5.31.2019

अखण्ड एकता का स्पष्ट वर्णन - Explicit description of Akand Unity

ब्रह्मभूत हो जानेपर विद्वान फिर जन्म मरण रूप संसार चक्र में नही पड़ता इसलिए आत्मा का ब्रह्म से अभिन्नत्व भली प्रकार जान लेना चाहये।
Explicit description of Akand Unity
Explicit description of Akand Unity
ब्रह्म सत्य ज्ञानस्वरूप और अनंत है वह सुद्ध पर स्वतः सिद्ध नित्य एकमात्र आनंद स्वरूप अंतरतम और अभिन्न है,तथा निरन्तर उन्नति शाली है।
यह परम द्वेत ही एक सत्य पदार्थ है क्योंकि इस स्वात्मा से अतिरिक्त और कोई वस्तु है ही नही। इस परमार्थ तत्व का पूर्ण बोध हो जाने पर और कुछ भी नही रहता।
यह सम्पूर्ण विश्व जो अज्ञान से नाना प्रकार का प्रतीत हो रहा है, समस्त भावनाओ दोष रहित (अर्थात निर्विकल्प) ब्रह्म ही है।
सत्त ब्रह्म का कार्य यह सकल प्रपंच स्वरूप ही है, क्योकि यह सम्पूर्ण वही तो है उससे भिन्न कुछ भी नही। जो कहता है कि उससे पृथक भी कुछ है उसका मोह दूर नही हुवा उसका यह कथन सोये हुवे पुरुष के प्रलाप समान है।
परमार्थ तत्त्व जानने वाले भगवान कृष्णचन्द्र ने यह निश्चित किया है कि न तो में ही भूतो में स्थित हु और न वे मुझ में स्थित है।
यदि विश्व सत्य होता तो सुषुप्ति में भी उसका प्रतीती होनी चाहये थी किन्तु उस समय इसकी कुछ भी प्रतीती नहीं होती इसलिए यह स्वप्न समान असत और मिथ्या ही है।
ये परमात्मा और जीव की उपाधियां है इनकी भली प्रकार वोध हो जाने पर परमात्मा ही रहता है और न जीव आत्मा ही जिस प्रकार राज्य राजा की उपाधि है और ढाल सैनिक की इन दोनों उपाधि के न रहने पर न कोई राजा है न योद्धा ।
इस प्रकार लक्षणा द्वारा जीवात्मा और परमात्मा चेतनाशकि एकता का निश्चय के बुद्धिमान जन उनके अखण्ड भाव का परिचय ज्ञान प्राप्त करते है ऐसे ही सैकड़ो महावाक्य ब्रह्म और आत्मा की अखण्ड एकता का स्पष्ट वर्णन किया गया है।
श्रीगुरवे नमः
ॐ नमः शिवाय
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#क्या_इराक_के_5_लाख__यजीदी__प्राचीन_यजुर्वेदी_हिन्दू_है_?
Explicit description of Akand Unity

यह लोग स्वयं को न तो #मुसलमान मानते हैं, न #पारसी और न #ईसाई। यह अपने को ‘यजीदी’ कहते हैं। इस #समुदाय के उपासना-स्थल #हिन्दू_मंदिरों की तरह होते हैं, ये #सूर्य की भी पूजा करते हैं और इनमें #मोर की बहुत मान्यता है। उल्लेखनीय है कि मोर केवल #दक्षिण_एशिया में पाया जाता है। इराक, #सीरिया इत्यादि देशों में मोर नहीं पाए जाते। सदियों के उत्पीड़न के बावजूद यज़ीदियों ने अपना #धर्म नहीं छोड़ा, जो दर्शाता है कि वे अपनी पहचान और #धार्मिक_चरित्र को लेकर कितने दृढ़ हैं। इस समुदाय के लोगों ने #भारत में शरण लेने के लिए #मोदी जी से आग्रह भी किया है।
देखिए हिन्दुओं और यजीदियों में कितनी समानताएं हैं :
• यजीदियों के घरों में तथा मंदिरों मे मोर के आकार के #दीप_स्तम्भ पाए जाते हैं। हिन्दू उसमें #बाती लगाते हैं, तो यजीदी उसका #चुम्बन लेते हैं।
• यजीदियों के मंदिरों का आकार हिन्दू मंदिरों के समान ही होता है और उसमें #गर्भगृह भी होते हैं।
• यजीदियों के घरों में #आरती की थाली पायी जाती है। थाली से हिन्दू भी #देवताओं की आरती करते हैं।
• यजीदियों के पवित्र #लतीश_मंदिर की दीवारों पर #साड़ी पहनी हुई महिला का भित्तिचित्र है। साड़ी हिन्दू #महिलाओं का सर्वमान्य #परिधान है।
• लतीश मंदिर के प्रवेश-द्वार पर #नाग का चिह्न है। इस क्षेत्र के किसी भी प्राचीन #संस्कृति के मंदिर में नाग का चिह्न नहीं है। #शिवालयों पर नाग का चिह्न अवश्य होता है।
• यजीदियों के #वैवाहिक_सम्बन्ध उनके ही #मुरीद#शेख, पीर इन जातियों में किए जाते हैं। जाति के बाहर नहीं होते। हिन्दू समाज में भी यही पद्धति है। कदाचित येजीदी समाज में भी गोत्रादि रूढि प्रचलित होंगी।
• यजीदी और हिन्दू पुनर्जन्म में विश्वास करते हैं।
• यजीदियों की देवता को प्रार्थना करने की पद्धति हिन्दू धर्म में स्थित नमस्कार के समान ही है। साथ ही यजीदी प्रातः तथा सायंकाल के समय सूर्य की ओर मुख करके नमस्कार एवं प्रार्थना करते हैं। हिन्दुओं में भी उदयाचल और अस्ताचल सूर्य को इसी पद्धति से नमस्कार करते हैं।
• यजीदी मंदिर में प्रार्थना करते समय बिंदी, कुमकुम धारण करते हैं। हिन्दू धर्म में भी ऐसी पद्धति प्राचीन काल से है।
• किसी भी मंगल समय पर दीए जलाने की पद्धति येजीदियों में हैं।
• यजीदियों के बर्तनों पर त्रिशूल का चिह्न होता है। उनके वाद्य भी ढोल एवं ताशानुसार होते हैं।

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