन पाँच मिनट में आपको दे देगा बस करें ये काम ? बैंक से लोन लेने के लिए जरूर करें ये काम ?

 

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*सिबिल पहला और सबसे बड़ा क्रेडिट इंफॉर्मेशन ब्यूरो है - जिसकी स्थापना 2000 में हुई थी RBI द्वारा •
*सिबिल  एक कंपनी है जो बैंकों, ऋण से उधारकर्ताओं के क्रेडिट इतिहास पर जानकारी एकत्र करती है(बैंक संस्थानों और क्रेडिट कार्ड कंपनियों का)•

Civil score kya hai ? Civil kaise chek karen ?

आप सभी को छात्रों के लिए पैन कार्ड के बारे में जानना चाहिए

 आप सभी को छात्रों के लिए पैन कार्ड के बारे में जानना चाहिए


स्थायी खाता संख्या PAN NUMBER जिसे आमतौर पर पैन कहा जाता है, भारत के पहचान प्रमाण के आधिकारिक दस्तावेजों में से एक है!

आप सभी को छात्रों के लिए पैन कार्ड के बारे में जानना चाहिए


जो सभी आय-प्राप्त व्यक्तियों या गैर-व्यक्तियों द्वारा उपयोग किया जाता है।  साथ ही, यह उन छात्रों द्वारा आगे पहुँचा जा सकता है जो 18 वर्ष से अधिक उम्र के हैं।  भारत सरकार ने सभी व्यक्तियों के लिए पैन कार्ड रखना अनिवार्य कर दिया है जिसमें छात्रों के लिए भी पैन कार्ड शामिल है।  यह एक पहचान प्रमाण के रूप में कार्य कर सकता है और इसका उपयोग छात्रों को घरेलू या विदेश में अध्ययन करने के लिए शिक्षा ऋण लेने के लिए भी किया जा सकता है।


जैसा कि पैन कार्ड वयस्कों और नाबालिगों दोनों के पास हो सकता है, छात्रों के लिए पैन कार्ड स्कूल पहचान पत्र के वैकल्पिक पहचान प्रमाण के रूप में कार्य कर सकता है।  इसलिए, छात्रों को पैन कार्ड जारी करने की सलाह दी जाती है क्योंकि यह भविष्य के दृष्टिकोण से बहुत महत्वपूर्ण है।


यहां बताया गया है कि छात्र पैन कार्ड के लिए ऑनलाइन आवेदन कैसे कर सकते हैं

 पैन कार्ड छात्रों के लिए बेहतर जीवन पाने के लिए कई लाभ के साथ आता है और भविष्य की संभावना से भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।  पैन कार्ड भारत के आयकर विभाग द्वारा केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड की देखरेख में जारी किया जाता है।  पैन कार्ड की ऑनलाइन प्रक्रिया के लिए, यूटीआईआईटीएसएल और एनएसडीएल छात्रों के लिए आवेदन करने के लिए सबसे प्रामाणिक प्लेटफार्म हैं।  नीचे बताए गए चरणों का पालन करना आवश्यक है


Step1: NSDL या UTIISL की वेबसाइट पर जाएं


 https://tin.tin.nsdl.com/pan/index.html या http://www.myutiitsl.com/PANONLINE


 चरण 2: यदि आप एक नए आवेदक हैं, तो आपको फॉर्म 49 ए भरना होगा।  आवश्यक जानकारी को ध्यान से भरने और समान जमा करने के बाद, आवेदक को 15 अंकों का एक पावती नंबर प्राप्त होगा।  आवेदक को भविष्य के कदमों के लिए मुद्रित फॉर्म को सहेजने और प्राप्त करने की आवश्यकता है।

 चरण 3: आवेदक को पैन कार्ड के प्रसंस्करण के लिए शुल्क जमा करना होगा।  यदि आवेदक भारत का है, तो उन्हें Application 110 [आवेदन शुल्क + 93.00 + 18.00% GST] का भुगतान करने की आवश्यकता है और भारत के बाहर आवेदन करने वाले छात्रों को [1020 [आवेदन शुल्क .00 93.00 + 18.00% GST / डिस्पैच चार्ज ₹ 771.00] का भुगतान करने की आवश्यकता है।  पैन कार्ड जारी करने के लिए भुगतान को मुंबई में देय डेबिट / क्रेडिट कार्ड या डिमांड ड्राफ्ट के माध्यम से संसाधित किया जा सकता है

 चरण 4: अपने दो-हाल के पासपोर्ट आकार के फोटो को आवश्यक हस्ताक्षर या अंगूठे के निशान के साथ मुद्रित फॉर्म (पावती कॉपी) के साथ संलग्न करें।  आईडी प्रूफ, एड्रेस प्रूफ, जन्मतिथि का प्रमाण और पैन के भुगतान का प्रमाण संलग्न करें और इसे आयकर विभाग को भेजें।


चरण 5: सफल प्रस्तुत करने के बाद, आवेदक को यह सुनिश्चित करना होगा कि वह फॉर्म जमा करने के 15 दिनों के भीतर आयकर कार्यालय पहुंच जाए।




 चरण 6: आयकर कार्यालय पहुंचने के बाद, यह केवल आयकर विभाग द्वारा CBDT की देखरेख में जारी किया जाएगा।




 आवेदक अपने पैन को उसी प्रक्रिया से अपडेट करवा सकते हैं।  आवेदक को प्रक्रिया को निष्पादित करने के लिए "पैन विवरण में परिवर्तन या सुधार" पर क्लिक करने की आवश्यकता है।  अगर यूटीआईआईटीएसएल या एनएसडीएल की वेबसाइट पर जाकर आवेदक अपना नाम बदल सकता है, तो गलत पता या पता या जन्मतिथि पा सकता है।


छात्र ऑफलाइन के लिए पैन कार्ड लागू करने की प्रक्रिया


 वे छात्र जो पैन कार्ड रखने के इच्छुक हैं, लेकिन ऑनलाइन सुविधा के बारे में नहीं जानते हैं, वे ऑफ़लाइन काम कर सकते हैं।  भारत में रहने के लिए आवेदकों को समान फॉर्म 49A भरना होगा।  पैन कार्ड प्राप्त करने के इच्छुक कई व्यक्तियों द्वारा पारंपरिक कागजी पद्धति का पालन किया जाता है।  नीचे छात्रों के लिए पैन कार्ड ऑफ़लाइन लागू करने के चरण दिए गए हैं:

 चरण 1: NSDL या UTIITSL की वेबसाइट से फॉर्म 49A की एक प्रति डाउनलोड करें


Step 2: Depending on the age at the time of applying the form, tick the option for a Minor PAN card as given in the form.


Step 3: Carefully fill the form and submit along with the documents required and duly signed or with thumb impression at the nearest TIN facilitation center.


Step 4: You will receive an acknowledgment copy from the center and PAN card will be issued by the Income Tax Department of India after the application is verified and processed by the concerned authorities.


Credit Score affects your Loan & Credit Card Eligibility


Check Now


Documents required for possessing PAN Card for Students

For availing PAN Card, students should carry following documents:


Passport-sized photograph

Proof of Identity-

Students can submit any of the following documents as a proof of identity:


Passport Copy

Aadhaar Card Copy

Driving Licence Copy

Voter ID copy

Ration Card Copy

Bank Certificate duly signed by Branch Manager

Proof Of Address –

Any one of the following documents can be submitted by students as a Proof of Address:


Passport Copy

Aadhaar Card Copy

Driving Licence Copy

Voter ID copy

Ration Card Copy

Bank Certificate duly signed by Branch Manager

Bank Account Statement (Not more than 3 months)

Electricity/Gas connection/ Telephone Bill (Not more than 3 months)

Post office pass book containing the applicant’s address

Credit Card Statement

Benefits of Having PAN Card for Students

1. Proof of Identity: PAN card act as an official document for identification proof that one belongs to country of India. It is one of the universally accepted proof both by government institutions as well as private institutions.


2. Applying for loan: Many of the students who want to study further or want to go abroad and suffer from financial crisis, can use PAN card for raising loan from banks or any financial institutions. For getting loans PAN card requirement is a must.


3. Validity: Once a student applies for PAN card, it goes unchanged and does not require any change or replacement. This document individuals to link all their financial transactions through one single identity card.

8.24.2020

हिन्दुओं के साथ विश्वासघात भारत एक और विभाजन के कगार पर

 भारत का विभाजन हिन्दुओं के साथ महाविनाशकारी और विश्वासघात किया गया !

विश्वासघात


  हिन्दुओं के साथ 

   विश्वासघात PDF BOOK

DOWNLOAD 👆 के लिए क्लिक करें

भारत एक और विभाजन के कगार पर



कन्हैयालाल एम तलरेजा आर.एस. स्वामीनारायण द्वारा लिखित



Kyon Kosta Hai Khud Ko | क्यों कोसता है खुद को

 😴 😴 👉  Night Story 👈 😴 😴


       🙏 क्यों कोसता है खुद को🙏


✍ संतों की एक सभा चल रही थी...


किसी ने एक दिन एक घड़े में गंगाजल भरकर वहां रखवा दिया ताकि संत जन जब प्यास लगे तो गंगाजल पी सकें...


संतों की उस सभा के बाहर एक व्यक्ति खड़ा था. उसने गंगाजल से भरे घड़े को देखा तो उसे तरह-तरह के विचार आने लगे...


वह सोचने लगा- अहा ! यह घड़ा कितना भाग्यशाली है...???


एक तो इसमें किसी तालाब पोखर का नहीं बल्कि गंगाजल भरा गया और दूसरे यह अब सन्तों के काम आयेगा... । संतों का स्पर्श मिलेगा, उनकी सेवा का अवसर मिलेगा. ऐसी किस्मत किसी किसी की ही होती है...


घड़े ने उसके मन के भाव पढ़ लिए और घड़ा बोल पड़ा- बंधु मैं तो मिट्टी के रूप में शून्य पड़ा सिर्फ मिट्टी का ढेर था...


किसी काम का नहीं था. कभी ऐसा नहीं लगता था कि भगवान् ने हमारे साथ न्याय किया है...


फिर एक दिन एक कुम्हार आया. उसने फावड़ा मार-मारकर हमको खोदा और मुझे बोरी में भर कर गधे पर लादकर अपने घर ले गया ।


वहां ले जाकर हमको उसने रौंदा, फिर पानी डालकर गूंथा, चाकपर चढ़ाकर तेजी से घुमाया, फिर गला काटा, फिर थापी मार-मारकर बराबर किया । बात यहीं नहीं रूकी, उसके बाद आंवे के आग में झोंक दिया जलने को...


इतने कष्ट सहकर बाहर निकला तो गधे पर लादकर उसने मुझे बाजार में भेजने के लिए लाया गया . वहां भी लोग मुझे ठोक-ठोककर देख रहे थे कि ठीक है कि नहीं ?


ठोकने-पीटने के बाद मेरी कीमत लगायी भी तो क्या- बस 20 से 30 रुपये...


मैं तो पल-पल यही सोचता रहा कि हे ईश्वर सारे अन्याय मेरे ही साथ करना था...


रोज एक नया कष्ट एक नई पीड़ा देते हो. मेरे साथ बस अन्याय ही अन्याय होना लिखा है...


लेकिन ईश्वर की योजना कुछ और ही थी,


किसी सज्जन ने मुझे खरीद लिया और जब मुझमें गंगाजल भरकर सन्तों की सभा में भेज दिया...


तब मुझे आभास हुआ कि कुम्हार का वह फावड़ा चलाना भी उसकी☝ की कृपा थी...


उसका मुझे वह गूंथना भी उसकी ☝ की कृपा थी...


मुझे आग में जलाना भी उसकी☝ की मौज थी...


और...


बाजार में लोगों के द्वारा ठोके जाना भी भी उसकी☝ ही मौज थी...


अब मालूम पड़ा कि मुझ पर सब उस परमात्मा की कृपा ही कृपा थी... 😇


👉 दरसल बुरी परिस्थितिया हमें इतनी विचलित कर देती हैं कि हम उस परमात्मा के अस्तित्व पर भी प्रश्न उठाने लगते हैं और खुद को कोसने लगते हैं , क्यों हम सबमें शक्ति नहीं होती उसकी लीला समझने की...


कई बार हमारे साथ भी ऐसा ही होता है हम खुद को कोसने के साथ परमात्मा पर ऊँगली उठा कर कहते हैं कि उसने☝ ने मेरे साथ ही ऐसा क्यों किया ,


क्या मैं इतना बुरा हूँ ? और मलिक ने सारे दुःख तकलीफ़ें मुझे ही क्यों दिए । 😭


🙏 लेकिन सच तो ये है मालिक  उन तमाम पत्थरों की भीड़ में से तराशने के लिए एक आप को चुना । अब तराशने में तो थोड़ी तकलीफ तो झेलनी ही पड़ती है।


आपकी जिंदगी बदल रहा है यह चैनल जुड़े रहे जोड़ते रहे और बेहतर समाज का निर्माण करते रहे। 💞


😴😴😴😴😴😴😴😴😴😴😴

Aaj Ka Hindu Panchang | आज का हिन्दू पंचांग

🌞 ~ *आज का हिन्दू पंचांग* ~ 🌞

⛅ *दिनांक 24 अगस्त 2020*

⛅ *दिन - सोमवार*

⛅ *विक्रम संवत - 2077 (गुजरात - 2076)*

⛅ *शक संवत - 1942*

⛅ *अयन - दक्षिणायन*

⛅ *ऋतु - शरद*

⛅ *मास - भाद्रपद*

⛅ *पक्ष - शुक्ल* 

⛅ *तिथि - षष्ठी दोपहर 02:31 तक तत्पश्चात सप्तमी*

⛅ *नक्षत्र - स्वाती शाम 03:20 तक तत्पश्चात विशाखा*

⛅ *योग - ब्रह्म रात्रि 12:30 तक तत्पश्चात इन्द्र*

⛅ *राहुकाल - सुबह 07:45 से सुबह 09:20 तक* 

⛅ *सूर्योदय - 06:21* 

⛅ *सूर्यास्त - 19:00* 

⛅ *दिशाशूल - पूर्व दिशा में*

⛅ *व्रत पर्व विवरण - सूर्य षष्ठी*

 💥 *विशेष - षष्ठी को नीम की पत्ती, फल या दातुन मुँह में डालने से नीच योनियों की प्राप्ति होती है।(ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)*

               🌞 *~ हिन्दू पंचांग ~* 🌞


🌷 *लक्ष्मी प्रप्ति व्रत* 🌷

➡ *25 अगस्त 2020 मंगलवार से महालक्ष्मी व्रत प्रारंभ*

🙏🏻 *भाद्रपद शुक्ल अष्टमी से आश्विन कृष्ण अष्टमी तक घर में अगर कोई महालक्ष्मी माता का पूजन करे और रात को चन्द्रमा को अर्घ्य दे तो उस के घर में लक्ष्मी बढ़ती जाती है…*

➡ *इस वर्ष ये योग 25 अगस्त 2020 मंगलवार से 10 सितम्बर 2020 गुरुवार तक है…*

🙏🏻 *1) महालक्ष्मी का पूजन करें .*

🌙 *2)रात को चन्द्रमा को अर्घ्य देना कच्चे दूध(थोडासा) से फिर पानी से.. .*

🙏🏻 *3)महालक्ष्मी का मन्त्र जप करना.*

🌷 *ॐ श्रीं नमः*

🌷 *ॐ विष्णु प्रियाय नमः*

🌷 *ॐ महा लक्ष्मै नमः*

➡ *इन में से कोई भी एक जप करे..*

🙏🏻 

             🌞 *~ हिन्दू पंचांग ~* 🌞


🌷 *घर में सदैव आर्थिक परेशानी रहती है तो* 🌷

🙏🏻 *स्कंदपुराण और दूसरे ग्रंथों में बात आयी है कि जिन लोगों के घर में सदैव आर्थिक परेशानी रहती है उनके लिए भाद्र शुक्ल अष्टमी (25 अगस्त, मंगलवार) के दिन से लेकर आश्विन कृष्ण अष्टमी (गुजरात एवं महाराष्ट्र अनुसार भाद्रपद कृष्ण अष्टमी) माने 10 सितम्बर, गुरुवार तक महालक्ष्मी माता का पूजन विधान स्कंदपुराण, आदि ग्रंथो में बताया गया है और इस सरल विधान के अनुसार 17 दिनों में - 25 अगस्त से 10 सितम्बर तक नित्य प्रात: लक्ष्मी माता का सुमिरन करते हुए – ॐ लक्ष्‍मयै नम: ॐ लक्ष्‍मयै नम: ॐ लक्ष्‍मयै नम: मंत्र का 16 बार प्रति दिन जप करें और फिर लक्ष्मीमाता का पूजन करते हुए एक श्लोक पाठ करें  । इससे समय, शक्ति खर्च नहीं होगी उल्टा  पुण्य भी  बढ़ेगा | श्लोक इस प्रकार है-*

🌷 *धनं धान्यं धराम हरम्यम, कीर्तिम आयुर्यश: श्रीयं,*

*दुर्गां दंतीन: पुत्रां, महालक्ष्मी प्रयच्‍छ मे '*

 *"ॐ श्री महालक्ष्मये नमः" "ॐ श्री महालक्ष्मये नमः"*

🙏🏻 


             🌞 *~ हिन्दू पंचांग ~* 🌞

🙏🍀🌷🌻🌺🌸🌹🍁🙏🚩🚩 *" ll जय श्री राम ll "* 🚩🚩


🙏🏻🚩🇮🇳🔱🏹🐚🕉

8.23.2020

भारत के इस काव्य को ‘अनुलोम-विलोम काव्य’ भी कहा जाता है। सिधा पढ़े राम और उल्टा पढ़े तो कृष्ण कथा ?

 अति दुर्लभ एक ग्रंथ ऐसा भी है हमारे सनातन धर्म मे

इसे तो सात आश्चर्यों में से पहला आश्चर्य माना जाना चाहिए ---


*यह है दक्षिण भारत का एक ग्रन्थ*


क्या ऐसा संभव है कि जब आप किताब को सीधा पढ़े तो राम कथा के रूप में पढ़ी जाती है और जब उसी किताब में लिखे शब्दों को उल्टा करके पढ़े

तो कृष्ण कथा के रूप में होती है ।


जी हां, कांचीपुरम के 17वीं शदी के कवि वेंकटाध्वरि रचित ग्रन्थ "राघवयादवीयम्" ऐसा ही एक अद्भुत ग्रन्थ है।


इस ग्रन्थ को

‘अनुलोम-विलोम काव्य’ भी कहा जाता है। पूरे ग्रन्थ में केवल 30 श्लोक हैं। इन श्लोकों को सीधे-सीधे

पढ़ते जाएँ, तो रामकथा बनती है और

विपरीत (उल्टा) क्रम में पढ़ने पर कृष्णकथा। इस प्रकार हैं तो केवल 30 श्लोक, लेकिन कृष्णकथा (उल्टे यानी विलोम)के भी 30 श्लोक जोड़ लिए जाएँ तो बनते हैं 60 श्लोक।

Anulom-vilom


पुस्तक के नाम से भी यह प्रदर्शित होता है, राघव (राम) + यादव (कृष्ण) के चरित को बताने वाली गाथा है ~ "राघवयादवीयम।"


उदाहरण के तौर पर पुस्तक का पहला श्लोक हैः


वंदेऽहं देवं तं श्रीतं रन्तारं कालं भासा यः ।

रामो रामाधीराप्यागो लीलामारायोध्ये वासे ॥ १॥


अर्थातः

मैं उन भगवान श्रीराम के चरणों में प्रणाम करता हूं, जो

जिनके ह्रदय में सीताजी रहती है तथा जिन्होंने अपनी पत्नी सीता के लिए सहयाद्री की पहाड़ियों से होते हुए लंका जाकर रावण का वध किया तथा वनवास पूरा कर अयोध्या वापिस लौटे।


अब इस श्लोक का विलोमम्: इस प्रकार है


सेवाध्येयो रामालाली गोप्याराधी भारामोराः ।

यस्साभालंकारं तारं तं श्रीतं वन्देऽहं देवम् ॥ १॥


अर्थातः

मैं रूक्मिणी तथा गोपियों के पूज्य भगवान श्रीकृष्ण के

चरणों में प्रणाम करता हूं, जो सदा ही मां लक्ष्मी के साथ

विराजमान है तथा जिनकी शोभा समस्त जवाहरातों की शोभा हर लेती है।


" राघवयादवीयम" के ये 60 संस्कृत श्लोक इस प्रकार हैं:-


राघवयादवीयम् रामस्तोत्राणि

वंदेऽहं देवं तं श्रीतं रन्तारं कालं भासा यः ।

रामो रामाधीराप्यागो लीलामारायोध्ये वासे ॥ १॥


विलोमम्:

सेवाध्येयो रामालाली गोप्याराधी भारामोराः ।

यस्साभालंकारं तारं तं श्रीतं वन्देऽहं देवम् ॥ १॥


साकेताख्या ज्यायामासीद्याविप्रादीप्तार्याधारा ।

पूराजीतादेवाद्याविश्वासाग्र्यासावाशारावा ॥ २॥


विलोमम्:

वाराशावासाग्र्या साश्वाविद्यावादेताजीरापूः ।

राधार्यप्ता दीप्राविद्यासीमायाज्याख्याताकेसा ॥ २॥


कामभारस्स्थलसारश्रीसौधासौघनवापिका ।

सारसारवपीनासरागाकारसुभूरुभूः ॥ ३॥


विलोमम्:

भूरिभूसुरकागारासनापीवरसारसा ।

कापिवानघसौधासौ श्रीरसालस्थभामका ॥ ३॥


रामधामसमानेनमागोरोधनमासताम् ।

नामहामक्षररसं ताराभास्तु न वेद या ॥ ४॥


विलोमम्:

यादवेनस्तुभारातासंररक्षमहामनाः ।

तां समानधरोगोमाननेमासमधामराः ॥ ४॥


यन् गाधेयो योगी रागी वैताने सौम्ये सौख्येसौ ।

तं ख्यातं शीतं स्फीतं भीमानामाश्रीहाता त्रातम् ॥ ५॥


विलोमम्:

तं त्राताहाश्रीमानामाभीतं स्फीत्तं शीतं ख्यातं ।

सौख्ये सौम्येसौ नेता वै गीरागीयो योधेगायन् ॥ ५॥


मारमं सुकुमाराभं रसाजापनृताश्रितं ।

काविरामदलापागोसमावामतरानते ॥ ६॥


विलोमम्:

तेन रातमवामास गोपालादमराविका ।

तं श्रितानृपजासारंभ रामाकुसुमं रमा ॥ ६॥


रामनामा सदा खेदभावे दया-वानतापीनतेजारिपावनते ।

कादिमोदासहातास्वभासारसा-मेसुगोरेणुकागात्रजे भूरुमे ॥ ७॥


विलोमम्:

मेरुभूजेत्रगाकाणुरेगोसुमे-सारसा भास्वताहासदामोदिका ।

तेन वा पारिजातेन पीता नवायादवे भादखेदासमानामरा ॥ ७॥


सारसासमधाताक्षिभूम्नाधामसु सीतया ।

साध्वसाविहरेमेक्षेम्यरमासुरसारहा ॥ ८॥


विलोमम्:

हारसारसुमारम्यक्षेमेरेहविसाध्वसा ।

यातसीसुमधाम्नाभूक्षिताधामससारसा ॥ ८॥


सागसाभरतायेभमाभातामन्युमत्तया ।

सात्रमध्यमयातापेपोतायाधिगतारसा ॥ ९॥


विलोमम्:

सारतागधियातापोपेतायामध्यमत्रसा ।

यात्तमन्युमताभामा भयेतारभसागसा ॥ ९॥


तानवादपकोमाभारामेकाननदाससा ।

यालतावृद्धसेवाकाकैकेयीमहदाहह ॥ १०॥


विलोमम्:

हहदाहमयीकेकैकावासेद्ध्वृतालया ।

सासदाननकामेराभामाकोपदवानता ॥ १०॥


वरमानदसत्यासह्रीतपित्रादरादहो ।

भास्वरस्थिरधीरोपहारोरावनगाम्यसौ ॥ ११॥


विलोमम्:

सौम्यगानवरारोहापरोधीरस्स्थिरस्वभाः ।

होदरादत्रापितह्रीसत्यासदनमारवा ॥ ११॥


यानयानघधीतादा रसायास्तनयादवे ।

सागताहिवियाताह्रीसतापानकिलोनभा ॥ १२॥


विलोमम्:

भानलोकिनपातासह्रीतायाविहितागसा ।

वेदयानस्तयासारदाताधीघनयानया ॥ १२॥


रागिराधुतिगर्वादारदाहोमहसाहह ।

यानगातभरद्वाजमायासीदमगाहिनः ॥ १३॥


विलोमम्:

नोहिगामदसीयामाजद्वारभतगानया ।

हह साहमहोदारदार्वागतिधुरागिरा ॥ १३॥


यातुराजिदभाभारं द्यां वमारुतगन्धगम् ।

सोगमारपदं यक्षतुंगाभोनघयात्रया ॥ १४॥


विलोमम्:

यात्रयाघनभोगातुं क्षयदं परमागसः ।

गन्धगंतरुमावद्यं रंभाभादजिरा तु या ॥ १४॥


दण्डकां प्रदमोराजाल्याहतामयकारिहा ।

ससमानवतानेनोभोग्याभोनतदासन ॥ १५॥

Shree

               ~ विलोमम्: ~

नसदातनभोग्याभो नोनेतावनमास सः ।

हारिकायमताहल्याजारामोदप्रकाण्डदम् ॥ १५॥


सोरमारदनज्ञानोवेदेराकण्ठकुंभजम् ।

तंद्रुसारपटोनागानानादोषविराधहा ॥ १६॥


विलोमम्:

हाधराविषदोनानागानाटोपरसाद्रुतम् ।

जम्भकुण्ठकरादेवेनोज्ञानदरमारसः ॥ १६॥


सागमाकरपाताहाकंकेनावनतोहिसः ।

न समानर्दमारामालंकाराजस्वसा रतम् ॥ १७ विलोमम्:

तं रसास्वजराकालंमारामार्दनमासन ।

सहितोनवनाकेकं हातापारकमागसा ॥ १७॥


तां स गोरमदोश्रीदो विग्रामसदरोतत ।

वैरमासपलाहारा विनासा रविवंशके ॥ १८॥


विलोमम्:

केशवं विरसानाविराहालापसमारवैः ।

ततरोदसमग्राविदोश्रीदोमरगोसताम् ॥ १८॥


गोद्युगोमस्वमायोभूदश्रीगखरसेनया ।

सहसाहवधारोविकलोराजदरातिहा ॥ १९॥


विलोमम्:

हातिरादजरालोकविरोधावहसाहस ।

यानसेरखगश्रीद भूयोमास्वमगोद्युगः ॥ १९॥


हतपापचयेहेयो लंकेशोयमसारधीः ।

राजिराविरतेरापोहाहाहंग्रहमारघः ॥ २०॥


विलोमम्:

घोरमाहग्रहंहाहापोरातेरविराजिराः ।

धीरसामयशोकेलं यो हेये च पपात ह ॥ २०॥


ताटकेयलवादेनोहारीहारिगिरासमः ।


हासहायजनासीतानाप्तेनादमनाभुवि  ॥ २१॥


विलोमम्:

विभुनामदनाप्तेनातासीनाजयहासहा ।

ससरागिरिहारीहानोदेवालयकेटता ॥ २१॥


भारमाकुदशाकेनाशराधीकुहकेनहा ।

चारुधीवनपालोक्या वैदेहीमहिताहृता ॥ २२॥


विलोमम्:

ताहृताहिमहीदेव्यैक्यालोपानवधीरुचा ।

हानकेहकुधीराशानाकेशादकुमारभाः ॥ २२॥


हारितोयदभोरामावियोगेनघवायुजः ।

तंरुमामहितोपेतामोदोसारज्ञरामयः ॥ २३॥


विलोमम्:

योमराज्ञरसादोमोतापेतोहिममारुतम् ।

जोयुवाघनगेयोविमाराभोदयतोरिहा ॥ २३॥


भानुभानुतभावामासदामोदपरोहतं ।

तंहतामरसाभक्षोतिराताकृतवासविम् ॥ २४॥


विलोमम्:

विंसवातकृतारातिक्षोभासारमताहतं ।

तं हरोपदमोदासमावाभातनुभानुभाः ॥ २४॥

हंसजारुद्धबलजापरोदारसुभाजिनि ।

राजिरावणरक्षोरविघातायरमारयम् ॥ २५॥


विलोमम्: 👀👀

यं रमारयताघाविरक्षोरणवराजिरा ।

निजभासुरदारोपजालबद्धरुजासहम् ॥ २५॥


सागरातिगमाभातिनाकेशोसुरमासहः ।

तंसमारुतजंगोप्ताभादासाद्यगतोगजम् ॥ २६॥


विलोमम्:

जंगतोगद्यसादाभाप्तागोजंतरुमासतं ।

हस्समारसुशोकेनातिभामागतिरागसा ॥ २६॥


वीरवानरसेनस्य त्राताभादवता हि सः ।

तोयधावरिगोयादस्ययतोनवसेतुना ॥ २७॥


विलोमम्

नातुसेवनतोयस्यदयागोरिवधायतः ।

सहितावदभातात्रास्यनसेरनवारवी ॥ २७॥


हारिसाहसलंकेनासुभेदीमहितोहिसः ।

चारुभूतनुजोरामोरमाराधयदार्तिहा ॥ २८॥


विलोमम्

हार्तिदायधरामारमोराजोनुतभूरुचा ।

सहितोहिमदीभेसुनाकेलंसहसारिहा ॥ २८॥


नालिकेरसुभाकारागारासौसुरसापिका ।

रावणारिक्षमेरापूराभेजे हि ननामुना ॥ २९॥


विलोमम्:

नामुनानहिजेभेरापूरामेक्षरिणावरा ।

कापिसारसुसौरागाराकाभासुरकेलिना ॥ २९॥


साग्र्यतामरसागारामक्षामाघनभारगौः ॥

निजदेपरजित्यास श्रीरामे सुगराजभा ॥ ३०॥


विलोमम्:

भाजरागसुमेराश्रीसत्याजिरपदेजनि ।स

गौरभानघमाक्षामरागासारमताग्र्यसा ॥ ३०॥


॥ इति श्रीवेङ्कटाध्वरि कृतं श्री  ।।


*कृपया अपना थोड़ा सा कीमती वक्त निकाले और उपरोक्त श्लोको को गौर से अवलोकन करें कि यह दुनिया में कहीं भी ऐसा न पाया जाने वाला ग्रंथ है ।*
🚩जय श्री राम🍃🍂🚩

8.22.2020

चौरचन (Chaurchan) पर्व के बारे में पुराणों में ऐसा वर्णन मिलता है

 चौरचन - चौठचंद्र - पर्व धूमधाम से मनाया जाता है। 


भाद्रपद की चतुर्थी तिथि यानी जिस दिन गणेश चतुर्थी के दिन ही चौरचन पर्व मनाया जाता है। महाराष्ट्र में जहां इस दिन लोग गणपति की स्थापना करते हैं वहीं मिथिला में इस दिन गणेश और चंद्र देव का पूजन किया जाता है।

चौरचन (Chaurchan) पर्व के बारे में पुराणों में ऐसा वर्णन मिलता है
चौरचन(पावैन) पूजा का शुभ मुहूर्त: 22 अगस्त, शनिवार – शाम 06 बजकर 53 मिनट से 07 बजकर 59 मिनट तक

इसी दिन चौरचन भी मनाया जाता है। इस साल चौरचन 22 अगस्त शनिवार को मनाया जाएगा। यह त्योहार मिथिला यानी बिहार में मनाया जाता है। इस दिन चंद्र देव की उपासना की जाती है। कहते हैं कि जो व्यक्ति गणेश चतुर्थी की शाम भगवान गणेश के साथ चंद्र देव की पूजा करता है। वह चंद्र दोष से मुक्त हो जाता है। बता दें कि चतुर्थी (चौठ) तिथि में शाम के समय चौरचन पूजा होती है। चौरचन (Chaurchan) पर्व के बारे में पुराणों में ऐसा वर्णन मिलता है कि इसी दिन चंद्रमा को कलंक लगा था।

चौठ चंद्र पूजन विधि: 


इस दिन सुबह से शाम व्रत रखकर भक्त पूजन में लीन रहते हैं। शाम के समय घर के आंगन को गाय के गोबर से लीपकर साफ करते हैं। फिर केले के पत्ते की मदद से गोलाकार चांद बनाएं। अब इस पर तरह-तरह के मीठे पकवान जैसे कि खीर, मिठाई, गुजिया और फल रखें। पश्चिम दिशा की ओर मुख करके रोहिणी (नक्षत्र) सहित चतुर्थी में चंद्रमा की पूजा उजले फूल से करें। इसके उपरांत घर में जितने लोग हैं, उतनी ही संख्या में पकवानों से भरी डाली और दही के बर्तन को रखें। अब एक-एक कर डाली, दही का बर्तन, केला, खीरा आदि को हाथों में उठाकर ‘सिंह: प्रसेनमवधिस्सिंहो जाम्बवता हतः। सुकुमार मन्दिस्तव ह्येष स्यामन्तक: स्त’ इस मंत्र को पढ़कर चंद्रमा को समर्पित करें।

चौरचन की कथा: 


एक दिन भगवान गणेश अपने वाहन मूषक के साथ कैलाश पर घूम रहे थे। तभी अचानक चंद्र देव उन्हें देखकर हंसने लगे, गणेश जी को उनके हंसने की वजह समझ नहीं आई। उन्होंने चंद्र देव से पूछा कि आप क्यों हंस रहे हैं। इसका जवाब देते हुए चंद्र देव ने कहा कि वह भगवान गणेश का विचित्र रूप देख कर हंस रहे हैं। साथ ही उन्होंने अपने रूप का बखान भी किया।
गणेश जी को चंद्र देव की मजाक उड़ाने की प्रवृत्ति पर क्रोध आया। उन्होंने चंद्र देव को यह श्राप दिया कि तुम्हें अपने रूप पर बहुत अभिमान है कि तुम बहुत सुंदर दिखते हो लेकिन आज से तुम कुरूप हो जाओ। जो कोई भी व्यक्ति तुम्हें देखेगा उसे झूठा कलंक लगेगा। कोई अपराध न होने के बावजूद भी वह अपराधी कहलाएगा।

श्राप सुनते ही चंद्र देव का अभिमान चूर चूर हो गया। उन्होंने गणेश जी से क्षमा मांगी और कहा भगवन् मुझे इस श्राप से मुक्त कीजिए। चंद्र देव को पश्चाताप करते देख गणेश जी ने उन्हें क्षमा कर दिया। श्राप पूरी तरह से वापस नहीं लिया जा सकता था इसलिए यह कहा गया कि जो कोई भी व्यक्ति गणेश चतुर्थी के दिन चंद्र देव को देखेगा। उस पर झूठा आरोप लगेगा। इससे बचने के लिए ही मिथिला में गणेश चतुर्थी की शाम को चंद्रमा की पूजा की जाती है।