5.08.2019

पोलैण्ड_के_लोग_आज_भी_अहसान_मानतें_है_एक_राजपूत_महाराजा_का जर्मनी जापान आदि देशो की सेनाओ ने कब्जे के लिए हमला बोल दिया

#पोलैण्ड_के_लोग_आज_भी_अहसान_मानतें_है_एक_राजपूत_महाराजा_का!!!!!

सन्1942ई. में द्वितीय विश्व युद्ध छिड़ गया था ... सबसे खराब हालत पोलैंड की थी ..क्योकि पोलैंड ब्रिटेन को जितने के लिए जर्मनी को पोलैंड को जितना जरूरी था ..पोलैंड पर रूस अमेरिका ब्रिटेन और जर्मनी जापान आदि देशो की सेनाओ ने कब्जे के लिए हमला बोल दिया ..
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पोलैंड के सैनिको ने दिल पर पत्थर रखते हुये अपने 500 महिलाओ और करीब 200 बच्चों को एक बड़ी शीप/नौका में बैठाकर समुद्र में छोड़ दिया ..और कैप्टन से कहा की इन्हें किसी भी देश में ले जाओ ..जहाँ इन्हें शरण मिल सके ..अगर जिन्दगी रही ..हम बचे रहे या ये बचे रहे तो दुबारा मिलेंगे ..
पांच सौ शरणार्थी पोलिस महिलाओ और दो सौ बच्चो से भरा वो जहाज ईरान के इस्फहान बंदरगाह पहुंचा .. वहां किसी को शरण क्या उतरने और रुकने तक की अनुमति तक नही मिली , फिर सेशेल्स में भी नही मिली ,फिर अदन में भी अनुमति नही मिली ....

अंत में समुद्र में भटकता भटकता वो जहाज गुजरात के जामनगर के तट पर आया अब जहाज पर रसद,खाद्य सामग्री भी न के बराबर बची थी... जामनगर के यदुवंशी महाराजा दिग्विजय सिंह जी जडेजा को सुचना मिलती है क्षत्रिय कुल की रीत के निभाते हुए महाराजा उन्हें अपने राज्य में शरण देते है जामनगर के तत्कालीन महाराजा जाम साहब दिग्विजय सिंह ने न सिर्फ पांच सौ महिलाओ बच्चो के लिए अपना एक राजमहल जिसे हवामहल कहते है वो रहने के लिए दिया ..बल्कि अपनी रियासत में बालाचढ़ी में सैनिक स्कुल में उन बच्चों की पढाई लिखाई की व्यस्था की .. ये शरणार्थी जामनगर में कुल नौ साल रहे ..
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उन्ही शरणार्थी बच्चो में से एक बच्चा बाद में पोलैंड का प्रधानमंत्री भी बना .. आज भी हर साल उन शरणार्थीयो के वंशज जामनगर आते है और अपने पूर्वजो को याद करते है .. उनके फोटो और नाम सब रखे हुए है ...

पोलैंड की राजधानी वर्साय में चार सडको का नाम महराजा दिग्विजय सिंह रोड है ..उनके नाम पर पोलैंड में कई योजनाये चलती है .. हर साल पोलैंड के अखबारों में महाराजा जाम साहब दिग्विजय सिंह के बारे में आर्टिकल छपता है,स्कुल की किताबो में महाराजा दिग्विजय सिंह जी के पाठ पढ़ाये जाते है

एक भारतीय राजा का उपकार पोलैंड नही भूल पाया वहा आज भी बहुत सम्मान की नजरो से देखा जाता है
      पोलैंड वासी एक उपकार के बदले भी आभार जताते है जबकी यहाँ हिन्दुस्थान में अपना खून पानी की तरह बहाकर आक्रमणकारियों को हजारो वर्षों तक रोकने व पुत्रवत प्रजा को पालने के बावजूद कुछ कृतघ्न पानी पानी पी पी कर क्षत्रियों को कोसते रहते है ।यही सोच का फर्क है।

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