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1. शुरुआत में योग करते समय हमेशा योग विशेषज्ञ के देखरेख में ही योग करे और पूर्णतः प्रशिक्षित होने के बाद ही अकेले योग करे। 2. योग से जुड़ा कोई भी प्रश्न मन में हो तो विशेषज्ञ से जरूर पूछे। 3. योग करना का सबसे बेहतर समय सुबह का होता हैं। सुबह सूर्योदय होने के आधा घंटे पहले से लेकर सूर्योदय होने के 1 घंटे बाद तक का समय विशेष लाभदायक होता हैं। 4. सुबह योग करने से पहले आपका पेट साफ होना आवश्यक हैं। 5. नहाने के 20 मिनिट पहले या बाद में योग नहीं करटे बाद ही करे।

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क्यों है सावन की विशेषता?

हिन्दू धर्म की पौराणिक मान्यता के अनुसार सावन महीने को देवों के देव महादेव भगवान शंकर का महीना माना जाता है। इस संबंध में पौराणिक कथा है कि जब सनत कुमारों ने महादेव से उन्हें सावन महीना प्रिय होने का कारण पूछा तो महादेव भगवान शिव ने बताया कि जब देवी सती ने अपने पिता दक्ष के घर में योगशक्ति से शरीर त्याग किया था, उससे पहले देवी सती ने महादेव को हर जन्म में पति के रूप में पाने का प्रण किया था। अपने दूसरे जन्म में देवी सती ने पार्वती के नाम से हिमाचल और रानी मैना के घर में पुत्री के रूप में जन्म लिया। पार्वती ने युवावस्था के सावन महीने में निराहार रह कर कठोर व्रत किया और उन्हें प्रसन्न कर विवाह किया, जिसके बाद ही महादेव के लिए यह विशेष हो गया।

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5.31.2019

aaj ka hindu punchang - आज का हिन्दू पंचांग


                                 आज का हिन्दू पंचांग

aaj ka hindu punchang - आज का हिन्दू पंचांग
aaj ka hindu punchang - आज का हिन्दू पंचांग

🌞 ~ *आज का हिन्दू पंचांग* ~ 🌞

⛅ *दिनांक 01 जून 2019*
⛅ *दिन - शनिवार* 
⛅ *विक्रम संवत - 2076 (गुजरात. 2075)*
⛅ *शक संवत -1941*
⛅ *अयन - उत्तरायण*
⛅ *ऋतु - ग्रीष्म*
⛅ *मास - ज्येष्ठ (गुजरात एवं महाराष्ट्र अनुसार - वैशाख)*
⛅ *पक्ष - कृष्ण* 
⛅ *तिथि - त्रयोदशी शाम 05:16 तक तत्पश्चात चतुर्दशी*
⛅ *नक्षत्र - भरणी रात्रि 12:43 तक तत्पश्चात कृत्तिका*
⛅ *योग - शोभन दोपहर 01:01तक तत्पश्चात अतिगण्ड*
⛅ *राहुकाल - सुबह 09:05 से सुबह 10:45 तक* 
⛅ *सूर्योदय - 05:58*
⛅ *सूर्यास्त - 19:14* 
⛅ *दिशाशूल - पूर्व दिशा में*
⛅ *व्रत पर्व विवरण - मासिक शिवरात्रि*
💥 *विशेष - त्रयोदशी को बैंगन खाने से पुत्र का नाश होता है।(ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)*
🌞 *~ हिन्दू पंचांग ~* 🌞
🌷 *शनि जयंती* 🌷
🙏🏻 *शास्त्रों के अनुसार शनि देवजी का जन्म ज्येष्ठ मास के कृष्ण पक्ष की अमावस्या को रात के समय हुआ था।*
➡ *इस बार शनि जयंती 03 जून 2019 सोमवार को पड़ रही है।*
🌞 *सुबह जल्दी स्नान आदि से निवृत्त होकर सबसे पहले अपने इष्टदेव, गुरु और माता-पिता का आशीर्वाद लें।*
➡ *पूजा क्रम शुरू करते हुए सबसे पहले शनिदेव के इष्ट भगवान शिव का 'ऊँ नम: शिवाय' बोलते हुए गंगाजल, कच्चा दूध तथा काले तिल से अभिषेक करें। अगर घर में पारद शिवलिंग है तो उनका अभिषेक करें अन्यथा शिव मंदिर जाकर अभिषेक करें। भांग, धतूरा एवं हो सके तो 108 आंकडे के फूल जरूर चढ़ाएं। द्वादश ज्योतिर्लिंग के नाम को उच्चारण करें।*
🙏🏻 *सौराष्ट्रे सोमनाथं च श्रीशैले मल्लिकार्जुनम्‌।*
*उज्जयिन्यां महाकालमोंकारं ममलेश्वरम्‌ ॥1॥*
*परल्यां वैजनाथं च डाकियन्यां भीमशंकरम्‌।*
*सेतुबन्धे तु रामेशं नागेशं दारुकावने ॥2॥*
*वारणस्यां तु विश्वेशं त्र्यम्बकं गौतमी तटे।*
*हिमालये तु केदारं ध्रुष्णेशं च शिवालये ॥3॥*
*एतानि ज्योतिर्लिंगानि सायं प्रातः पठेन्नरः।*
*सप्तजन्मकृतं पापं स्मरेण विनश्यति ॥4॥*
🙏🏻 *अब शनिदेव की पूजा शुरू करते हुए सर्वप्रथम शनिदेव का सरसों के तेल से अभिषेक करें।*
🌷 *“ऊँ शं शनैश्चराय नम:” का निरंतर जप करते रहें ।*
🔥 *सरसों के तेल का दीपक प्रज्वलित करें तथा कस्तूरी अथवा चन्दन की धूप अर्पित करें ।*
🌷 *शनि के वैदिक मंत्र का उच्चारण करें* 🌷
*नीलांजन समाभासं रविपुत्रं यमाग्रजम्*
*छायामार्तण्ड संभूतम् तम नमामि शनैश्चरम्॥"*
🌷 *अब स्त्रोत्र का पाठ करें* 🌷
*नमस्ते कोण संस्थाय पिंगलाय नमोऽस्तुते।*
*नमस्ते बभ्रुरुपाय कृष्णाय नमोऽस्तुते॥*
*नमस्ते रौद्रदेहाय नमस्ते चांतकायच।*
*नमस्ते यमसंज्ञाय नमस्ते सौरये विभो॥*
*नमस्ते मंदसंज्ञाय शनैश्चर नमोऽस्तुते।*
*प्रसादं कुरू देवेश दीनस्य प्रणतस्य च॥*
🔥 *शाम को पीपल के वृक्ष के नीचे तिल के तेल के दीपक को प्रज्जवलित करें। शनिदेव से प्रार्थना करें कि सभी समस्याएं दूर हों और बुरे समय से पीछा छूट जाए। इसके बाद पीपल की सात परिक्रमा करें।*
    🌞 *~ हिन्दू पंचांग ~* 🌞

🙏🏻🌷💐🌸🌼🌹🍀🌺💐🙏🏻

Which is the best in love and knowledge - प्रेम और ज्ञान में कौन श्रेष्ठ ?

🌷 *प्रेम और ज्ञान में कौन श्रेष्ठ ?* 🌷
Which is the best in love and knowledge - प्रेम और ज्ञान में कौन श्रेष्ठ ?
Which is the best in love and knowledge - प्रेम और ज्ञान में कौन श्रेष्ठ ?

🌅एक राजा के दो बेटे थे। राजा के पास बहुत धन था। एक बेटे का नाम ज्ञान था, एक बेटे का नाम प्रेम था। राजा बड़ी चिंता में था कि किसको अपना राज्य सौंप जाए। किसी फकीर को पूछा कि कैसे तय करूं? दोनों जुड़वां थे, साथ—साथ पैदा हुए थे। उम्र में कोई बड़ा—छोटा न था; नहीं तो उम्र से तय कर लेते। दोनों प्रतिभाशाली थे, दोनों मेधावी थे, दोनों कुशल थे। कैसे तय करें?
बाप का मन बड़ा डावाडोल था, कहीं अन्याय न हो जाए! फकीर से पूछा। फकीर ने कहा, 'यह करो। दोनों बेटों को कह दो कि यही बात निर्णायक होगी। तुम जाओ और सारी दुनिया में बड़े—बड़े नगरों में कोठियां बनाओ। जो कोठियां बनाने में पांच साल के भीतर सफल हो जाएगा, वही मेरे राज्य का उत्तराधिकारी होगा।'
ज्ञान चला। उसने कोठियां बनानी शुरू कर दीं। मगर पांच साल में सारी पृथ्वी पर कैसे कोठियां बनाओगे ? हजारों बडे नगर हैं! कुछ कोठियां बनायीं, उसका धन भी चुक गया,सामर्थ्य भी चुक गई, थक भी गया, परेशान भी हो गया। और फिर बात भी मूढ़तापूर्ण मालूम पडी, इससे सार क्या है? पांच साल बाद जब दोनों लौटे तो ज्ञान तो थका-मांदा था,भिखमंगे की हालत में लौटा। सब जो उसके पास थी संपदा,वह सब लगा दी। कुछ कोठियां जरूर बन गईं, लेकिन इससे क्या सार? वह बड़ा पराजित और विषाद में लौटा।
प्रेम बड़ा नाचता हुआ लौटा। बाप ने पूछा, कोठियां बनाई? प्रेम ने कहा कि बना दीं, सारी दुनिया पर बना दीं। सब बड़े नगरों में क्या, छोटे —छोटे नगरों में भी बना दीं। समय काफी था।
बाप भी थोड़ा चौंका। उसने पूछा कि यह तेरा बड़ा भाई, यह तेरा दूसरा भाई, यह तो थका—हारा लौटा है कुछ नगरों में बना कर, तूने कैसे बना लीं? प्रेम ने कहा कि मैंने मित्र बनाए, जगह—जगह मित्र बनाए। सभी मित्रों की कोठिया मेरे लिए खुली हैं। जिस गांव में जाऊं वहीं, एक क्या दो —दो,तीन—तीन कोठियां हैं। मकान मैंने नहीं बनाए, मैंने मित्र बनाए। यह आदमी मकान बनाने में लग गया, इसलिए चूक हो गई। मकान तो मेरे लिए खुले खड़े हैं, कोठियां मेरे लिए तैयार हैं, जगह—जगह तैयार हैं। जहां आप कहें, वहा मेरी कोठी। हर नगर में मेरी कोठी!
Which is the best in love and knowledge
प्रेम और ज्ञान में कौन श्रेष्ठ ?

एक तो ढंग है प्रेम का और एक ढंग है ज्ञान का. ज्ञान से अंततः विज्ञान पैदा हुआ।ज्ञान की आखिरी संतति विज्ञान है। विज्ञान से अंततः टेक्नोलॉजी पैदा हुई। विज्ञान की संतति टेक्नोलॉजी है; तकनीक है।
प्रेम से भक्ति पैदा होती है। भक्ति प्रेम की पुत्री है। भक्ति से भगवान पैदा होता है। वह दोनों दिशाएं बड़ी अलग हैं।
ज्ञान के मार्ग से जो चला है, वह कहीं न कहीं विज्ञान में भटक जाएगा। इसलिए तो पश्चिम विज्ञान में भटक गया। यूनानी विचारकों से पैदा हुई पश्चिम की सारी परंपरा। वह ज्ञान के. उनकी बडी पकड थी। अरस्तू, प्लेटो! तर्क और विचार और ज्ञान! जानना है! जान कर रहेंगे! उस जानने का अंतिम परिणाम हुआ कि अणुबम तक आदमी पहुंच गया। मौत खोज ली और कुछ सार न आया। पूरब प्रेम से चला है। तो हमने समाधि खोजी। हमने कुछ अनूठा आकाश खोजा—जहां सब भर जाता है, सब पूरा हो जाता है। अब तो पश्चिम परेशान है,अपने ही ज्ञान से परेशान है।
अलबर्ट आइंस्टीन मरने के पहले कह कर मरा है कि 'अगर मुझे दुबारा जन्म मिले तो मैं वैज्ञानिक न होना चाहूंगा—कतई नहीं! प्लंबर होना पसंद कर लूंगा, वैज्ञानिक होना पसंद नहीं करूंगा।' बड़ी पीड़ा में मरा है कि क्या सार? जानने का क्या सार? होने में सार है।
प्रेम भी जब तक झुके नहीं तब तक भक्ति नहीं बनता। ज्ञान भी अगर झुक जाए तो ध्यान बन जाता है। लेकिन ज्ञान झुकने को राजी नहीं होता। प्रेम झुकने को बड़ी जल्दी राजी हो जाता है.
*"पोथी पढ़ि-पढ़ि, जग मुआ ,पंडित भया न कोय"*
*"ढाई आखर प्रेम का,पढ़े सो पंडित होय।"*
💖¸.•*""*•.¸ *जय श्री राधे ¸.•*""*•.¸ 💖
*श्री कृष्ण गोविन्द हरे मुरारी हे नाथ नारायण वासुदेव*
🌸💐👏🏼💚💖*

Mother: God sent angels - माँ : ईश्वर का भेजा गया फरिश्ता

                                             माँ : ईश्वर का भेजा गया फरिश्ता

Mother: God sent angels - माँ : ईश्वर का भेजा गया फरिश्ता
Mother: God sent angels - माँ : ईश्वर का भेजा गया फरिश्ता


एक समय की बात है, एक बच्चे का जन्म होने वाला था. जन्म से कुछ क्षण पहले उसने भगवान् से पूछा : ” मैं इतना छोटा हूँ, खुद से कुछ कर भी नहीं पाता, भला धरती पर मैं कैसे रहूँगा, कृपया मुझे अपने पास ही रहने दीजिये, मैं कहीं नहीं जाना चाहता.”
भगवान् बोले, ” मेरे पास बहुत से फ़रिश्ते हैं, उन्ही में से एक मैंने तुम्हारे लिए चुन लिया है, वो तुम्हारा ख़याल रखेगा. “
“पर आप मुझे बताइए, यहाँ स्वर्ग में मैं कुछ नहीं करता बस गाता और मुस्कुराता हूँ, मेरे लिए खुश रहने के लिए इतना ही बहुत है.”
” तुम्हारा फ़रिश्ता तुम्हारे लिए गायेगा और हर रोज़ तुम्हारे लिए मुस्कुराएगा भी . और तुम उसका प्रेम महसूस करोगे और खुश रहोगे.”


” और जब वहां लोग मुझसे बात करेंगे तो मैं समझूंगा कैसे, मुझे तो उनकी भाषा नहीं आती ?”


” तुम्हारा फ़रिश्ता तुमसे सबसे मधुर और प्यारे शब्दों में बात करेगा, ऐसे शब्द जो तुमने यहाँ भी नहीं सुने होंगे, और बड़े धैर्य और सावधानी के साथ तुम्हारा फ़रिश्ता तुम्हे बोलना भी सीखाएगा .”
” और जब मुझे आपसे बात करनी हो तो मैं क्या करूँगा?”
” तुम्हारा फ़रिश्ता तुम्हे हाथ जोड़ कर प्रार्थना करना सीखाएगा, और इस तरह तुम मुझसे बात कर सकोगे.”
“मैंने सुना है कि धरती पर बुरे लोग भी होते हैं . उनसे मुझे कौन बचाएगा ?”
” तुम्हारा फ़रिश्ता तुम्हे बचाएगा, भले ही उसकी अपनी जान पर खतरा क्यों ना आ जाये.”
“लेकिन मैं हमेशा दुखी रहूँगा क्योंकि मैं आपको नहीं देख पाऊंगा.”
” तुम इसकी चिंता मत करो ; तुम्हारा फ़रिश्ता हमेशा तुमसे मेरे बारे में बात करेगा और तुम वापस मेरे पास कैसे आ सकते हो बतायेगा.”
उस वक़्त स्वर्ग में असीम शांति थी, पर पृथ्वी से किसी के कराहने की आवाज़ आ रही थी….बच्चा समझ गया कि अब उसे जाना है, और उसने रोते-रोते भगवान् से पूछा,” हे ईश्वर, अब तो मैं जाने वाला हूँ, कृपया मुझे उस फ़रिश्ते का नाम बता दीजिये ?’
भगवान् बोले, ” फ़रिश्ते के नाम का कोई महत्त्व नहीं है, बस इतना जानो कि तुम उसे “माँ” कह कर पुकारोगे .”

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Mother: God sent to God For a time, a child was about to be born
Mother: God sent angels
Mother: God sent angels.

. A few moments before birth, he asked God: 'I am so small, I can not even do anything by myself, how will I live on earth, please let me stay with you, I do not want to go anywhere.' , 'I have many angels, one of them I have chosen for you, he will take care of you. '' But you tell me, here in heaven I do nothing, just sing and smile, so much is enough for me to be happy. '' Your angel will sing for you and smile for you everyday. And you will feel his love and be happy. '' And when people talk to me, I will understand how, I do not know their language? '' Your archbishop will talk to you in the most sweet and sweet words Words that you have not even heard here, and your patience will also teach you to speak with great patience and caution. '' And what will I do if I want to talk to you? '' Your angels You will learn to pray by joining hands, and in this way you will be able to talk to me. '' I have heard that there are bad people on earth too. Who will save me from them? '' Your angel will save you, even if there is no danger to his own life. '' But I will always be sad because I will not see you. '' Do not worry about it Do; Your angel will always talk to you about me and tell me how you can come back to me. ' At that time there was immense peace in heaven, but the voice of groan from the earth was coming .... The child understood that now I asked, 'O God, now I am going to go, please tell me the name of that angel?' God said, 'There is no significance of the name of the angel, just so much H No that call upon you tell her 'mother'. '

अखण्ड एकता का स्पष्ट वर्णन - Explicit description of Akand Unity

ब्रह्मभूत हो जानेपर विद्वान फिर जन्म मरण रूप संसार चक्र में नही पड़ता इसलिए आत्मा का ब्रह्म से अभिन्नत्व भली प्रकार जान लेना चाहये।
Explicit description of Akand Unity
Explicit description of Akand Unity
ब्रह्म सत्य ज्ञानस्वरूप और अनंत है वह सुद्ध पर स्वतः सिद्ध नित्य एकमात्र आनंद स्वरूप अंतरतम और अभिन्न है,तथा निरन्तर उन्नति शाली है।
यह परम द्वेत ही एक सत्य पदार्थ है क्योंकि इस स्वात्मा से अतिरिक्त और कोई वस्तु है ही नही। इस परमार्थ तत्व का पूर्ण बोध हो जाने पर और कुछ भी नही रहता।
यह सम्पूर्ण विश्व जो अज्ञान से नाना प्रकार का प्रतीत हो रहा है, समस्त भावनाओ दोष रहित (अर्थात निर्विकल्प) ब्रह्म ही है।
सत्त ब्रह्म का कार्य यह सकल प्रपंच स्वरूप ही है, क्योकि यह सम्पूर्ण वही तो है उससे भिन्न कुछ भी नही। जो कहता है कि उससे पृथक भी कुछ है उसका मोह दूर नही हुवा उसका यह कथन सोये हुवे पुरुष के प्रलाप समान है।
परमार्थ तत्त्व जानने वाले भगवान कृष्णचन्द्र ने यह निश्चित किया है कि न तो में ही भूतो में स्थित हु और न वे मुझ में स्थित है।
यदि विश्व सत्य होता तो सुषुप्ति में भी उसका प्रतीती होनी चाहये थी किन्तु उस समय इसकी कुछ भी प्रतीती नहीं होती इसलिए यह स्वप्न समान असत और मिथ्या ही है।
ये परमात्मा और जीव की उपाधियां है इनकी भली प्रकार वोध हो जाने पर परमात्मा ही रहता है और न जीव आत्मा ही जिस प्रकार राज्य राजा की उपाधि है और ढाल सैनिक की इन दोनों उपाधि के न रहने पर न कोई राजा है न योद्धा ।
इस प्रकार लक्षणा द्वारा जीवात्मा और परमात्मा चेतनाशकि एकता का निश्चय के बुद्धिमान जन उनके अखण्ड भाव का परिचय ज्ञान प्राप्त करते है ऐसे ही सैकड़ो महावाक्य ब्रह्म और आत्मा की अखण्ड एकता का स्पष्ट वर्णन किया गया है।
श्रीगुरवे नमः
ॐ नमः शिवाय
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#क्या_इराक_के_5_लाख__यजीदी__प्राचीन_यजुर्वेदी_हिन्दू_है_?
Explicit description of Akand Unity

यह लोग स्वयं को न तो #मुसलमान मानते हैं, न #पारसी और न #ईसाई। यह अपने को ‘यजीदी’ कहते हैं। इस #समुदाय के उपासना-स्थल #हिन्दू_मंदिरों की तरह होते हैं, ये #सूर्य की भी पूजा करते हैं और इनमें #मोर की बहुत मान्यता है। उल्लेखनीय है कि मोर केवल #दक्षिण_एशिया में पाया जाता है। इराक, #सीरिया इत्यादि देशों में मोर नहीं पाए जाते। सदियों के उत्पीड़न के बावजूद यज़ीदियों ने अपना #धर्म नहीं छोड़ा, जो दर्शाता है कि वे अपनी पहचान और #धार्मिक_चरित्र को लेकर कितने दृढ़ हैं। इस समुदाय के लोगों ने #भारत में शरण लेने के लिए #मोदी जी से आग्रह भी किया है।
देखिए हिन्दुओं और यजीदियों में कितनी समानताएं हैं :
• यजीदियों के घरों में तथा मंदिरों मे मोर के आकार के #दीप_स्तम्भ पाए जाते हैं। हिन्दू उसमें #बाती लगाते हैं, तो यजीदी उसका #चुम्बन लेते हैं।
• यजीदियों के मंदिरों का आकार हिन्दू मंदिरों के समान ही होता है और उसमें #गर्भगृह भी होते हैं।
• यजीदियों के घरों में #आरती की थाली पायी जाती है। थाली से हिन्दू भी #देवताओं की आरती करते हैं।
• यजीदियों के पवित्र #लतीश_मंदिर की दीवारों पर #साड़ी पहनी हुई महिला का भित्तिचित्र है। साड़ी हिन्दू #महिलाओं का सर्वमान्य #परिधान है।
• लतीश मंदिर के प्रवेश-द्वार पर #नाग का चिह्न है। इस क्षेत्र के किसी भी प्राचीन #संस्कृति के मंदिर में नाग का चिह्न नहीं है। #शिवालयों पर नाग का चिह्न अवश्य होता है।
• यजीदियों के #वैवाहिक_सम्बन्ध उनके ही #मुरीद#शेख, पीर इन जातियों में किए जाते हैं। जाति के बाहर नहीं होते। हिन्दू समाज में भी यही पद्धति है। कदाचित येजीदी समाज में भी गोत्रादि रूढि प्रचलित होंगी।
• यजीदी और हिन्दू पुनर्जन्म में विश्वास करते हैं।
• यजीदियों की देवता को प्रार्थना करने की पद्धति हिन्दू धर्म में स्थित नमस्कार के समान ही है। साथ ही यजीदी प्रातः तथा सायंकाल के समय सूर्य की ओर मुख करके नमस्कार एवं प्रार्थना करते हैं। हिन्दुओं में भी उदयाचल और अस्ताचल सूर्य को इसी पद्धति से नमस्कार करते हैं।
• यजीदी मंदिर में प्रार्थना करते समय बिंदी, कुमकुम धारण करते हैं। हिन्दू धर्म में भी ऐसी पद्धति प्राचीन काल से है।
• किसी भी मंगल समय पर दीए जलाने की पद्धति येजीदियों में हैं।
• यजीदियों के बर्तनों पर त्रिशूल का चिह्न होता है। उनके वाद्य भी ढोल एवं ताशानुसार होते हैं।

लड़कियो के नग्न घूमने पर जो लोग या स्त्री ये कहते है की कपडे नहीं सोच बदलो - मुक्ति का उपाय क्या है?

अगर बुरा लगे तो माफ़ कीजियेगा🙏
#लड़कियो के नग्न घूमने पर जो लोग या स्त्री ये कहते है की #कपडे नहीं सोच बदलो....
उन लोगो से मेरे कुछ प्रश्न है???
लड़कियो के नग्न घूमने पर जो लोग या स्त्री ये कहते है की nude girl
girls is not bad

1)लड़के #सोच क्यों बदले?? सोच बदलने की नौबत आखिर आ ही क्यों रही है??? आपने लोगो की सोच का #ठेका लिया है क्या??
2) आप उन लड़कियो की सोच का #आकलन क्यों नहीं करते?? उसने क्या सोचकर ऐसे कपडे पहने की उसके स्तन पीठ जांघे इत्यादि सब दिखाई दे रहा है....इन कपड़ो के पीछे उसकी सोच क्या थी?? एक #निर्लज्ज लड़की चाहती है की पूरा पुरुष समाज उसे देखे,वही एक सभ्य लड़की बिलकुल पसंद नहीं करेगी की कोई उस देखे
3)अगर सोच बदलना ही है तो क्यों न हर बात को लेकर बदली जाए??? आपको कोई अपनी बीच वाली ऊँगली का इशारा करे तो आप उसे गलत मत मानिए......सोच बदलिये..वैसे भी ऊँगली में तो कोई बुराई नहीं होती....आपको कोई गाली बके तो उसे गाली मत मानिए...उसे प्रेम सूचक शब्द समझिये.....
हत्या ,डकैती, चोरी, बलात्कार, आतंकवाद इत्यादि सबको लेकर सोच बदली जाये...सिर्फ नग्नता को लेकर ही क्यों????
4) कुछ लड़किया कहती है कि हम क्या पहनेगे ये हम तय करेंगे....पुरुष नहीं.....
जी बहुत अच्छी बात है.....आप ही तय करे....लेकिन हम पुरुष भी किस लड़की का सम्मान/मदद करेंगे ये भी हम तय करेंगे, स्त्रीया नहीं.... और हम किसी का सम्मान नहीं करेंगे इसका अर्थ ये नहीं कि हम उसका अपमान करेंगे
5)फिर कुछ विवेकहीन लड़किया कहती है कि हमें आज़ादी है अपनी ज़िन्दगी जीने की.....
जी बिल्कुल आज़ादी है,ऐसी आज़ादी सबको मिले, व्यक्ति को चरस गंजा ड्रग्स ब्राउन शुगर लेने की आज़ादी हो,गाय भैंस का मांस खाने की आज़ादी हो,वैश्यालय खोलने की आज़ादी हो,पोर्न फ़िल्म बनाने की आज़ादी हो... हर तरफ से व्यक्ति को आज़ादी हो।
मुक्ति का उपाय क्या है?
लड़कियो के नग्न घूमने पर जो लोग या स्त्री ये कहते है की कपडे नहीं सोच बदलो

6)लड़को को संस्कारो का पाठ पढ़ाने वाला कुंठित स्त्री समुदाय क्या इस बात का उत्तर देगा की क्या भारतीय परम्परा में ये बात शोभा देती है की एक लड़की अपने भाई या पिता के आगे अपने निजी अंगो का प्रदर्शन बेशर्मी से करे??? क्या ये लड़किया पुरुषो को भाई/पिता की नज़र से देखती है ??? जब ये खुद पुरुषो को भाई/पिता की नज़र से नहीं देखती तो फिर खुद किस अधिकार से ये कहती है की "हमें माँ/बहन की नज़र से देखो"
कौन सी माँ बहन अपने भाई बेटे के आगे नंगी होती है??? भारत में तो ऐसा कभी नहीं होता था....
सत्य ये है कीअश्लीलता को किसी भी दृष्टिकोण से सही नहीं ठहराया जा सकता। ये कम उम्र के बच्चों को यौन अपराधो की तरफ ले जाने वाली एक नशे की दूकान है।।
मष्तिष्क विज्ञान के अनुसार 4 तरह के नशो में एक नशा अश्लीलता(सेक्स) भी है।
चाणक्य ने चाणक्य सूत्र में सेक्स को सबसे बड़ा नशा और बीमारी बताया है।।
अगर ये नग्नता आधुनिकता का प्रतीक है तो फिर पूरा नग्न होकर स्त्रीया अत्याधुनिकता का परिचय क्यों नहीं देती????
गली गली और हर मोहल्ले में जिस तरह शराब की दुकान खोल देने पर बच्चों पर इसका बुरा प्रभाव पड़ता है उसी तरह अश्लीलता समाज में यौन अपराधो को जन्म देती है।।
आपसे अनुरोध है कृपया भारतीय संस्कृति की रक्षा करें,
आगे आपकी मर्जी 
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पूछा है कि भय—मुक्ति का उपाय क्या है? उपाय मत पूछें, क्योंकि उपाय सारे लोग कर रहे हैं, भय—मुक्ति के ही उपाय कर रहे हैं। धन को इकट्ठा करने वाला भी, पद को इकट्ठा करने वाला भी, तलवार इकट्ठी करनेवाला भी, शरीर को मजबूत करनेवाला भी, ईश्वर का भजनकीर्तन करने वाला भी—सब भय—मुक्ति के उपाय कर रहे हैं।
भय—मुक्ति का उपाय मत पूछो, वह तो सारी दुनिया कर रही है। भय—मुक्ति का उपाय नहीं, भय के प्रति जागरण, भय के प्रति होश, कि भय है क्यों? क्या है उसके बुनियाद में कारण? और अगर कारण दिखायी पड जाये कि भय का कारण यह है कि अभय की जो भूमि है, उसमें हमारा प्रवेश नहीं है; और जो भय की भूमि है, वहीं हम कोशिश कर रहे हैं कि अभय उपलब्ध हो जाये। अगर यह दिख जाये, तो परिवर्तन शुरू हो जाये।
मुक्ति का उपाय क्या है?
मुक्ति का उपाय क्या है?

अगर भय का स्पष्ट कारण दिख जाये, उसकी कॉजलिटी दिखायी पड जाये, उसकी बुनियाद दिखायी पड जाये, तो आप अभय में प्रवेश करना शुरू कर पायेंगे। भय को देखें और समझें कि वह क्यों है? बिना उसे समझे भय—मुक्ति के उपाय की कोशिश मत करें। और मेरा कहना है, जो समझ लेता है, उसे उपाय करने की कोई जरूरत नहीं रह जाती है। जिसने समझ लिया है कि भय क्यों है, उसका भय गया।
भय को खोजने से भय चला जायेगा। हम भय को तो खोजते नहीं, उपाय खोजते हैं उससे बचने का! और सब उपाय व्यर्थ हो जाते हैं।
मुझे जैसा दिखायी पडता है, वह यही है कि जीवन में किसी चीज से बचने की कोशिश न करें, उसे जानने की कोशिश करें। भय कुछ बुरा नहीं है, उसे जानने की कोशिश करें। उसे जानने से ही क्रांति होती है।

5.28.2019

AAJ KA PUNCHANG - आज का हिन्दू पंचांग

🌞 ~ *आज का हिन्दू पंचांग* ~ 🌞

                   
                ⛅ *दिनांक 29 मई 2019*
AAJ KA PUNCHANG - आज का हिन्दू पंचांग
आज का हिन्दू पंचांग

 *दिन - बुधवार*
 *विक्रम संवत - 2076 (गुजरात. 2075)*
 *शक संवत -1941*
 *अयन - उत्तरायण*
 *ऋतु - ग्रीष्म*
 *मास - ज्येष्ठ (गुजरात एवं महाराष्ट्र अनुसार - वैशाख)*
 *पक्ष - कृष्ण*
 *तिथि - दशमी शाम 03:21 तक तत्पश्चात एकादशी*
 *नक्षत्र - उत्तर भाद्रपद रात्रि 09:19 तक तत्पश्चात रेवती*
 *योग - प्रीति दोपहर 02:17 तत्पश्चात आयुष्मान्*
 *राहुकाल - दोपहर 12:24 से दोपहर 02:04 तक*
 *सूर्योदय - 05:58*
 *सूर्यास्त - 19:14*
 *दिशाशूल - उत्तर दिशा में*
 *व्रत पर्व विवरण -
💥 *विशेष - 

                      *~ हिन्दू पंचांग ~* 🌞


AAJ KA PUNCHANG - आज का हिन्दू पंचांग
आज का हिन्दू पंचांग

🌷 *एकादशी व्रत के लाभ* 🌷
 *29 मई 2019 बुधवार दोपहर 03:21 से 30 मई, गुरुवार को शाम 04:38 तक एकादशी है ।*
💥 *विशेष - 30 मई, गुरुवार को एकादशी का व्रत (उपवास) रखें ।*
🙏🏻 *एकादशी व्रत के पुण्य के समान और कोई पुण्य नहीं है ।*
🙏🏻 *जो पुण्य सूर्यग्रहण में दान से होता है, उससे कई गुना अधिक पुण्य एकादशी के व्रत से होता है ।*
🙏🏻 *जो पुण्य गौ-दान सुवर्ण-दान, अश्वमेघ यज्ञ से होता है, उससे अधिक पुण्य एकादशी के व्रत से होता है ।*
🙏🏻 *एकादशी करनेवालों के पितर नीच योनि से मुक्त होते हैं और अपने परिवारवालों पर प्रसन्नता बरसाते हैं ।इसलिए यह व्रत करने वालों के घर में सुख-शांति बनी रहती है ।*
🙏🏻 *धन-धान्य, पुत्रादि की वृद्धि होती है ।*
🙏🏻 *कीर्ति बढ़ती है, श्रद्धा-भक्ति बढ़ती है, जिससे जीवन रसमय बनता है ।*
🙏🏻 *परमात्मा की प्रसन्नता प्राप्त होती है ।पूर्वकाल में राजा नहुष, अंबरीष, राजा गाधी आदि जिन्होंने भी एकादशी का व्रत किया, उन्हें इस पृथ्वी का समस्त ऐश्वर्य प्राप्त हुआ ।भगवान शिवजी ने नारद से कहा है : एकादशी का व्रत करने से मनुष्य के सात जन्मों के पाप नष्ट हो जाते हैं, इसमे कोई संदेह नहीं है । एकादशी के दिन किये हुए व्रत, गौ-दान आदि का अनंत गुना पुण्य होता है ।*

🌞 *~ हिन्दू पंचांग ~* 🌞


🌷 *एकादशी के दिन करने योग्य* 🌷
🙏🏻 *एकादशी को दिया जला के विष्णु सहस्त्र नाम पढ़ें .......विष्णु सहस्त्र नाम नहीं हो तो १० माला गुरुमंत्र का जप कर लें l अगर घर में झगडे होते हों, तो झगड़े शांत हों जायें ऐसा संकल्प करके विष्णु सहस्त्र नाम पढ़ें तो घर के झगड़े भी शांत होंगे l*

🌞 *~ हिन्दू पंचांग ~* 🌞
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🌷 *एकादशी के दिन ये सावधानी रहे* 🌷
🙏🏻 *महीने में १५-१५ दिन में एकादशी आती है एकादशी का व्रत पाप और रोगों को स्वाहा कर देता है लेकिन वृद्ध, बालक और बीमार व्यक्ति एकादशी न रख सके तभी भी उनको चावल का तो त्याग करना चाहिए एकादशी के जो दिन चावल खाता है... तो धार्मिक ग्रन्थ से एक- एक चावल एक- एक कीड़ा खाने का पाप लगता है।*

🌞 *~ हिन्दू पंचाग ~* 🌞 

🙏🍀🌻🌹🌸💐🍁🌷

5.27.2019

कथा नारायण और नर का | भगवान विश्णु के अवतार के रोचक कथा | Hindu Godse Story

कथा नर और नारायण की उत्पति के ?

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प्रभु श्री कृष्ण जी को अर्जुन सबसे प्रिय इसलिए थे कि वो नर के अवतार थे और श्री कृष्ण स्वयं नारायण थे।
आपने नर और नारायण का नाम तो सुना ही होगा।
भगवान विश्णु के अवतार के रोचचक कथा | Hindu Godse Story
कथा नर और नारायण के उत्पत्ति का ?

भारत का शिरोमुकुट हिमालय है, जो समस्त पर्वतों का पति होने से गिरिराज कहलाता है उसी के एक उत्तुंग शिखर के प्रांगण में बद्रिकाश्रम या बदरीवन है।  वहाँ पर इन चर्म चक्षुओं से न दीखने वाला बदरी का एक विशाल वृक्ष है, इसी प्रकार का प्रयाग में अक्षयवट है।  बदरी वृक्ष में लक्ष्मी का वास है, इसीलिये लक्ष्मीपति को यह दिव्य वृक्ष अत्यन्त प्रिय है।  उसकी सुखद शीतल छाया में भगवान् ऋषि मुनियों के साथ सदा तपस्या में निरत रहते हैं।  बदरी वृक्ष के कारण ही यह क्षेत्र बदरी क्षेत्र कहलाता है और नर-नारायण का निवास स्थान होने से इसे नर-नारायण या नारायणाश्रम भी कहते हैं।


             💐   व्रम्हा के मानस पूत्र 💐


सृष्टि के आदि में भगवान् ब्रह्मा ने अपने मन से 10 पुत्र उत्पन्न किये।  ये संकल्प से ही अयोनिज उत्पन्न हुए थे, इसलिये ब्रह्मा के मानस पुत्र कहाये।  उनके नाम मरीचि, अत्रि, अंगिरा, पुलस्त्य, पुलह, क्रतु, भृगु, वशिष्ठ, दक्ष और नारद है।  इनके द्वारा ही आगे समस्त सृष्टि उत्पन्न हुई।  इसके अतिरिक्त ब्रह्माजी के दायें स्तन से धर्मदेव उत्पन्न हुए और पृष्ठ भाग से अधर्म।  अधर्म का भी वंश बढ़ा उसकी स्त्री का नाम मृषा (झूठ) था, उसके दम्भ और माया नाम के पुत्र हुए।  उन दोनों से लोभ और निकृति (शठता) ये उत्पन्न हुए, फिर उन दोनों से क्रोध और हिंसा दो लड़की लडके हुए।  क्रोध और हिंसा के कलि और दुरक्ति हुए।  उनके भय ओर मृत्यु हुए तथा भय मृत्यु से यातना (दुख) और निरय नरक ये हुए।  ये सब अधर्म की सन्तति है।  ’’दुर्जनं प्रथम बन्दे सज्जनं तदनन्तरम्’’ इस न्याय से अधर्म की वंशावली के बाद अब धर्म की सन्तति -

ब्रह्माजी के पुत्र दक्ष प्रजापति का विवाह मनु पुत्री प्रसूती से हुआ।  प्रसूति में दक्ष प्रजापति ने 16 कन्यायें उत्पन्न की।  उनमें से 13 का विवाह धर्म के साथ किया।  एक कन्या अग्नि को दी, एक पितृगण को, एक भगवान् शिव को।  जिनका विवाह धर्म के साथ हुआ उनके नाम - श्रद्धा, मैत्री, दया, शान्ति, तुष्टि, पुष्टि, क्रिया, उन्नति, बुद्धि मेधा, तितिक्षा, ही और मूर्ति।


धर्म की ये सब पत्नियाँ पुत्रवती हुई।

  सबने एक एक पुत्र रत्न उत्पन्न किया।  जैसे श्रद्धा ने शुभ को उत्पन्न किया, मैनी ने प्रसाद को, दया ने अभय को, शान्ति ने सुख को, तुष्टि ने मोद को, पुष्टि ने अहंकार को, क्रिया ने योग को उन्नति ने दर्प को, पुद्धि ने अर्थ को, मेधा ने स्मृति को, तितिक्षा ने क्षेम को, और ही (लल्जा) ने प्रश्रय (विनय) को और सबसे छोटी मूर्ति देवी ने भगवान् नर-नारायण को उत्पन्न किया।  क्योंकि मूर्ति में ही भगवान् की उत्पत्ति हो सकती है।  वह मूर्ति भी धर्म की ही पत्नी है।

नर-नारायण ने अपनी माता मूर्ति की बहुत अधिक बड़ी श्रद्धा से सेवा की।  अपने पुत्रों की सेवा से सन्तुष्ट होकर माता ने पुत्रों से वर माँगने को कहा।  पुत्रों ने कहा-’’माँ, यदि आप हम पर प्रसन्न हैं तो वरदान दीजिये कि हमारी रूचि सदा तप में रहे और घरबार छोड़कर हम सदा तप में ही निरत रहें।’’ माता को यह अच्छा कैसे लगता कि मेरे प्राणों से भी प्यारे पुत्र घर-बार छोड़कर सदा के लिये वनवासी बन जायँ, किन्तु वे वचन हार चुकी थी।  अतः उन्होंने अपने आँखों के तारे आज्ञाकारी पुत्रों को तप करने की आज्ञा दे दी।  दोनों भाई बदरिकाश्रम में जाकर तपस्या में निरत हो गये।

बदरिकाश्रम में जाकर दोनों भाई घोर तपस्या करने लगें  इनकी तपस्या के सम्बन्ध में पुराणों में भिन्न-भिन्न प्रकार की कथायें हैं।


                💐     श्रीमद्भागवत।   💐

 में कई स्थानों पर भगवान् नर-नारायण का उल्लेख है।  देवी भागवत के चतुर्थ स्कन्द में तो नर-नारायण की बड़ी लम्बी कथा है।  
भगवान विश्णु के अवतार के रोचचक कथा | Hindu Godse Story
ये कथा है नर नारायण का

 नर और नारायण भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए केदारखंड में उस स्थान पर तपस्या करने लगे जहां पर आज ब्रदीनाथ धाम है।

इनकी तपस्या से इंद्र परेशान होने लगे। इंद्र को लगने लगा कि नर और नारायण इंद्रलोक पर अधिकार न कर लें। इसलिए इंद्र ने अप्सराओं को नर और नारायण के पास तपस्या भंग करने के लिए भेजा। 

उन्होंने जाकर भगवान नर-नारायण को अपनी नाना प्रकार की कलाओं के द्वारा तपस्या भंग करने का प्रयास किया, किंतु उनके ऊपर कामदेव तथा उसके सहयोगियों का कोई प्रभाव न पड़ा। कामदेव, वसंत तथा अप्सराएं शाप के भय से थर-थर कांपने लगे। उनकी यह दशा देखकर भगवान नर और नारायण ने कहा, 'तुम लोग  मत डरो। हम प्रेम और प्रसन्नता से तुम लोगों का स्वागत करते हैं।'
भगवान नर और नारायण की अभय देने वाली वाणी को सुनकर काम अपने सहयोगियों के साथ अत्यन्त लज्जित हुआ। उसने उनकी स्तुति करते हुए कहा- प्रभो! आप निर्विकार परम तत्व हैं। बड़े बड़े आत्मज्ञानी पुरुष आपके चरण.
 कमलों की सेवा के प्रभाव से कामविजयी हो जाते हैं। हमारे ऊपर आप अपनी कृपादृष्टि सदैव बनाए रखें। हमारी
आपसे यही प्रार्थना है। आप देवाधिदे विष्णु हैं।


               💐      कामदेव की स्तुति।    💐

 सुनकर भगवान नर नारायण प्रसन्न हुए और उन्होंने अपनी योगमाया के द्वारा एक अद्भुत लीला दिखाई। सभी लोगों ने देखा कि 16000 सुंदर-सुंदर नारियां नर और नारायण की सेवा कर रही हैं।  फिर नारायण ने इंद्र की अप्सराओं से भी सुंदर अप्सरा को अपनी जंघा से उत्पन्न कर दिया। उर्व से उत्पन्न होने के कारण इस अप्सरा का नाम उर्वशी रखा। नारायण ने इस अप्सरा को इंद्र को भेंट कर दिया। उन 16000 कन्याओं ने नारायण से विवाह की इच्छा जाहिर की,तब नारायण ने उन्हें कहा कि  द्वापर में मेरा कृष्ण अवतार होगा।तब तक प्रतीक्षा करने को कहा

उनकी आज्ञा मानकर कामदेव ने अप्सराओं में सर्वश्रेष्ठ अप्सरा उर्वशी को लेकर स्वर्ग के लिए प्रस्थान किया। उसने देवसभा में जाकर भगवान नर और नारायण की अतुलित महिमा के बारे में सबसे कहा, जिसे सुनकर देवराज इंद्र को काफी पश्चाताप हुआ।

केदार और बदरीवन में नर-नारायण नाम ने घोर तपस्या की थी। इसलिए यह स्थान मूलत: इन दो ऋषियों का स्थान है। दोनों ने केदारनाथ में शिवलिंग और बदरीकाश्रम में विष्णु के विग्रहरूप की स्थापना की थी।


       💐   केदारेश्वर ज्योतिर्लिंग की उत्पति।  💐

Hindu Godse Story | भगवान केदारनाथ
ये कथा है केदारनाथ के उत्पत्ति के

भगवान शिव की प्रार्थना करते हुए दोनों कहते हैं कि हे शिव आप हमारी पूजा ग्रहण करें।

नर और नारायण के पूजा आग्रह पर भगवान शिव स्वयं उस पार्थिव लिंग में आते हैं। इस तरह पार्थिव लिंग के पूजन में वक्त गुजरता जाता है। एक दिन भगवान शिव खुश होते हैं और नर व नारायण के सामने प्रकट होकर कहते हैं कि वो उनकी अराधना से बेहद खुश हैं इसलिए वर मांगो।

नर और नारायण कहते हैं, हे प्रभु अगर आप प्रसन्न हैं तो लोक कल्याण के लिए कुछ कीजिए। भगवान शिव कहते हैं कि कहो क्या कहना चाहते हो। इस पर नर और नारायण कहते हैं कि जिस पार्थिव लिंग में हमने आपकी पूजा की है उस लिंग में आप स्वयं निवास कीजिए ताकि आपके दर्शन मात्र से लोगों का कष्ट दूर हो जाए।

दोनों भाइयों के अनुरोध से भगवान शिव और प्रसन्न हो जाते हैं और केदारनाथ के इस तीर्थ में केदारेश्वर ज्योतिलिंग के रुप में निवास करने लगते हैं। इस तरह केदारेश्वर ज्योतिर्लिंग की उत्पति होती है।


             💐  महाभारत के अनुसार।  💐

 पाप से मुक्त होने के बाद केदारेश्वर में स्थित ज्योतिर्लिंग के आसपास मंदिर का निर्माण पांडवों ने अपने हाथ से किया था। बाद में इसका दोबारा निर्माण आदि शंकराचार्य ने करवाया था। इसके बाद राजा भोज ने यहां पर भव्य मंदिर का निर्माण कराया था।
यही नर और नारायण द्वापर में अर्जुन और कृष्ण के रूप में अवतरित हुए थे।
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